लंदन। ब्रिटेन की संसद के निचले सदन ‘हाउस ऑफ कॉमंस’ के नेता ने भारत में नए कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसानों के प्रदर्शन पर अपनी सरकार के रुख को साफ करते हुए कहा है कि कृषि सुधार भारत का घरेलू मुद्दा है।

दरअसल गुरुवार को किसानों के मुद्दे पर चर्चा कराने की विपक्षी लेबर सांसदों की मांग पर जैकब रेस-मॉग ने स्वीकार किया कि यह मुद्दा सदन के लिए और ब्रिटेन में समूचे निर्वाचन क्षेत्रों के लिए चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन पूरे विश्व में मानवाधिकारों की हिमायत करना जारी रखेगा और वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अपनी मौजूदा अध्यक्षता के तहत भी यह करेगा।
कंजरवेटिव पार्टी के वरिष्ठ सांसद रेस-मॉग ने कहा, भारत एक बहुत ही गौरवशाली देश है और वह एक ऐसा देश है जिसके साथ हमारे सबसे मजबूत संबंध हैं। मुझे उम्मीद है कि अगली सदी में भारत के साथ हमारे संबंध दुनिया के किसी भी अन्य देश के साथ संबंधों की तुलना में सर्वाधिक महत्वपूर्ण होंगे।
रेस-मॉग ने यह जिक्र किया कि ब्रिटिश सरकार किसानों के प्रदर्शन पर करीब से नजर रख रही है। कृषि सुधार भारत के घरेलू नीति से जुड़ा मुद्दा है। हम विश्व में मानवाधिकारों की हिमायत करना जारी रखेंगे, इस महीने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता की जिम्मेदारी के तहत भी ऐसा होगा।
बता दें कि सदन में लेबर पार्टी की शैडो नेता वेलेरी वाज ने किसानों के प्रदर्शन के मुद्दे को इस महीने की शुरूआत में उठाते हुए इसपर चर्चा कराए जाने पर याचिका समिति द्वारा विचार करने की मांग की थी। दरअसल आधिकारिक संसदीय वेबसाइट पर इस महीने की शुरूआत में इस विषय पर एक लाख से अधिक हस्ताक्षर मिले हैं।
हालांकि निचले सदन के परिसर के वेस्टमिंस्टर हॉल में आम तौर पर होने वाली ऐसी चर्चा महामारी को लेकर लागू पाबंदियों के कारण अभी नहीं हो रही हैं। उन्होंने इसके विकल्प के तौर पर वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से यह करने का सुझाव दिया था।
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