ईएसआईसी का अस्पताल शुरू नहीं कर पा रही है सरकार, अभी तक हैंडओवर ही नहीं हुआ है भवन शुरू नहीं कर पा रही है सरकार, अभी तक हैंडओवर ही नहीं हुआ है भवन
ईएसआईसी का अस्पताल शुरू नहीं कर पा रही है सरकार, अभी तक हैंडओवर ही नहीं हुआ है भवन शुरू नहीं कर पा रही है सरकार, अभी तक हैंडओवर ही नहीं हुआ है भवन

टीआरपी डेस्क। कर्मचारी राज्य बीमा निगम द्वारा सौ करोड़ की लागत से बनाए गए भवन में अब तक अस्पताल शुरू नहीं किया जा सका है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि यहां बीते कई महीने तक कोविड सेंटर चलाया गया, और इसका नतीजा यह रहा कि ठेका कंपनी ने अब तक यह भवन ईएसआईसी को हैंडओवर ही नहीं किया है। इस वजह से यहां के लाखों मजदूर इलाज की सुविधा से वंचित हो रहे हैं।

कर्मचारी राज्य बीमा निगम केंद्र सरकार के अधीन आता है और जिन स्थानों पर मजदूरों की संख्या ज्यादा होती है और उसका अंशदान ईएसआईसी को मिलता है वहां ईएसआईसी की डिस्पेंसरी और अस्पताल का संचालन किया जाता है। राजधानी रायपुर में बीरगांव इलाके के रामनगर कोटा क्षेत्र में 100 करोड़ की लागत से अस्पताल भवन का निर्माण कराया गया है। ठेका कंपनी एचपीएल द्वारा इस भवन का निर्माण कराया गया है लेकिन अब तक कंपनी ने अब तक ईएसआईसी के सुपुर्द भवन नहीं किया है।

खाली बैठे हैं अस्पताल के स्टाफ

ईएसआईसी अस्पताल के प्रमुख डॉ सुनील कुमार बताते हैं कि वह तो अस्पताल प्रारंभ करने के लिए तैयार बैठे हैं मगर अब उन्हें भवन नहीं मिला है। उन्होंने बताया कि यह ईएसआईसी के अस्पताल के लिए डेढ़ साल पहले डॉक्टर और स्टाफ की नियुक्ति की गई थी जो अभी खाली बैठे हैं। फिलहाल इनका उपयोग ईएसआईसी के रीजनल ऑफिस में किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस अस्पताल को शुरू करने में फिलहाल वैधानिक और तकनीकी समस्या है।

12 लाख मजदूर इलाज की सुविधा से हैं वंचित

राजधानी रायपुर में संचालित छोटे बड़े कारखानों और उद्योगों में लगभग 12 लाख मजदूर काम करते हैं, जिनके पास ईएसआईसी का कार्ड है। इन मजदूरों को ईएसआईसी के तहत अस्पताल की सुविधा नहीं मिल पा रही है। राजधानी रायपुर में ईएसआईसी के डिस्पेंसरी भर चल रहे हैं, जहां बड़ी बीमारियों का इलाज संभव नहीं है।

अस्पताल के लिए सही जगह का नहीं किया गया चयन

डॉ सुनील कुमार ने इस बात पर अफसोस जताया कि ईएसआईसी के राज्य स्तरीय अस्पताल के लिए सही जगह का चयन नहीं किया गया है। दरअसल जिस स्थान पर अस्पताल का निर्माण किया गया है वहां तक पहुंचने के लिए यहां स्थित बस्ती की गलियों से होकर गुजरना पड़ता है फिलहाल अस्पताल तक जाने के लिए अप्रोच रोड भी नहीं है।

10 मार्च तक हो सकता है भवन का हस्तांतरण

ईएसआईसी हॉस्पिटल के भवन को ठेकेदार द्वारा मार्च के महीने में हैंडओवर करने की उम्मीद जताई जा रही है। डॉ सुनील कुमार ने बताया कि उन्होंने दिल्ली मुख्यालय को पत्र लिखा है। इसके बाद जल्द ही ईआईएसआईसी के चीफ इंजीनियर रायपुर आएंगे। उनके द्वारा भवन को ओके किए जाने के बाद ही ठेकेदार से अस्पताल भवन का हस्तांतरण लिया जाएगा।

राज्य सरकार नहीं ले रही रुचि

राजधानी रायपुर में esic के 100 बिस्तर वाले अस्पताल को प्रारंभ करने में राज्य सरकार का स्वास्थ्य अमला भी रुचि नहीं दिखा रही है। केंद्र सरकार द्वारा खोले जा रहे इस अस्पताल का लाभ यहां के स्थानीय मजदूरों को ही मिलेगा बावजूद इसके स्वास्थ विभाग से जुड़े अधिकारी इस अस्पताल को शुरू कराने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं, अन्यथा यह अस्पताल कब का शुरू हो गया होता।

कोरबा के ईएसआईसी अस्पताल का भी यही हाल

ईएसआईसी द्वारा कोरबा में भी अस्पताल भवन का निर्माण कराया गया है, इस भवन को भी जिला प्रशासन ने कोविड सेंटर चलाने के लिए लिया था और यहां अब भी यह सेंटर चल रहा है जहां हर रोज बमुश्किल 3 से 4 मरीज आ रहे हैं, डॉ सुनील कुमार बताते हैं कि इस भवन का एक हिस्सा कार्यालय के लिए मांगा जा रहा है, वह भी उन्हें नहीं दिया जा रहा है।
बहरहाल रायपुर और कोरबा के सौ शय्या वाले ईएसआईसी अस्पताल की सुविधा मिलने में अब भी देर है। भवन हैंडोवर होने के बाद यहां लोगो के इलाज के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने में भी समय लगेगा, तब तक ईएसआईसी कार्ड वाले लाखों मजदूर इलाज की सुविधा से वंचित रहेंगे।

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