छत्तीसगढ़: 10 हजार कैदियों की पैरोल पर रिहाई, सुप्रीम कोर्ट के जारी किया आदेश
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टीआरपी डेस्क। सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार राज्य शासन द्वारा बनाई गई हाई पावर कमेटी ने कैदियों को पैरोल पर छोडने की अनुशंसा कर दी है। जिसके बाद प्रदेश के करीब 10 हजार कैदियों में फिर से रिहाई की उम्मीद जगी है। उच्च स्तरीय समिति की अनुशंसा के बाद जिलेवार कैदियों की सूची बनाई जा रही है। माना जा रहा है कि शुक्रवार से जेलों से रिहाई शुरू हो जाएगी।

बता दें, बीते दिनों देश के शीर्ष अदालत ने कोरोना की दूसरी लहर के खतरनाक होने और जेलों में बंद कैदियों की जानमाल की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए देशभर के उच्च न्यायालयों को जेल में बंद कैदियों को पैरोल पर छोड़ने का आदेश जारी किया था। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मद्देनजर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने राज्य शासन के विधि विधायी विभाग को आवश्यक कार्रवाई प्रारंभ करने को कहा था।

हाई कोर्ट के निर्देश के बाद राज्य शासन ने उच्च स्तरीय कमेटी को इस दिशा में त्वरित कार्रवाई की बात कही थी। उच्च स्तरीय समिति की अनुशंसा के बाद जिलेवार कैदिया की सूची बनाई जा रही है। उच्च स्तरीय समिति ने किन कैदियों की पैरोल पर रिहाई होनी है इस संबंध में मापदंड तय कर दिया है। तय मापदंड व दिशा निर्देशों के अनुसार ही कैदियों को पैरोल पर छोड़ा जाएगा।

90 दिनों की पैरोल अवधि

सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार छत्तीसगढ़ के विभिन्न् जेलों में बंद तकरीबन 10 हजार कैदियों को पैरोल पर छोड़ा जाएगा। पैरोल की अवधि 90 दिनों की होगी। रिहाई सशर्त होगी। रिहाई से पहले जमानत की प्रक्रिया पूरी करनी होगी। इसके अलावा संबंधित थाने में भी अपनी उपस्थिति की जानकारी देनी होगी। कोरोना संक्रमण के दौरान घरो पर ही रहना होगा।

इन कैदियों को मिलेगी रिहाई

विभिन्न् अपराध के तहत जिन कैदियों को सात वर्ष की सजा हुई है। जो 15 दिन या इससे अवधि से जेल में बंद है। विभिन्न् अपराध के तहत 10 वर्ष की सजा भुगत रहे ऐसे कैदी जिनकी आयु 60 वर्ष या इससे अधिक की है। भादवि की धारा 307 व 304 के तहत अपराध में सजा काट रहे हैं जो बीते छह महीने से जेल में बंद है।

ये कैदी नहीं होंगे रिहा

उच्च स्तरीय कमेटी ने नारकोटिक्स एक्ट,एनआइए कोर्ट से सजा व आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरों द्वारा दर्ज मामलों में सजा काट रहे कैदियों को पैरोल पर ना छोड़ने की अनुशंसा की है। लिहाजा इन कैदियों की रिहाई नहीं होगी।

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