कोरोना गाइडलाइन के साथ मनाए होली का त्यौहार, जाने शुभ मुहर्त और इन बातों का रखें ख्‍याल
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टीआरपी डेस्क। होली बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है। इस दिन देशभर में लोग एक दूसरे को गुलाल, अबीर और तरह-तरह के रंग डालकर होली खेलते हैं। गली चौराहे पर ढोल, नंगाड़े बजाए जाते हैं, गीत गाये जाते हैं। लोग घर-घर जा कर एक दूसरे से गले मिलते हैं। मिठाइयां खाते हैं लेकिन इस बार कोरोना की वजह से लोगो में होली मानाने की उत्सुकता तो है। साथ ही बढ़ते कोरोना संक्रमण के कारण देशभर में डर का माहौल भी बना हुआ है। इसलिए एक और जहां वैक्सीनेशन कार्यक्रम तेजी से चलाई जा रहा है। वहीं दूसरी ओर जिला प्रशासन ने होलिका दहन से लेकर रंग खेलने तक भीड़ न करने की अपील की है।

विश्वभर में मनाया जाने वाला पर्व

होली को रंगों का त्यौहार भी कहा जाता है। यह पर्व पारंपरिक रूप से दो दिन मनाया जाता है। पहले दिन को होलिका जलाई जाती है, जिसे होलिका दहन भी कहते हैं। दूसरे यह भारत का एक प्रमुख और प्रसिद्ध त्योहार है, जो आज विश्वभर में मनाया जाता है। इस साल होली का पर्व 29 मार्च 2021 को मनाया जाएगा।

होली सच्चे अर्थों में भारतीय संस्कृति का प्रतीक है, जिसके रंग अनेकता में एकता को दर्शाते हैं। लोग एक दूसरे को प्रेम-स्नेह की गुलाल लगाते हैं। सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता हैं। लोकगीत गाये जाते हैं और एक दूसरे का मुँह मीठा करवाते हैं। ऐसा माना जाता है कि होली के दिन लोग पुरानी कटुता को भूल कर गले मिलते हैं और फिर से दोस्त बन जाते हैं। होली का त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।

होली का शुभ मुहर्त


होली सोमवार, मार्च 29, 2021 को
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – मार्च 28, 2021 को सुबह 03:27 बजे से
पूर्णिमा तिथि समाप्त – मार्च 29, 2021 को सुबह 12:17 बजे तक

मथुरा और वृंदावन में 15 दिनों की होली

भारत में होली का उत्सव अलग-अलग प्रदेशों में अलग अलग तरीके से मनाया जाता है। जहां ब्रज में होली सारे देश के आकर्षण का बिंदु होती है। वहीं लठमार होली भी बरसाने में काफ़ी प्रसिद्ध है। इसमें पुरुष महिलाओं पर रंग डालते हैं और महिलाएँ पुरुषों को लाठियों तथा कपड़े के बनाए गए कोड़ों से मारती हैं। इसी तरह मथुरा और वृंदावन में भी 15 दिनों तक होली का पर्व मनाते हैं। कुमाऊँ की गीत बैठकी होती है जिसमें शास्त्रीय संगीत की गोष्ठियाँ होती हैं। होली के कई दिनों पहले यह सब शुरू हो जाता है। इसके साथ ही हरियाणा की धुलंडी में भाभी द्वारा देवर को सताए जाने की प्रथा प्रचलित है। विभिन्न देशों में बसे हुए प्रवासियों तथा धार्मिक संस्थाओं जैसे इस्कॉन या वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में अलग अलग तरीके से होली के शृंगार व उत्सव मनाया जाता है। जिसमें अनेक समानताएँ भी और अनेक भिन्नताएँ हैं।

कोरोना गाइडलाइन के साथ मनाए होली का त्‍यौहार

हालांकि जिस तरह कोरोना संक्रमण बढ़ता जा रहा है। उसके अनुसार होली खेलने के साथ एहतियात बरतना भी बेहद जरूरी है क्योंकि अभी भी कोरोना का खतरा टला नहीं है। थोड़ी सी समझदारी से संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है। इसलिए होली की मस्‍ती में कोरोना गाइडलाइन को न भूलें। मास्‍क से परहेज न करें। मास्‍क लगाने से आप खुद और दूसरों को भी कोरोना से बचा सकते हैं। होली पर गले मिलना एक परंपरा के तौर पर देखा जाता है, लेकिन इस बार गले न ही मिलें तो अच्छा है। कोरोना संक्रमण का ध्यान रखते हुए गले मिलने की बजाय थोड़ा दूरी मेंटेन कर ही होली की शुभकामनाएं दें। इसके अलावा होली के लिए किसी पार्टी में शरीक होने के बजाए अपने घर पर ही फैमिली के साथ त्योहार मनाए।

इसके साथ ही होली खेलते समय हाथों पर गलव्स चढ़ा लें, उसके बाद ही रंग लगाएं। इतना ही नहीं रंग लगाते वक्त मास्क भी पहनकर रखें। ऐसा करने से आपके नाक और मुंह तक किसी का भी हाथ नहीं पहुंच पाएगा। इसके अलावा होली खेलते समय आपके साथ सैनिटाइजर की छोटी सी बोतल जरूर रखें। किसी को गुलाल लगाने के बाद या कुछ खाने के दौरान आप अपने हाथ सैनिटाइजर से साफ कर सकते हैं। कोरोना काल में बाहर की मिठाई खाने की बजाय घर में बनी हुई गुझियों को खाएं। वहीं यदि आप बुजुर्गों के साथ होली खेलने का मन बना रहे हैं तो उनको सिर्फ तिलक ही लगाएं। दरअसल इस समय कई बुजुर्गों को कोरोना वैक्सीन की पहली डोज दी गई है। ऐसे में उनका खासतौर पर ख्याल रखना जरूरी है।

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