'कोरोनिल' का प्रचार कर फंसे केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन... IMA ने पूछा डॉक्टर होकर दवा को प्रमोट क्यों किया?
'कोरोनिल' का प्रचार कर फंसे केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन... IMA ने पूछा डॉक्टर होकर दवा को प्रमोट क्यों किया?

टीआरपी डेस्क। भारतीय मेडिकल ए‍सोसिएशन ( Indian Medical Association ) ने केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री डॉ हर्षवर्धन के पतंजलि की आयुर्वेदिक दवा ‘कोरोनिल’ का प्रचार करने को ‘अनैतिक’ बताया है।

IMA का कहना है कि यह ‘देश के लोगों के साथ सरासर धोखा है।’ IMA ने कहा कि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के नियम मॉर्डर्न मेडिसिन के हर डॉक्‍टर पर लागू होते हैं और इनके मुताबिक, कोई डॉक्‍टर किसी दवा का प्रचार नहीं कर सकता। पतंजलि ने कोरोनिल को ‘कोविड-19 की पहली एविडेंस-बेस्‍ड दवा’ बताकर रीलॉन्‍च किया था।

कोई एक दवा बीमारी को रोकने, इलाज और पुनर्वास में प्रभावी कैसे हो सकती है? अगर कोरोनिल रोकथाम में प्रभावी है तो सरकार टीकाकरण पर 35,00 करोड़ रुपये क्‍यों खर्च कर रही है?

हषवर्धन से IMA के तीखे सवाल?

  • देश का स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री होने के नाते, यह कितना सही है कि आप पूरे देश के आगे ऐसी झूठी बात करें?
  • स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री होने के नाते, ऐसे अवैज्ञानिक उत्‍पाद को जारी करना कहां तक ठीक है?
  • स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री होने के नाते, यह कितना नैतिक है कि आप एक उत्‍पाद को अनैतिक, गलत और झूठे तरीकों से प्रमोट करें?
  • स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री और मॉडर्न मेडिसिन का डॉक्‍टर होने के नाते, एक अवैज्ञानिक उत्‍पाद को प्रमोट करना कितना सही है?
  • देश का स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री और मॉडर्न मेडिसिन का डॉक्‍टर होने के नाते, क्‍या आप कथित ऐंटी-कोरोना दवा के कथित क्लिनिकल ट्रायल्‍स की समय सीमा और समय रेखा पर सफाई दे सकते हैं?

प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में मौजूद थे दो केंद्रीय मंत्री

बीते शुक्रवार को संविधान क्‍लब में रामदेव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। इसमें हर्षवर्धन के अलावा केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भी शामिल थे। रामदेव ने तब दावा किया था कि ‘कोरोनिल’ से जुड़े कई रिसर्च पेपर इंटरनैशनल जर्नल्‍स में छपे हैं। बाद में ‘कोरोनिल’ को लॉन्‍च करते हुए दोनों केंद्रीय मंत्रियों ने तस्‍वीरें भी खिंचाई थीं। हर्षवर्धन ने तब कहा था कि “वैज्ञानिक तरीके से आयुर्वेद को दुनिया में पुनर्स्थापित करने के इस यज्ञ में आहुति डाली जानी चाहिए। इसे विश्व कल्याण का बहुत बड़ा प्रकल्प मान कर आगे बढ़ाया जाना चाहिए।”

नितिन गडकरी ने कहा था कि ‘अभी तक आयुर्वेद में होता था कि ये दवाई लो, हम ले लेते थे क्योंकि विश्वास था। फायदा भी होता था पर अब इसका वैज्ञानिक मूल्यांकन एवं विश्‍लेषण करके इसके शोध पत्र के साथ इसका प्रजेंटेशन करने का काम भी इन्होंने (आचार्य बालकृष्ण) किया है।’

Hindi News के लिए जुड़ें हमारे साथ हमारे फेसबुक, ट्विटरटेलीग्राम और वॉट्सएप पर…