टीआरपी डेस्क। कोरोना संकट को थमता न देख उच्च शिक्षण संस्थानों ने भी नई रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। इसके तहत अब वह अपने ज्यादा से ज्यादा कोर्सों को आनलाइन या फिर दूरस्थ शिक्षा के माध्यमों से संचालित करेगे। हालांकि यह सुविधा सिर्फ उन्हीं उच्च शिक्षण संस्थानों को हासिल होगी, जो गुणवत्ता के एक तय मानक को पूरा करेंगे। माना जा रहा है कि इस सुविधा को विस्तार मिलने से दाखिले से वंचित रहने के बाद भी छात्र अपनी पसंद के विषयों और पाठ्यक्रमों में पढ़ाई कर सकेंगे।

योजना पर तेजी से काम

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई) ने फिलहाल इस योजना पर तेजी से काम शुरू कर दिया है। इस बीच एआइसीटीई ने बड़ी संख्या में अपने कोर्सों को ऑनलाइन और दूरस्थ शिक्षा के जरिए पढ़ाने की भी मंजूरी दी है। इनमें आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ), कंप्यूटर एप्लीकेशन, डाटा साइंस, लॉजिस्टिक्स, ट्रेवल एंड टूरिज्म के साथ प्रबंधन और उससे जुड़े कोर्स शामिल हैं।

एआइसीटीई ने छूट दी

खास बात है कि अब तक तकनीकी कोर्सों को ऑनलाइन या दूरस्थ माध्यमों से पढ़ाने की अनुमति कुछ ही संस्थानों को मिली थी लेकिन इस पहल के बाद एआइसीटीई ने गुणवत्ता के तय मानकों को हासिल करने वाले सभी संस्थानों को ऐसे कोर्सों को ऑनलाइन या दूरस्थ माध्यमों से संचालित करने की छूट दे दी है। इसके लिए अब उन्हें अनुमति भी लेनी होगी।

यूजीसी ने भी तेज की पहल

वहीं यूजीसी ने भी इसे लेकर अपनी पहल तेज की है। साथ ही सभी विश्वविद्यालयों और कालेजों से गुणवत्ता के मानकों के आधार पर ऑनलाइन और दूरस्थ माध्यमों से कोर्सों को शुरू करने की अनुमति दी है। इस बीच संस्थानों के लिए गुणवत्ता के जो मानक तय किए गए है, वह राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) और एनबीए (नेशनल बोर्ड आफ एक्रेडेशन) की रैकिंग पर आधारित है।

कोरोना संकट के बीच पहल

उच्च शिक्षण संस्थानों के ज्यादा से ज्यादा कोर्सों को ऑनलाइन करने की यह पहल उस समय शुरू हुई है, जब कोरोना के चलते संस्थानों में दाखिले से लेकर पढ़ाई, परीक्षा आदि का पूरा तंत्र लड़खड़ाया हुआ है। ऐसे में कोई भी छात्र अपनी मनचाही पढ़ाई से वंचित न रहे, इसके तहत उसे ऑनलाइन या दूरस्थ शिक्षा जैसे विकल्प भी मुहैया कराए जा रहे हैं। कोरोना संकट को देखते हुए वैसे भी सरकार का पूरा जोर ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर है।