RBI रिपोर्ट में खुलासा, बैंकों के साथ हुआ 5 लाख करोड़ का लोन फ्रॉड, SBI के साथ सबसे ज्यादा 78 हजार करोड़

बिजनेस डेस्क। SBI Loan Fraud : रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के डेटा के मुताबिक भारत में जितने बैंक संचालन में हैं, उनके साथ 31 मार्च 2021 तक 4.92 लाख करोड़ रुपए का फ्रॉड हुआ है। इसमें प्राइवेट और सरकारी बैंक दोनों शामिल हैं। बैंकों के टोटल क्रेडिट का यह 4.5 फीसदी है। यह खुलासा RTI के जरिए हुआ है। एक रिपोर्ट के मुताबक सौरभ पंधारे ने यह आरटीआई दाखिल किया था।

देश में संचालित 90 बैंक्स और फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशन ने 31 मार्च 2021 तक कुल 45613 फ्रॉड के मामले दर्ज कराए हैं। देश के सबसे बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने सबसे ज्यादा वैल्यु के लोन फ्रॉड का मामला दर्ज कराया है। एसबीआई के साथ 78072 करोड़ रुपए का लोन फ्रॉड हुआ है। उसके बाद सबसे ज्यादा पंजाब नेशनल बैंक के साथ, 39733 करोड़ का धोखा हुआ है। उसके बाद बैंक ऑफ इंडिया के साथ 32224 करोड़, यूनियन बैंक के साथ 29572 करोड़ का फ्रॉड हुआ है। बैंक ऑफ बड़ौदा के साथ 27341 करोड़ का फ्रॉड हुआ है।

टॉप-5 बैंकों का योगदान 42 फीसदी

4.92 लाख करोड़ का लोन फ्रॉड बैंक में टॉप-5 बैंकों का योगदान 42 फीसदी है और ये सभी सरकारी बैंक हैं। इन पांच बैंकों के लोन फ्रॉड की कुल राशि 2 लाख 6 हजार 941 करोड़ है। इनके बाद प्राइवेट बैंकों में ICICI बैंक के साथ 26084 करोड़, IDBI बैंक के साथ 21333 करोड़, कैनरा बैंक के साथ 20861 करोड़, इंडियन ओवरसीज बैंक के साथ 19906 करोड़ और यस बैंक के साथ 19771 करोड़ का लोन फ्रॉड हुआ है।

प्राइवेट बैंकों में ICICI सबसे ऊपर

प्राइवेट बैंकों ICICI बैंक की हिस्सेदारी 5.3 फीसदी है। दूसरे नंबर पर यस बैंक है जिसकी हिस्सेदारी 4.02 फीसदी है। उसकी बाद एक्सिस बैंक की हिस्सेदारी 2.54 फीसदी है। टोटल फ्रॉड में इन तीन बैंकों का योगदान 11.87 फीसदी है। HDFC का इसमें योगदान 0.55 फीसदी है।

फ्रॉड के मामले में प्रोविजनिंग 100 फीसदी

रिजर्व बैंक के नियम के मुताबिक, बैंक जिन लोन को फ्रॉड घोषित करता है उसके लिए प्रोविजनिंग 100 फीसदी है। मोदी सरकार के आने के बाद 2014-15 से 2019-20 के बीच बैंकों के साथ 3.6 लाख करोड़ का लोन फ्रॉड हुआ है। 2019-20 में संदेहास्पद लेनदेन में 159 फीसदी की तेजी दर्ज की गई और यह आंकड़ा 1.86 लाख करोड़ रहा। इसमें 1 लाख से ज्यादा के ट्रांजैक्शन ही शामिल किए गए हैं।

बदले नियम से फ्रॉड खुलासा में तेजी

लोन फ्रॉड में तेजी को लेकर कहा गया है कि फरवरी 2018 में वित्त मंत्रालय ने एक आदेश जारी किया गया था। इसके तहत बैंकों के कहा गया कि 50 करोड़ से ज्यादा वाले नॉन परफॉर्मिंग अकाउंट की जांच फ्रॉड को ध्यान में रखते हुए की जाए और इसकी सूचना CBI को भी दी जाए। यह वजह है कि पिछले दो सालों में फ्रॉड के मामले काफी बढ़ गए हैं।

2261 अकाउंट विलफुल डिफॉल्टर घोषित

RBI की तरफ से जो जानकारी शेयर की गई है उसके मुताबिक 31 दिसंबर 2020 तक 2261 अकाउंट को विलफुल डिफॉल्टर घोषित किया गया है। यह रकम 1.72 लाख करोड़ रुपए है। अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में बैंकों ने 147 नए विलफुल डिफॉल्टर की पहचान की है। इन डिफॉल्टर्स पर बैंकों का करीब 5785 करोड़ बकाया है।

Hindi News के लिए जुड़ें हमारे साथ हमारे फेसबुक, ट्विटरटेलीग्राम और वॉट्सएप पर…