एक जून से खुलेंगे एमपी के सभी टाइगर रिजर्व पार्क, पर्यटकों के लिए तैयार है ट्रैवल इंडस्ट्री

रायपुर। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के वन मंत्री (Forest Minister) विजय शाह ने मध्यप्रदेश में सभी बाघ अभ्यारण्य (Tiger Reserve) और राष्ट्रीय उद्यान (National Park) पर्यटकों के लिए एक जून से खोलने के आदेश जारी कर दिए हैं। इससे पर्यटन क्षेत्र से जुड़े लोगों को राहत मिली है।

मालूम हो कि मध्यप्रदेश को देश में बाघ और तेंदुए के राज्य के तौर पर जाना जाता है। कोविड-19 की दूसरी लहर के मद्देनजर लगभग दो माह पहले प्रदेश के बाघ अभयारण्य और राष्ट्रीय उद्यानों को एहतियान बंद कर दिया गया था।

14 माह से खाली है ट्रैवल इंडस्ट्री

कोरोना काल की मार से पर्यटन इंडस्ट्री भी बेहाल है। दो माह में थोड़ी सी रौनक लौटी ही थी कि फिर से लॉकडाउन की घोषणा कर दी गई। पर्यटन जगत से जुड़े लोगों का कहना है कि 1 जून से 30 जून तक नेशनल पार्क खोले जाने की घोषण की गई है। मगर जून माह में 20 के आस-पास मानसून की भी आमद हो जाती है। ऐसे में कम ही लोग भले ही 15-20 दिन हमें मिले हैं लेकिन यह बहुत बड़ी राहत है। यह पर्यटकों के लिए अच्छा अवसर है दरअसल 2 माह से लोग आपने घरों में बंद है। ऐसे में नेशनल पार्क जाना उनकी सेहत के लिए भी अच्छा और खुले क्षेत्रों में संक्रमण का भी डर नहीं होता।

कोरोना गाइडलाइन का होगा पालन

नेशनल पार्क भले ही पर्यटकों के लिए खोल दिए गए हैं। मगर यहां कोरोना गाइडलाइन का सख्ती से पालन करना होगा। यहां घूमने का शौक रखने वाले पर्यटकों को निगेटिव आरटीपीसीआर टेस्ट रिपोर्ट साथ लानी होगी। जो 72 घंटे के अंदर की होनी चाहिए। साथ ही एक वाहन में 4 से ज्यादा लोग नहीं बैठ सकेंगे। नेशनल पार्क के खोले जाने की घोषणा से पर्यटक भी काफी उत्साहित हैं। लोग ट्रैवल एक्सपर्ट्स से संपर्क कर जानकारी भी ले रहे हैं।

रायपुर से मात्र 180 किमी दूर है कान्हा राष्ट्रीय उद्यान का मुक्की गेट

मध्यप्रदेश में कान्हा, बांधवगढ़, पेंच, सतपूड़ा और पन्ना सहित कई टाइगर रिजर्व और राष्ट्रीय उद्यान हैं। देश में सबसे अधिक बाघों की आबादी के चलते मध्यप्रदेश को ‘‘टाइगर स्टेट’’ के तौर पर जाना जाता है। छत्तीसगढ़ और रायपुर से बड़ी संख्या में लोग यहां जाते हैं। कान्हा राष्ट्रीय उद्यान का मुक्की गेट रायपुर से सिर्फ 180 किलोमीटर की दूर स्थित है। राजधानी से अधिकांश लोग यहां समय बिताने जरूर जाते हैं। कान्हा में लगभग 100 से अधिक छोटे और बड़े रिसॉर्ट हैं, जिनमें ताज और क्लब महिंद्रा जैसी कंपनियां शामिल हैं। दूसरी ओर बांधवगढ़ लगभग 400 किलोमीटर है। यह बाघों के लिए मशहूर है। यह कान्हा और पेंच की तुलना में छोटा है और इसलिए इसमें बाघों का घनत्व सबसे अधिक है।

पेंच लगभग 300 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और पिछले कुछ वर्षों में इसने छत्तीसगढ़ के पर्यटकों के बीच भी काफी लोकप्रिय हुआ है। इन तीनों पार्कों में से पेंच के जंगल शुष्क पर्णपाती है, जबकि कान्हा और बांधवगढ़ मुख्य रूप से साल के जंगल हैं। ये गर्मियों में भी हरे भरे रहते हैं। पेंच नागपुर से सिर्फ 90 किलोमीटर दूर है, इसलिए अधिकांश टूरिस्ट नागपुर से होते हैं।

दिन में 2 बार सफारी की है अनुमति

इन सभी राष्ट्रीय उद्यानों में दिन में 2 बार सफारी की अनुमति है। सूर्योदय के ठीक बाद और सूर्यास्त से ठीक पहले शाम की सफारी। सफारी टिकट एमपी सरकार की वेबसाइट www.mponline.gov.in के माध्यम से ऑनलाइन बुक किए जा सकते हैं। इन तीन राष्ट्रीय उद्यानों में बड़ी संख्या में रिसॉर्ट और आवास सुविधाएं उपलब्ध हैं। यहां एक कमरा 500 से 35000/ रु प्रति रात्री के हिसाब से मिलता है। इन राष्ट्रीय उद्यानों में इसलिए भी पर्यटक रूकना पसंद करते हैं क्योंकि यहां सभी के लिए विकल्प उपलब्ध हैं। वीकएंड, दिवाली, दशहरा, क्रिसमस और होली की छुट्टियों सभी रिसॉर्ट्स भर जाते हैं। यहां एक कमरा भी मिलना मुश्किल होता है।

मानसून की शुरुआत के कारण राष्ट्रीय उद्यान 20 जून के आसपास फिर से बंद हो जाते हैं। लेकिन इस कोरोना काल में 15-20 दिनों के लिए खुले यह अभ्यारण्य पर्यटन इंडस्ट्री को जरूर राहत देंगे। रिसॉर्ट मालिकों, श्रमिकों, गाइडों, ड्राइवरों, ट्रैवल एजेंटों, ट्रैवल एजेंसी कर्मियों से कई लोग कोरोना काल से प्रभावित हुए हैं।

सरकार ने नहीं दिया ध्यान

कोरोना काल की मार से पर्यटन इंडस्ट्री बेहाल है। दो माह में थोड़ी सी रौनक लौटी ही थी कि फिर से लॉकडाउन की घोषणा कर दी गई। सरकार ने पर्यटन से जुड़े लोगों की सुध नहीं ली। 1-30 जून तक नेशनल पार्क खोला जाना हमारे लिए राहत भरा फैसला है।

जसप्रित सिंह भाटिया 
फाउंडर, ट्रैवल आईसक्यूब्स हॉलीडेस

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