टीआरपी डेस्क। दुनियाभर में आज अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया जा रहा है। 1 मई 1886 से इसकी शुरुआत हुई थी। इसी दिन अमेरिका में मजदूर यूनियनों ने 8 घंटे से ज्यादा काम ना करने के लिए स्ट्राइक की थी। साल 1877 में मजदूरों ने अपनी मांग तेज करते हुए एक नया आंदोलन खड़ा किया। इसके बाद 1 मई 1886 को अमेरिका के 11 हजार फैक्ट्रियों के लगभग 4 लाख मजदूर एकजुट हुए और अपनी मांग को लेकर व्यापक आंदोलन खड़ा किया।

भारत में इसकी शुरुआत 1 मई 1923 को हुई थी। महामारी के चपेट में आए वैसे तो देश का हर कुनबा परेशान है लेकिन यदि किसी की रोजी-रोटी पर बनी है तो वह हैं ‘मजदूर समुदाय’। पिछले साल लॉकडाउन के बाद इन्हीं मजदूरों की तस्वीर दुनिया भर में वायरल हुई थी और ये सुर्खियों में छाए रहे। कोरोना संक्रमण का प्रसार एक ओर जहां सरकार की पेशानी पर बल डाल रहा है वहीं राहत की खबर यह है कि कुछ देश इससे निपटने में कामयाब हुए हैं।   

सरकार की ओर से समय-समय पर इन मजदूरों के लिए योजनाओं की शुरुआत भी की जाती है। इस क्रम में दिल्ली सरकार ने निर्माण मजदूरों के अकाउंट में 5000 रुपये ट्रांसफर किए और उन सभी मजदूरों और उनके परिवारों को 5 से 10,000 रुपये अकाउंट में ट्रांसफर किए जाएंगे जो संक्रमण के चपेट में आए हों। दिल्ली सरकार इन सभी की RT-PCR रिपोर्ट की जांच पड़ताल आईसीएमआर (ICMR) पोर्टल पर करेगी।

आयुष्मान भारत योजना से जोड़े जाएंगे मजदूर

वहीं बिहार के श्रमिकों के लिए भी अच्छी खबर है। अब उन्हें बीमार होने की स्थिति में इलाज के पैसों के लिए परेशान नहीं होना होगा। श्रम संसाधन विभाग में निबंधित श्रमिकों को केंद्र की आयुष्मान भारत योजना से जोड़ा जा रहा है। तब उनके इलाज पर होने वाला पांच लाख तक का खर्च इस योजना से आच्छादित  होगा। एक मई यानी मजदूर दिवस पर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका एलान कर सकते हैं।

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