देश का सबसे बड़ा हीरा भंडार: बकस्वाहा के जंगलों में 3.42 करोड़ कैरेट हीरे का अनुमान, पन्ना से 15 गुना ज्यादा डायमंड
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टीआरपी डेस्क। मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में देश का सबसे बड़ा हीरा भंडार मिलने का दावा किया जा रहा है। यहां के बकस्वाहा जंगल में 3.42 करोड़ कैरेट हीरा दबे होने का अनुमान लगाया जा रहा है। जिन्हें निकालने के लिए अब 382.131 हेक्टेयर का जंगल खत्म किया जाएगा। बता दें, अभी तक देश का सबसे बड़ा हीरा भंडार मध्य प्रदेश के ही पन्ना जिले में है। यहां कुल 22 लाख कैरेट हीरे का भंडार है। जिनमें से अब तक 13 लाख कैरेट हीरा निकाला जा चुका है। वहीं बकस्वाहा के जंगल में पन्ना से 15 गुना ज्यादा हीरे का भंडार होने का अनुमान है।

एस्सेल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड को टेंडर हासिल

बंदर डायमंड प्रोजेक्ट के तहत इस स्थान का सर्वे 20 साल पहले शुरू ही हुआ था। दो साल पहले प्रदेश सरकार ने इस जंगल की नीलामी की। आदित्य बिड़ला समूह की एस्सेल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने खनन का टेंडर हासिल किया है। मध्य प्रदेश सरकार ने बकस्वाहा जंगल में हीरा भंडार वाली 62.64 हेक्टेयर जमीन इस कंपनी को 50 साल के लिए लीज पर दे रही है। इस जंगल में 62.64 हेक्टेयर क्षेत्र हीरे निकालने के लिए चिह्नित किया है।

यहीं पर खदान बनाई जाएगी लेकिन कंपनी ने 382.131 हेक्टेयर का जंगल मांगा है। 62.64 हेक्टेयर में हीरा खदान होगी,बाकी 205 हेक्टेयर जमीन का उपयोग खनन करने और प्रोसेस के दौरान खदानों से निकला मलबा डंप करने में किया जा सके। इस काम में कंपनी 2500 करोड़ रुपए खर्च करने जा रही है। पहले आस्ट्रेलियाई कंपनी रियोटिंटो ने खनन लीज के लिए आवेदन किया था। मई 2017 में संशोधित प्रस्ताव पर पर्यावरण मंत्रालय के अंतिम फैसले से पहले ही रियोटिंटो ने यहां काम करने से इनकार कर दिया था।

हीरे निकालने के लिए 2,15,875 पेड़ों की कटाई

इस जंगल के बदले बकस्वाहा तहसील में ही 382.131 हेक्टेयर राजस्व जमीन को वनभूमि में डायवर्ट करने का प्रस्ताव कलेक्टर छतरपुर ने कंपनी को दिया है। हीरे निकालने के लिए पेड़ काटने से पर्यावरण को भारी नुकसान होना तय है। वन विभाग ने जंगल के पेड़ों की गिनती की, जो 2,15,875 है। इन सभी पेड़ों को काटा जाएगा। इनमें 40 हजार पेड़ सागौन के हैं, इसके अलावा केम, पीपल, तेंदू, जामुन, बहेड़ा, अर्जुन जैसे औषधीय पेड़ भी हैं।

इसके अलावा वन्यजीवों पर भी संकट आ जाएगा। मई 2017 में पेश की गई जियोलॉजी एंड माइनिंग मप्र और रियोटिंटो कंपनी की रिपोर्ट में तेंदुआ, बाज (वल्चर), भालू, बारहसिंगा, हिरण, मोर इस जंगल में होना पाया था लेकिन अब नई रिपोर्ट में इन वन्यजीवों के यहां होना नहीं बताया जा रहा है। वहीं इस जमीन पर जंगल विकसित करने पर आने वाली लागत का भुगतान एस्सेल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड कंपनी करेगी। छतरपुर डीएफओ अनुराग कुमार ने बताया कि वर्तमान में पर्यावरण मंत्रालय की ओर से गठित हाई पावर कमेटी के सामने सुनवाई चल रही है। कमेटी से निर्देश मिलने पर नई रिपोर्ट देंगे।

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