Spinal Muscular Atrophy Type-1
Spinal Muscular Atrophy Type-1

टीआरपी डेस्क। भिलाई (हुडको) के ढाई साल का अयांश गुप्ता पिछले 18 महीने से बिस्तर पर है। हाथ-पैर तो अलग बात है यब बच्चा गर्दन भी नहीं हिला पा रहा। क्योंकि उसे ‘स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (एसएमए) टाइप-1’ ( Spinal Muscular Atrophy Type-1 ) बीमारी है। यह दुर्लभ बीमारी करीब 10 लाख में से एक बच्चे को होती है। अयांश जन्म से ही इसकी चपेट में है, लेकिन घातक दुष्प्रभाव धीरे-धीरे सामने आए। हैदराबाद के पिडियाट्रिक न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. रमेश कोनानकी बताते हैं कि अयांश की बीमारी का इलाज भारत में नहीं है।

अमेरिका में 2.5 वर्ष पहले ही Spinal Muscular Atrophy Type-1 के इलाज की तीन थेरेपी ढूंंढी गई है। इसमें से एक ‘जीन थेरेपी’ से अयांश को जिंदगी मिल सकती है। लेकिन इसकी कीमत 16 करोड़ है। विदेशों से लाने पर करीब 6 करोड़ का टैक्स भी लगेगा। किसी मध्यम वर्गीय परिवार के लिए करीब 22 करोड़ का इंजेक्शन अपने दम पर मंगा पाना संभव नहीं है। हम सबकी मदद से ही अयांश को बचाया जा सकता है। अयांश अभी वेंटिलेटर पर नहीं गया है। डे-केयर में ही उसका इलाज चल रहा है। इस कंडिशन में उसको 22 करोड़ का इंजेक्शन लग जाय तो वह बीमारी से उबर सकता है।

बच्चे की देख-भाल के लिए मां ने छोड़ी नौकरी

मां रुपल का कहना है कि अयांश खुद से हिल भी नहीं पाता है, इसलिए उन्हें अपनी नौकरी छोड़नी पड़ी। डेढ़ साल से सिर्फ उसकी सेवा में लगी हैं। अपने जिगर के टुकड़े को हिलते-मुस्कुरता देखने के लिए उन्होंने हालांकि ढेर सारे इंतजाम किए हैं, लेकिन बीमारी के सामने किसी का कोई असर नहीं हो रहा।

छह माह से कष्ट झेल रहा अयांश

पिता योगेश गुप्ता ने बताया कि उनकी लाड़ला जब छह माह का था, तभी से कष्ट झेल रहा है। हालांकि 5 वें महीने में ही हमें बच्चे को किसी बीमारी से पीड़ित होने का अंदाजा लग गया था, लेकिन इसकी पहचान जब एक साल का हो गया, तब हो पाई। वर्तमान में अपने से खाना भी नहीं खा पाता है। उसे सिर्फ लिक्विड खाना ही देते हैं।

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