अबूझमाड़ मैराथन का प्रमोशन इवेंट, 5 हजार लोगों ने लगाई शान्ति के लिये दौड़
अबूझमाड़ मैराथन का प्रमोशन इवेंट, 5 हजार लोगों ने लगाई शान्ति के लिये दौड़

जगदलपुर। देश-विदेश के हजारों धावकों को मौका देने वाली बस्तर की चर्चित अबूझमाड़ पीस मैराथन को लेकर तैयारियां जोरों पर है। तीसरे वर्ष का यह आयोजन 27 फरवरी को नारायणपुर जिले में आयोजित है। उससे पहले मैराथन को सफल बनाने के मकसद से संभागीय मुख्यालय जगदलपुर में प्रमोशन ईवेंट का आयोजन किया गया,मुख्यालय में आयोजित मैराथन में सीआरपीएफ के जवान, स्कूली छात्र छात्राओं, पुलिस विभाग के अधिकारी, कर्मियों सहित आम नागरिकों ने हिस्सा लिया। स्थानीय गांधी मैदान में दौड़ से पहले जीम ट्रेनरों द्वारा 1 घंटे तक अभ्यास भी कराया गया।

इस मौके पर महापौर सफिरा साहू, अध्यक्ष कविता साहू, एएसपी ओम प्रकाश शर्मा द्वारा हरी झंडी दिखाकर 5 किलोमीटर की दूरी तक आयोजित मैराथन को रवाना किया। प्रमोशन ईवेंट में एक साथ 5 सौ से अधिक धावकों ने दौड़ लगाकर बस्तर में शांति का संदेश दिया। समापन पर दौड़ के विजेताओं को पुरूस्कृत भी किया गया।

27 को है पीस मैराथन, 18 राज्यों के धावक लेंगे हिस्सा

नारायणपुर में आगामी 27 फरवरी को होने वाले अबूझमाड़ पीस मैराथन में देश के 18 राज्यों के धावकों साथ बस्तर के हजारों युवा हिस्सा लेने आ रहे है. कोरोना संकट की वजह से आयोजन को लेकर रुकावटें हो रही थी जिसे दूर कर नियमों का पालन करते हुए आयोजन कराया जाएगा जिसमें महिला और पुरूष प्रतिभागियों को लाखों के इनाम दिए जाएंगे.

21 किलोमीटर की होगी दौड़

नारायणपुर जिला मुख्यालय से ग्राम बासिंग तक यह दौड़ 21 किलोमीटर की होगी। माड़ की संस्कृति को दुनिया के सामने लाने की मकसद से यह इवेंट किया जाता है। दो साल के सफल आयोजन के बाद यह तीसरा साल होगा। 2019 में देश-विदेश से करीब सात हजार धावक शामिल हुए थे,वहीं 2020 में 11 हजार धावकों ने प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए पंजीयन कराया था। पिछले साल 8 फरवरी को आयोजित मैराथन में प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल समेत मंत्रियों, सांसद और विधायकों ने भी हिस्सा लिया था। इस वर्ष भी प्रदेश के राजनैतिक दलों के नेताओं सहित प्रतिष्ठत खिलाड़ियों और समाजसेवकों को आमंत्रित किया गया है। इस मैराथन का मुख्य उदेश्य अबूझमाड़ में पूरी तरह शांति स्थापित करने के अलावा आदिम संस्कृति की संरक्षण स्थली अबूझमाड़ को पहचान दिलाना है और माड़ में पूर्ण शांति का पैगाम देना भी है।

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