जिला अस्पताल के बाहर व्हीलचेयर पर प्रसूता ने दिया बच्चे को जन्म, तत्काल भर्ती करने की बजाय स्टाफ ने भेज दिया था कोरोना जांच को
जिला अस्पताल के बाहर व्हीलचेयर पर प्रसूता ने दिया बच्चे को जन्म, तत्काल भर्ती करने की बजाय स्टाफ ने भेज दिया था कोरोना जांच को

कोरबा। 9 माह की गर्भवती ग्रामीण महिला का प्रसव आखिरकार जिला अस्पताल परिसर के पास व्हीलचेयर पर ही हो गया। अस्पताल में भर्ती करने से पहले उसे कोरोना जांच के लिए भेज दिया गया। इस दौरान जांच केंद्र के पास कतार में मौजूद महिला का दर्द बढ़ गया और उसने वहीँ पर बच्चे को जन्म दे दिया।फ़िलहाल जच्चा और बच्चा स्वस्थ बताए जा रहे हैं।

क़तर में दर्द से कराहती रही महिला

ऊर्जानगरी कोरबा के आईएसओ प्रमाणित जिला अस्पताल में दर्द से कराह रही एक गर्भवती को महतारी एक्सप्रेस भर्ती के लिए जिला अस्पताल लाया गया। नकटीखार निवासी 27 वर्षीय गनेशिया बाई मंझवार दर्द से बेहाल थी, उसे जिला अस्पताल में भर्ती करने से पहले कोरोना जांच कराने को कहा गया।उसके साथ आये मितानिन और उसके परिजन तत्काल व्हील चेयर में बैठा कर जिला अस्पताल के बाहर परिसर में कोरोना जांच केंद्र लेकर पहुचे और केंद्र के बाहर कतार में लग गए।

इस समय सुबह के लगभग 9 बज रहे थे और केंद्र में जांच शुरू ही नही हुआ था, काफी समय बीत जाने के बाद भी जब जांच शुरू नही हुआ और इधर गनेशिया बाई का दर्द से बुरा हाल था, उसकी हालत खराब हो रही थी, जब दर्द बढ़ा तो वह चिल्ला उठी और उसने मौके पर ही बच्चे को जन्म दे दिया। इस दौरान कतार में खड़े सभी लोग हैरान हो गए। यहां जच्चा और बच्चा दोनो को तत्काल व्हील चेयर के सहारे जिला अस्पताल लाया गया और जांच शुरू हुई।

निजी अस्पताल में भी गया था कोरोना की जाँच कराने

प्रसूता गनेशिया बाई के पति देवा नंद ने बताया की उसकी पत्नी को प्रसव के लिए जिला अस्पताल पहले लाया गया, जहाँ उसे पहले कोरोना जांच कराने को कहा गया कोरोना जांच केंद्र सुबह बन्द होने के कारण वह पत्नी को निजी अस्पताल भी लेकर गया, लेकिन वहां भी कोरोना जांच नही हो सका और दर्द से कराह रही पत्नी को लेकर वो दरदर की ठोकरे खाता रहा। आखिर में भगवान ने उसकी सुन ली और जिला अस्पताल के कोरोना जांच केंद्र के बाहर ही उसकी पत्नी ने स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया।

4 साल बाद हुई संतान की प्राप्ति

देवानंद ने यह भी बताया कि शादी के 4 साल बाद उनका पहला बच्चा हुआ है। उसकी पत्नी और बच्चे कोरोना निगेटिव हैं। अस्पताल प्रबंधन पर आरोप लगाते हुए उसने कहा कि अगर इमरजेंसी की स्थिति में प्रसूता की जांच जिला अस्पताल में ही हो जाती तो उसे इतना भटकना नही पड़ता।

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