नेशनल डेस्क। टूलकिट के संबंध में दिल्ली पुलिस ने गूगल को नोटिस भेजा है। नोटिस के जरिए पुलिस ने गूगल से पूछा है कि यह दस्तावेज किस जगह से अपलोड किए गए हैं और कौन-कौन इसके पीछे शामिल रहा है।

दिल्ली पुलिस ने गूगल से इन जानकारी को साझा करने के लिए कहा है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि गूगल से जवाब मिलने के बाद यह स्पष्ट हो जाएगा कि यह दस्तावेज कहां से अपलोड किया गया था और किस तरह से इसका विस्तार हुआ। 

गूगल और अन्य कंपनियों से जानकारी मिलने का इंतजार

साइबर सेल के पुलिस उपायुक्त अन्येश रॉय ने बताया कि गूगल और अन्य कंपनियों को पत्र लिखकर अकाउंट बनाने वालों, दस्तावेज अपलोड करने वालों और सोशल मीडिया पर ‘टूलकिट’ डालने वालों के बारे में जानकारी मांगी गई है। पुलिस ने कहा कि उसने ‘टूलकिट’ में जिन ईमेल, डोमेन यूआरएल और कुछ सोशल मीडिया अकाउंट का जिक्र किया गया है, उनकी जानकारी मांगी है। यह दस्तावेज गूगल डॉक के जरिए अपलोड किया गया और बाद में ट्विटर पर साझा किया गया। रॉय ने कहा कि फिलहाल हम संबंधित कंपनियों से जानकारी मिलने का इंतजार कर रहे हैं और उनसे मिलने वाली जानकारी के आधार पर ही हम आगे की कार्रवाई करेंगे।

अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज

पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मूल दस्तावेज से जांचकर्ताओं को ‘‘टूलकिट’ का निर्माण करने वाले और उसे साझा करने वाले व्यक्ति/व्यक्तियों को पहचानने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि जिस दस्तावेज की बात हो रही है उसे कुछ लोगों ने बनाया, संपादित किया और उसे अपलोड किया। इन सभी की पहचान करना महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें से साजिश का कयास लगाया जा रहा है। पुलिस ने बताया कि अज्ञात लोगों के खिलाफ भादंसं की धाराओं के तहत आपराधिक षड्यंत्र, राजद्रोह और अन्य आरोप में मामला दर्ज किया गया है।

‘टूलकिट’ का लक्ष्य सरकार के खिलाफ गलत भावना फैलाना

दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, शुरुआती जांच से पता चला है कि दस्तावेज के तार खालिस्तान-समर्थक समूह ‘पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन’ से जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि 26 जनवरी को हुई हिंसा सहित पिछले कुछ दिनों के घटनाक्रमों पर ध्यान देने पर पता चला है कि ‘टूलकिट’ में बतायी गई योजना का अक्षरश: क्रियान्वयन किया गया है। इसका लक्ष्य भारत सरकार के खिलाफ सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक युद्ध छेड़ना है।

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