नेशनल डेस्क। आज गुरुवार को केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद और प्रकाश जावड़ेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सोशल मीडिया और ओवर-द-टॉप (OTT) प्लेटफॉर्म के लिए दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं।

रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सोशल मीडिया पर गलत भाषा का इस्तेमाल किया जा रहा है। लेकिन अब सरकार सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक सामग्री को मंजूरी नहीं देगी।
इससे अब सोशल मीडिया पर फेक न्यूज और अश्लील सामग्री निरंकुश नहीं रह जाएगी। भारत सरकार ने अभद्र कंटेंट पर अंकुश लगाने के लिए देश में कार्यरत सोशल मीडिया तथा ओटीटी कंपनियों के लिए दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं।
यह सभी नियम अगले तीन महीने में लागू हो जाएंगे। सोशल मीडिया और ओटीटी के लिए बनाए गए इस दिशा निर्देश के मुताबिक हर कंपनी को एक चीफ कंप्लायंस ऑफिसर की नियुक्ति करनी होगी, जो 24 घंटे कानून प्रवर्तन एजेंसियों के निर्देशों पर जवाब देगा और अनुपालन के लिए नियमित रिपोर्ट देंगे।
नए दिशा निर्देशों के जरिए फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम और समाचार से जुड़े वेबसाइटों को नियमित किया जाएगा। सरकार का कहना है कि नए नियमों के तहत एक शिकायत निवारण तंत्र पोर्टल बनाना होगा।
नए नियम से फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप और लिंक्डइन जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए मांगे जाने पर कंटेंट की जानकारी देना आवश्यक हो गया है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में हुई ये बड़ी बातें :
- सभी को शिकायत निवारण की व्यवस्था करनी होगी और इसके लिए एक अधिकारी रखना होगा
- अश्लील सामग्री मिलने पर 24 घंटे में हटाना होगा।
- दो तरह के सोशल मीडिया होंगे- प्रमुख और द्वितीय।
- चीफ कंप्लायंस ऑफिसर, चीफ नोडल ऑफिसर, चीफ ग्रीवांस ऑफिसर की नियुक्ति करनी होगी।
- मासिक रिपोर्ट प्रकाशित करनी होगी जिसमें बताना होगा कि कितनी शिकायतें आईं और कितनों पर काम हुआ।
- सूचना का पहला स्रोत बताना ही होगा- जब खुराफात होती है तो ये बताना ही होगा कि सबसे पहले इसे किसने शुरु किया। अगर ये भारत के बाहर से हुआ है तो ये बताना होगा कि भारत में इसे सबसे पहले इसे किसने आगे बढ़ाया।
- महिलाओं से संबंधी अश्लील सामग्री दिखाने या प्रकाशित करने पर कड़ी कानूनी कार्रवाई का प्रावधान है।
- अगर आप प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म हैं तो आपको किसी भी सामग्री को हटाने से पहले आपको यूजर को बताना पड़ेगा।
- ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को भी नियमों और दायरे में ही काम करना होगा।
- इस बार संसद के सत्र में दोनों सदनों में मिला कर 50 से ज्यादा प्रश्न पूछे गए।
- बार-बार कहने के बाद भी ओटीटी वालों ने अपने लिए कोई नियमावली नहीं बनाई।
- स्व-नियमन के लिए एक संस्था बनानी होगी जिसमें कोई सेवानिवृत्त जज या इस स्तर का व्यक्ति प्रमुख हो।
- ओटीटी के लिए कोई सेंसर बोर्ड नहीं है पर उन्हें अपनी सामाग्री को आयु वर्ग के अनुसार विभाजित करना होगा।
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