रायपुर। छत्तीसगढ़ में नक्सली समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। इसे रोकने के लिए बल का प्रयोग तो हो रहा है लेकिन समस्या का पूरी तरह निदान किस तरह से हो इसके लिए कोई पहल नहीं हो रही है। इसी के मद्देनजर एक बैठक का आयोजन राजधानी में किया गया जिसमें प्रमुख आदिवासी नेताओं के अलावा अनेक पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता और राजनीति से जुड़े हुए लोग शामिल हुए।
छत्तीसगढ़ में नक्सली हिंसा में बड़ी संख्या में लोग मारे जा रहे हैं, मारे जाने वालों में सर्वाधिक आदिवासी हैं, जो वहां के मूल निवासी है। कांग्रेस पार्टी ने चुनाव से पूर्व अपने घोषणा पत्र में वादा किया था कि उनकी सरकार बनी तो नक्सली समस्या का हल निकाला जाएगा, मगर अब तक किसी तरह की कोई ठोस पहल नहीं की गई है। इसी के मद्देनजर प्रदेश के विभिन्न क्षेत्र से जुड़े लोगों की बैठक हुई।
जिसमें प्रमुख रूप से राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष नंदकुमार साय, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम, वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष वीरेंद्र पांडे, कम्युनिस्ट पार्टी के नेता आरडीसीपी राव, वरिष्ठ पत्रकार दिवाकर मुक्तिबोध, कमल शुक्ला, सामाजिक कार्यकर्ता शुभ्रांशु चौधरी सहित अनेक लोग इस बैठक में शामिल हुए और अपने विचार रखे। मुद्दा था बस्तर में नक्सली हिंसा का किस तरह अंत हो और वहां शांति कायम हो सके। इस पर सभी ने अलग अलग राय रखी।
वार्ता के लिए केंद्र और राज्य सरकार की सहभागिता जरूरी
कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम का कहना था कि जब तक केंद्र और राज्य सरकार किसी पहल के लिए एकमत न हो जाए, तब तक कुछ भी नहीं हो सकता। उन्होंने पुराने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि सरकारें अपने स्वार्थ के चलते ऐसे मुद्दों को पूरी तरह सुलझा नहीं पातीं, यही वजह है कि नक्सल जैसी समस्या का अब तक कोई निराकरण नहीं हो सका है।
समाधान तक पहुंचने का होगा प्रयास
अनुसूचित जनजाति आयोग के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष नंकुमार साय ने कहा की नक्सली समस्या का किस तरह निराकरण हो, इस मुद्दे को लेकर बातचीत हुई। इस दौरान यह सुझाव भी आया कि एक प्रतिनिधिमंडल सरकार से मिलकर वार्ता के लिए सुझाव रखे ताकि आने वाले समय में नक्सल समस्या का चरणबद्ध ढंग से समाधान निकाला जा सके। फिलहाल शुरुआत हुई है और एक समिति का गठन किया गया है जो आगे चलकर विभिन्न मुद्दों पर सरकार के समक्ष अपनी राय रखेगी।
नक्सलबाड़ी में शांति की पहल को मिली थी सफलता
आदिवासी नेता अरविंद नेताम ने एक सवाल के जवाब में बताया कि देश में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शासनकाल में नक्सलबाड़ी में व्याप्त हिंसा को रोकने के लिए वार्ता की पहल की गई, और सही समाधान निकाला गया जिससे आने वाले वर्षों में वहां शांति कायम की जा सकी।
कोर कमेटी का किया गया गठन
नक्सल समस्या के निराकरण की दिशा में शांति वार्ता के प्रयासों के लिए तत्काल पहल को जरूरी बताते हुए मौके पर ही एक कोर कमेटी का गठन किया गया, जिसमें आदिवासी नेता नंदकुमार साय, अरविंद नेताम, मनीष कुंजाम, वीरेंद्र पांडे, दिवाकर मुक्तिबोध, कमल शुक्ला, शुभ्रांशु चौधरी,आर डी सी पी राव, गिरीश पंकज, बी एस रावटे को शामिल किया गया।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में नक्सली समस्या को खत्म करने के लिए सुरक्षा बल में लगातार इजाफा किया जा रहा है, इसमें कभी नक्सली मारे जाते हैं तो कभी जवान। दोनों ओर से लगातार हो रही हिंसा के बीच नक्सली निर्दोष आदिवासियों को भी मार रहे हैं, इस पर लोगों की चिंता लाजमी है। प्रबुद्ध वर्ग का यह मानना है कि इस तरह के खून खराबे रोकने के लिए जल्द से जल्द प्रयास किए जाएं।