टीआरपी डेस्क। हर साल पूरे विश्व में जनवरी माह के अंतिम रविवार को विश्व कुष्ठ उन्मूलन दिवस ( World Leprosy Eradication Day ) मनाया जाता है। इस रोग को हैन्सेन का रोग के रूप में भी जाना जाता है। इस रोग के बैक्टीरिया की खोज़ करने वाले चिकित्सक डॉ.आर्मोर ने ये नाम रखा है।

बता दें महात्मा गांधी कुष्ठ रोग से पीडि़त लोगों की सेवा करते थे। उनका हौसला बढ़ाते थे व उनके जीवन को सामान्य बनाने की कोशिश करते थे ।

कुष्ठ उन्मूलन दिवस थीम :

इस साल 2021 में विश्व कुष्ठ उन्मूलन दिवस का थीम है..कुष्ठ रोग को हराना, कलंक मिटाना, मानसिक खुशहाली को बढ़ाना रखा गया है।

विश्व कुष्ठ उन्मूलन दिवस का उद्देश्य :

इस दिवस को मनाने का उद्देश्य, कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों की सहायता तथा इस रोग से पीड़ित लोगों की देखभाल करने वाले व्यक्तियों को प्रशिक्षित करने के बारे में जागरूकता पैदा करना हैं। इस दिवस के अवसर पर संसार भर के लोग कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों को सहयोग प्रदान करते हैं तथा कुष्ठ रोग से पीड़ित होने वाले लोगों की सहायता के लिए धन भी इकट्ठा करते हैं।

कुष्ठ रोग माइकोबैक्टीरियम लेप्री के कारण होने वाला एक क्रोनिक संक्रामक रोग है, जिसके परिणामस्वरूप त्वचा पर गंभीर कुरूप घाव हो जाते हैं तथा हाथों और पैरों की तंत्रिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। प्राचीनकाल में यह रोग भयावह, नकारात्मक कलंक और कुष्ठ रोगियों को बहिष्कृत करने की कहानियों के माध्यम से विद्यमान था। हालांकि, यह अच्छी ख़बर हैं कि कुष्ठ रोग को मल्टी ड्रग थेरेपी (एमडीटी) द्वारा सुसाध्य और उपचारित किया जा सकता हैं।

कुष्ठ रोग से पीड़ित होने का कारण क्या है?

इस रोग के संक्रमण का कारण रोगाणु या बैक्टीरिया होता है, जिसे माइकोबैक्टीरियम लेप्री कहा जाता है, जो संक्रमण का कारण बनता हैं। यह संक्रमण रोगी की त्वचा को प्रभावित करता है तथा रोगी की तंत्रिकाओं को नष्ट कर देता हैं। यह रोग आंख और नाक में समस्याएं पैदा कर सकता हैं।

रोग द्वारा होने वाले नुकसान :

  • कुष्ठ रोग त्वचा में उपस्थित परिधीय नसों और तंत्रिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है, जिसके परिणामस्वरुप निम्नलिखित समस्याएं हो सकती हैं।
  • पसीने और तेल ग्रंथियों की प्रक्रिया क्षतिग्रस्त हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप हाथों और पैरों की त्वचा में सूखापन और दरारें हो सकती हैं।
  • रोशनी, स्पर्श या दर्द की सनसनी महसूस करने की क्षमता में कमी हो जाती है, जो कि गंभीर चोट को पैदा कर सकता हैं।
  • पलकों की कमजोरी, जो कि अंधापन पैदा कर सकती है।
  • हाथों और पैरों में शक्ति/उर्जा का कम होना। यह शरीर की छोटी मांसपेशियों में पक्षाघात पैदा कर सकता है, जिसके परिणामस्वरूप हाथों और पैरों की उंगलियां पंजे में तबदील हो जाती हैं।

लक्षण :

  • सामान्य त्वचा की तुलना में त्वचा पर थोड़े लाल, गहरे या हल्के स्पॉट/धब्बे हो सकते है।
  • यह स्पॉट/धब्बे सुन्न हो सकते है तथा यहां तक कि यह त्वचा के प्रभावित हिस्से पर होने वाले बालों के झड़ने की समस्या को भी पैदा कर सकते है।
  • हाथ, उंगली या पैर की अंगुली की सुन्नता के परिणामस्वरूप मांसपेशी में पक्षाघात हो सकता है।
  • आँखों की पलकों के झपकने में कमी; इसके कारण आँखों में सूखापन और अल्सर हो सकता है तथा यहां तक कि व्यक्ति अंधा भी हो सकता है।
  • विकृति और गंभीरता का कारण रोग का अंतिम चरण हो सकता है।

मुख्य संदेश

  • कुष्ठ रोग एमडीटी (बहु-औषधि उपचार/मल्टीड्रग थेरपी) के साथ उपचार योग्य है।
  • बहु-औषधि उपचार/मल्टीड्रग थेरपी का नियमित सेवन कुष्ठ रोग का पूरा उपचार सुनिश्चित करता है। यह विकृतियों से बचाता है तथा अन्य व्यक्तियों में संचारण रोकता है।
  • रोग की शीघ्र पहचान, पर्याप्त उपचार और पूरा कोर्स (दवा की अवधि) कुष्ठ रोग के कारण होने वाली विकलांगता रोकती है।
  • कुष्ठ वंशानुगत नहीं है; यह माता-पिता से बच्चों में प्रसारित नहीं होता है।
  • कुष्ठरोग कारण संबंधी स्पर्श जैसे कि हाथ मिलाने या साथ खेलने या एक ही कार्यालय में काम करने के माध्यम से नहीं फैलता है। अनुपचारित रोगियों के साथ नज़दीकी और लगातार संपर्क रोग के प्रसारण को बढ़ावा देता है।
  • कुष्ठरोग पिछले पापों या अनैतिक व्यवहार का परिणाम नहीं है। यह माइकोबैक्टीरियम लेप्री कहे जाने वाले बैक्टीरिया के कारण होता है।
  • कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों को आजीविका का अधिकार है तथा सम्मान के साथ जीने का अधिकार है।

उपचार :

डब्ल्यूएचओ की सिफ़ारिश के अनुसार कुष्ठ रोग का प्रभावी उपचार मल्टी ड्रग थेरेपी (एमडीटी) द्वारा किया जा सकता हैं।

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