लेमरू में हाथी रिजर्व के नए प्रस्ताव पर विवाद शुरू, "NO GO AREA" कम करने पर सिंहदेव ने जताई आपत्ति
लेमरू में हाथी रिजर्व के नए प्रस्ताव पर विवाद शुरू, "NO GO AREA" कम करने पर सिंहदेव ने जताई आपत्ति

रायपुर। उत्तर छत्तीसगढ़ में प्रस्तावित लेमरु हाथी रिजर्व एरिया में कोयला खदान खोले जाने के मद्देनजर इस एरिया को 80 प्रतिशत तक छोटा करने की वन विभाग की कोशिशों पर विवाद खड़ा हो गया है। वन विभाग ने जिन जनप्रतिनिधियों के अनुरोध को आधार बनाकर 1995 वर्ग किमी के हाथी रिजर्व को 450 वर्ग किमी करने की तैयारी की है, उसे लेकर मंत्री टी एस सिंहदेव ने आपत्ति जताते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखा है।

एलिफेंट रिज़र्व एरिया को कम करने कभी नहीं कहा

स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखकर बताया है कि उन्होंने एलिफेंट रिज़र्व एरिया को कम करने को कभी कहा ही नहीं। उन्होंने तो इन जंगलों को “NO GO AREA” घोषित करने का भी सुझाव दिया था जिसका निर्णय केंद्र की तत्कालीन यूपीए सरकार ने लिया था।

टी एस सिंहदेव ने वन विभाग के उस पत्र का संदर्भ दिया है, जिसमें सिंहदेव और क्षेत्र के सात जनप्रतिनिधियों के अनुरोध पर हाथी अभयारण्य का क्षेत्र 450 वर्ग किमी तक सीमित रखने की बात कही गई है। सिंहदेव ने लिखा है, उस पत्र से ऐसा लगता है कि मेरे द्वारा जनभावनाओं को ध्यान में रखकर यह अनुरोध किया गया है कि लेमरु हाथी रिजर्व का क्षेत्रफल 450 वर्ग किमी तक सीमित रखा जाए। यह पूर्णत: तथ्य विहीन और भ्रामक है।

कोयला खदान के लिए जनप्रतिनिधियों का सहारा

दरअसल सारा कुछ इस इलाके में केंद्र द्वारा प्रस्तावित कोयला खदानों का संचालन शुरू करने के लिए किया जा रहा है। इसके लिए वन विभाग द्वारा इलाके के जनप्रतिनिधियों का सहारा लिया जा रहा है। मनेंद्रगढ़ विधायक डॉ. विनय जायसवाल, लुण्ड्रा विधायक डॉ. प्रीतम राम ने इलाके में हाथियों का रिजर्व होने से लोगों को खतरा होने की चिंता जताई है, जबकि सच तो यह है कि सन 2020 में जब यह मामला उठा था तब खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ट्वीट करके कहा था कि लेमरू रिज़र्व से कोई भी गांव प्रभावित नहीं होगा, वहीं स्वयं PCCF ने पत्र जारी करके आश्वस्त किया था रिज़र्व के लिए कोई भी गांव विस्थापित नहीं होगा, ऐसे में अब इलाके के विधायक चिंता क्यों जता रहे हैं।

अडानी के खदानों को बचाने की कवायद

लेमरू हाथी रिज़र्व को बचाने के लिए शुरू से कवायद कर रहे सामाजिक कार्यकर्त्ता आलोक शुक्ला का कहना है वन विभाग द्वारा यह सारा कुछ अडानी की कोयला खदानों को बचाने के लिए किया जा रहा है। दरअसल केंद्र ने राजस्थान की विद्युत् कंपनी को लेमरू रिज़र्व एरिया में ही कोल् ब्लॉक खोलने की अनुमति दी है, और इस खदान का संचालन अडानी ग्रुप द्वारा किया जायेगा। बताया जा रहा है कि इलाके में पेड़ों की कटाई भी शुरू हो गई है। इस क्षेत्र में और भी कोयला खदान खोले जाने हैं, इसलिए यह सारा उपक्रम किया जा रहा है।

बहरहाल देखना यह है कि सिंहदेव की आपत्ति के बाद वन विभाग की इस कवायद पर रोक लगती है या दूसरे विधायकों का हवाला देकर लेमरू रिज़र्व को छोटा करने का प्रस्ताव मंत्रिमंडल में पारित किया जाता है।

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