सिलगेर में फिर जुटने लगी भीड़, विशाल रैली और सारकेनगुड़ा में जनसभा की तैयारी

टीआरपी डेस्क। सुकमा जिले के सिलगेर सुरक्षा कैंप के विरोध में एक बड़े आंदोलन में ग्रामीणों की भीड़ की वापसी फिर से देखने को मिली है। सिलगेर में बड़ी संख्या में आसपास और दूर-दराज के गांव के ग्रामीण फिर से इकट्ठे होने लगे हैं। मिली जानकारी के अनुसार 27 जून को यह भीड़ एक बड़ी रैली और धरना करने जा रही है। इसके अलावा 28 जून को सारकेनगुड़ा में जनसभा की भी बात कही जा रही है।

यह रैली कितनी बड़ी होगी इसका स्वरूप क्या होगा यह अभी तक तय नहीं है ग्रामीणों सुरक्षा के कैम्प को हटाने की भी मांग रखी जिसपर अड़े हैं। हालांकि सरकार ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया कि इलाके के विकास को ध्यान में रखते हुए सड़क निर्माण की सुरक्षा हेतु कैम्पो को लगाया गया है इसे नहीं हटाया जाएगा।

सरकार द्वारा किसान क्षतिपूर्ति पर विचार किया जा सकता है। इसके अलावा कुछ मांगों को सरकार ने सीधे तौर पर स्वीकार कर ली लेकिन सभी मांगे पूरी ना होने की वजह से एक बार फिर से ग्रामीणों का हुजूम फिर से आंदोलन स्थल में वापसी कर रहा है। इस आंदोलन में 27 28 जून को सामाजिक संगठनों सामाजिक कार्यकर्ताओं और पत्रकारों के साथ कई लोगों को 27 जून को बड़ी रैली की सूचना दी गई है।

मूलवासी बचाओ मंच द्वारा जारी किए गए पोस्टर

ज्ञात हो कि जारी पोस्टर में 28 जून को सारकेगुड़ा की बरसी पर विशाल जनसभा का भी ऐलान किया गया था। ऐसा माना जा रहा है किसिलगेर से धीरे-धीरे ग्रामीण एकत्रित होकर 27 या 28 जून को सारकेगुड़ा पहुंचेंगे। वहीं कुछ इलाके के स्थानीय बताते हैं कि ग्रामीणों की यह भीड़ 28 जून तक बढ़ती चली जाएगी । 28 को सारकेगुड़ा में पूरी भीड़ एक विशाल जनसभा में परिवर्तित हो जाएगी। दरअसल, साल 2012 में 28 जून की रात छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के सारकेगुड़ा में CRPF और छत्तीसगढ़ पुलिस के संयुक्त एनकाउंटर में 17 लोग मारे गए थे। 18 साल से कम उम्र के 6 लोग शामिल थे । 7 साल बाद इस एनकाउंटर की जांच रिपोर्ट सामने आई है। रिपोर्ट के मुताबिक उस मुठभेड़ में नक्सलियों के शामिल होने के सबूत नहीं मिले हैं। मारे गए लोग आम ग्रामीण थे। इससे नाराज नक्सली और ग्रामीण सारकेगुड़ा बरसी को लेकर आंदोलन करने के लिए एकजुट हो रहे हैं।

ग्रामीणों से जबरदस्ती करवाया जा रहा आंदोलन : आईजी

बस्तर IG सुंदरराज पी का कहना है कि नक्सलियों के द्वारा ग्रामीणों को जबरदस्ती कैंप के विरोध में भेजा जा रहा है। अगर ग्रामीण जाने से मना करते हैं या तबीयत खराब होने की बात कहते हैं, तो उन पर 500 से 2000 तक का जुर्माना नक्सलियों के द्वारा लगाया जा रहा है। उनका कहना है कि पुलिस के द्वारा लगातार निगरानी रखी जा रही है।

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