व्हॉट्सऐप ग्रुप में आपत्तिजनक पोस्ट के लिए ग्रुप एडमिन जिम्मेदार नहीं, बॉम्बे हाईकोर्ट का अहम फैसला
व्हॉट्सऐप ग्रुप में आपत्तिजनक पोस्ट के लिए ग्रुप एडमिन जिम्मेदार नहीं, बॉम्बे हाईकोर्ट का अहम फैसला

टीआरपी डेस्क। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने कहा, है कि व्हॉट्सऐप ग्रुप में एडमिन के पास सदस्यों को जोड़ने या हटाने का सीमित अधिकार रहता है, और वह किसी सदस्य की पोस्ट को संपादित या सेंसर नहीं कर सकता, हाई कोर्ट के मुताबिक व्हॉट्सऐप ग्रुप का कोई सदस्य आपत्तिजनक पोस्ट डालता है, तो उसके लिए ग्रुप एडमिन को अपराधी नहीं ठहराया जा सकता।

क्या है हाइकोर्ट का फैसला ?

  • बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने अपने एक फैसले में व्हॉट्सऐप ग्रुप में एडमिन की भूमिका और जिम्मेदारी के बारे अहम टिप्पणियां की हैं। इन टिप्पणियों का असर ऐसे कई और मामलों पर भी पड़ सकता है। कोर्ट ने कहा है कि किसी व्हॉट्सऐप ग्रुप में अगर कोई सदस्य आपत्तिजनक पोस्ट डालता है, तो उसके लिए ग्रुप एडमिन को अपराधी नहीं ठहराया जा सकता, जब तक कि उस पोस्ट को लेकर आरोपी सदस्य और एडमिन के बीच कॉमन इंटेशन का सबूत न हो।

व्हॉट्सऐप ग्रुप में एडमिन के पास सीमित अधिकार

हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने अपने फैसले में कहा है कि किसी भी व्हॉट्सऐप ग्रुप में एडमिन के पास नए सदस्यों को जोड़ने या उन्हें ग्रुप से बाहर करने का सीमित अधिकार होता है। ग्रुप एडमिन न तो किसी सदस्य की टिप्पणी को पोस्ट किए जाने से पहले सेंसर कर सकता है और न ही उसे संपादित करने का अधिकार उसके पास होता है। ऐसे में किसी सदस्य की आपत्तिजनक टिप्पणी से जुड़े आपराधिक मामले में एडमिन को कसूरवार ठहराना वाजिब नहीं है। हाईकोर्ट ने एक केस की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी करते हुए 33 साल के एक व्हॉट्सऐप ग्रुप एडमिन के खिलाफ दर्ज शिकायत को रद्द करने का आदेश दे दिया।

महाराष्ट्र के गोंदिया जिले का मामला

महाराष्ट्र के गोंदिया जिले के इस मामले में एक व्हॉट्सऐप ग्रुप के एडमिन किशोर तरोने पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने ग्रुप के उस सदस्य के खिलाफ कार्रवाई नहीं की, जिसने ग्रुप की सदस्य एक महिला के खिलाफ आपत्तिजनक और अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया था. इस सिलसिले में अभियोजन पक्ष ने तरोने के खिलाफ यौन उत्पीड़न से जुड़ी कई धाराओं में केस दर्ज करा दिया था. अभियोजन पक्ष का आरोप था कि तरोने ने ग्रुप का एडमिन होने के बावजूद अभद्र टिप्पणी करने वाले शख्स को न तो ग्रुप से निकाला और न ही उससे माफी मांगने को कहा.

ग्रुप एडमिन के पास कंटेंट को सेंसर करने का अधिकार नहीं

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इस मामले में अदालत के सामने मुख्य मसला यह है कि क्या व्हॉट्सऐप ग्रुप के एडमिन को किसी अन्य सदस्य द्वारा डाली गई आपत्तिजनक पोस्ट के लिए आपराधिक तौर पर जिम्मेदार माना जा सकता है? कोर्ट ने कहा कि व्हॉट्सऐप ग्रुप की फंक्शनिंग को देखें तो उसमें एडमिनिस्ट्रेटर वे व्यक्ति होते हैं जो उस ग्रुप को बनाते हैं या उसमें नए सदस्यों को जोड़ने और डिलीट करने का काम करते हैं। हर चैट ग्रुप में एक या ज्यादा एडमिन होते हैं. इन ग्रुप एडमिन के पास सिर्फ सदस्यों को जोड़ने या उन्हें निकालने का सीमित अधिकार होता है। इसके अलावा हर लिहाज से ग्रुप एडमिन और बाकी सदस्य बराबर ही हैसियत रखते हैं. एडमिन के पास किसी भी कंटेंट को ग्रुप में पोस्ट किए जाने से पहले उसे रेगुलेट, मॉडरेट या सेंसर करने का कोई अधिकार नहीं होता।