फ्लोराइड से आज भी सुपेबेड़ा इलाके के लोगों का जीना मुहाल
फ्लोराइड से आज भी सुपेबेड़ा इलाके के लोगों का जीना मुहाल

आम आदमी पार्टी ने दौरे के बाद बताई ग्रामीणों की व्यथा

गरियाबंद। गरियाबंद जिले के सुपेबेड़ा गांव और उसके आसपास के इलाके के लोग फ्लोराइड की त्रासदी झेल रहे हैं। ग्रामीण बताते हैं कि पास ही एक हीरे की खदान थी जहां होने वाले ब्लास्टिंग के चलते फ्लोराइड यहां के भूजल में मिल गया और तब से यहां के लोगों की मौतों का सिलसिला शुरू हो गया। इस गांव का दौरा करने वाले आम आदमी पार्टी के प्रतिनिधिमंडल ने आरोप लगाया है कि पूर्व में विपक्ष में रहते हुए भूपेश बघेल ने सुपेबेड़ा को लेकर रमन सरकार पर तमाम आरोप लगाए थे, लेकिन आज सत्ता में आने पर भूपेश की सरकार भी सुपेबेड़ा को भूल गई है।

सुपेबेड़ा गांव बीते कई सालों से सुर्खियों में रहा है। यहां के अनेक लोगों की मौत किडनी और लीवर की खराबी से हो गई है। जानकर बताते हैं कि जब से यहां के पानी में फ्लोराइड की मात्रा आनी शुरू हुई तब से गांव वालों का जीना मुहाल हो गया है। पानी में फ्लोराइड की मात्रा होने से ग्रामीणों को अनेक प्रकार की बीमारियां हो रही हैं और सरकार द्वारा इससे बचाव के कोई खास उपाय नहीं किए जा रहे हैं।

सुपेबेड़ा सहित नौ गांव हैं फ्लोराइड से प्रभावित

गरियाबंद जिले का सुपेबेड़ा गांव ही नहीं बल्कि यहां के आसपास के 8 अन्य गांव भी फ्लोराइड से प्रभावित हैं। इस पूरे इलाके के लगभग 5 हजार लोग फ्लोराइड की त्रासदी झेल रहे हैं। इस इलाके के दौरे के बाद आम आदमी पार्टी के प्रदेश सचिव उत्तम जायसवाल ने बताया कि जब वे सुपेबेड़ा पहुंचे तब उस दिन तीन घरों में एकसाथ दशगात्र का कार्यक्रम चल रहा था, जिसे देखकर सभी साथी सिहर गए, उन्होंने कहा आज हम बात करे तो सुपेबेड़ा सहित कुल 9 गावों में हर घर मे एक या अधिक लोग इस समस्या से पीड़ित मिलेंगे। अकेले सुपेबेड़ा जहां लगभग 1200 की आबादी है, इस गांव में अब तक 130 लोगो की मौत होना वो भी पीने के शुद्व पानी के नहीं मिलने की वजह से, ये बेहद शर्मनाक व निंदनीय है।

अपने परिवार में 17 मौतें देखी है त्रिलोचन ने

सुपेबेड़ा गांव के निवासी त्रिलोचन सोनवानी भी इस पत्रवर्ता में मौजूद रहे। त्रिलोचन ने अपनी आपबीती बयां करते हुए बताया कि उनके खुद के परिवार के 17 लोग फ्लोराइड के शिकार हो चुके है, सालों बीत गए मगर आज भी उन्हें शुद्ध पेयजल नहीं मिल सका है, जिसके चलते यहां मौतों का सिलसिला लगातार जारी है।

बढ़ रही है अनाथ और बेवाओं की संख्या

त्रिलोचन सोनवानी ने बताया कि गांव में लगातार हो रही मौतों के चलते अनेक महिलाएं बेवा हो गई हैं, वहीं मां – बाप दोनों की मौत की वजह से कई बच्चे अनाथ हो चुके हैं। दरअसल गांव में फ्लोराइड के मुद्दे पर सबसे ज्यादा सक्रिय होने के चलते भाजपा सरकार के दौरान त्रिलोचन सोनवानी को यहां बीमार होने वाले मरीजों की मेकाहारा अस्पताल में देखरेख का जिम्मा दे दिया गया और उन्हें अस्थाई तौर पर नौकरी पर रख लिया गया है। उन्होंने बताया कि वह आज वे खुद एक मरीज को लेकर रायपुर आये हैं, और मेकाहारा में उसका इलाज चल रहा है। उस मरीज के कोई नही बचा है, माता पिता दोनों की इस बीमारी से मौत हो चुकी है ।

शुद्ध पेयजल का नहीं हो सका इंतजाम

आम आदमी पार्टी के मुताबिक भाजपा के शासनकाल में सुपेबेड़ा के पास ही स्थित एक नदी का पानी फिल्टर करके सभी नौ गांव में पहुंचाने के लिए सरकार ने टेंडर निकाला था, लेकिन यह प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ सकी और आज तक इन गावों में शुद्ध पानी नहीं पहुंच सका है। आलम यह है कि पूर्व में यहां पर फ्लोराइड रिमूवल यूनिट लगाया गया था जिसका फिल्टर भी आज तक नहीं बदला जा सकता है।

आम आदमी पार्टी अब इस मुद्दे को लेकर ग्रामीणों के साथ मिलकर रणनीति बना रही है और इस लड़ाई को अंजाम तक पहुचाने का प्रयास करेगी। सरकार के इस उदासीन रवैय्ये को देखते हुए आम आदमी पार्टी 9 मार्च को ग्राम सुपेबेड़ा के पीने के पानी को लेकर मुख्यमंत्री सहित प्रदेश के सभी कैबिनेट मंत्रियों को भेंट करेगी ताकि हकीकत वे खुद महसूस करें।

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