केबिनेट विस्तार में छत्तीसगढ़ खाली हाथ, रेणुका सिंह बरकरार, प्रदेश संगठन में फेरबदल के कयास, 2023 में कौन पढ़ें खबरों की खबर

रायपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल के दूसरे विस्तार में छत्तीसगढ़ के राज्य के किसी सांसद को जगह नहीं मिली। बुधवार को जब टीवी पर शपथ ग्रहण समारोह का लाइव टेलिकास्ट चल रहा था तब भी लोगों की निगाह स्क्रीन पर लगी रही। इस विस्तार में छत्तीसगढ़ के किसी नए चेहरे को जगह नहीं मिलने से प्रदेश के लोग निराश दिखे।

बता दें इससे पहले आज हुए ​कैबिनेट विस्तार में बिलासपुर सांसद अरूण साव, दुर्ग सांसद विजय बघेल व राज्यसभा सांसद सरोज पांडेय में किसी एक को मंत्री बनाए जाने के कयास लगाए जा रहे ​थे। मं​त्री बनने वालों की दौड़ में राज्यसभा सांसद व पूर्व मंत्री रामविचार नेताम,राजनांदगांव सांसद संतोष पांडेय के नाम भी गिनाए जा रहे थे। खबर थी कि राज्यसभा सांसद सरोज पांडेय दिल्ली पहुंच चुकी हैं।

रेणुका सिंह का जलवा बरकरार

बता दें इस वक्त केंद्रीय मंत्रिमंडल में राज्य मंत्री के रूप में सरगुजा सांसद रेणुका सिंह छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधितत्व कर रही हैं। कयास लगाए जा रहे थे कि रेणुका सिंह को ड्राप किया सकता है, लेकिन कयास सिर्फ कयास ही साबित हुए। केंद्रीय मंत्रिमंडल में रेणुका सिंह बनी हुई हैं। अब नए मंत्रिमंडल में उन्हें किस विभाग की जिम्मेदारी दी जाएगी ये देखने वाली बात होगी।

2023 से पहले प्रदेश संगठन में बदलाव के कयास

 

सूत्रों के अनुसार छत्तीसगढ़ में 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं, लेकिन इससे पहले प्रदेश संगठन में बड़े बदलाव के कयास भाजपा में लग रहे हैं। आज हुए कैबिनेट विस्तार में इस बात के संकेत भी मिल रहे हैं कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व छत्तीसगढ़ में अभी सत्ता समीकरण में किसी बदलाव के मूड में नहीं है। लेकिन,2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले संगठन को सक्रिय करने प्रदेश संगठन में बड़े बदलाव करने का मूड बना लिया है।

चौंकाने वाले फैसले के लिए जाने जाते हैं मोदी

बता दें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने फैसले से सभी चौंकाने के लिए जाने जाते हैं। मोदी कब क्या फैसला लेंगे इससे पार्टी ही नहीं ​बल्कि विपक्ष के नेता भी हैरान रह जाते हैं। सूत्रों की माने तो छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा छत्तीसगढ़ के जातिय समीकरण को साधने बड़ा फैसला ले सकती है।

खबर आ रही है कि विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ओबीसी वर्ग के किसी बड़े चेहरे को आगे कर चुनाव में उतर सकती है। इसमें सबसे बड़ा नाम रायपुर से सात बार के सांसद रहे एवं वर्तमान में झारखंड़ के राज्यपाल का पद संभाल रहे रमेश बैस का नाम उभर कर सामने आ रहा है।

हालांकि रमेश बैस अभी चुप हैं पर वो पार्टी द्वारा दी जाने वाली किसी जिम्मेदारी को निभाने के तैयार दिख रहे हैं,बैस के हालिया बयान से तो यही लग रहा है कि वो पार्टी नेवृतत्व के निर्देश पर छत्तीसगढ़ की सक्रिय राजनीति में लौटने को तैयार है।

पहले भी रमन सिंह को ड्राप करके दी गई थी छत्तीसगढ़ की जिम्मेदारी, 2023 में कौन

आपको याद दिला दें कि पूर्व प्रधानमंत्री अटलविहारी बाजपेयी के मंत्रिमंडल में छत्तीसगढ़ कोटे से डॉ रमन सिंह और सांसद रमेश बैस को केंद्र में मंत्री बनाए गए थे,बाद में भाजपा नेतृत्व ने डॉ रमन सिंह को ड्राप कर उन्हें छत्तीसगढ़ में भाजपा की कमान सौंपी दी थी। 2003 में हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी ने डॉ रमन सिंह की अगुवाई में चुनाव में उतरी और बंपर जीत के साथ छत्तीसगढ़ में पहली बार भाजपा की सरकार बनी, तब रमेश बैस केंद्र में मंत्री पद की जिम्मेदारी संभाल रहे थे।

कयास लगाए जा रहे हैं कि पार्टी अब वहीं घटनाक्रम दोहरा सकती है। हैरानी नहीं है कि अगर 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी नेतृत्व रमेश बैस को छत्तीसगढ़ भाजपा की कमान सौंपे दें। रमेश बैस ओबीसी बाहुल्य छत्तीसगढ़ राज्य में पिछड़ा वर्ग समाज में भाजपा के बड़ा चेहरा माने जाते हैं। बैस 7 बार रायपुर के सांसद रह चुके हैं। आज हुए केद्रीय मंत्रिमंडल विस्तर के बाद भाजपा में दबी जुबान से इस बात चर्चा जोर पकड़ने लगी है कि आने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बैस के छत्तीसगढ़ की सक्रिय राजनीति में लौटने के आसार बढ़ गए हैं।

फिलहाल तो कैबिनेट विस्तार में छत्तीसगढ़ के हाथ खाली रह गए मगर भविष्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चौंकाने वाला फैसला ले सकते हैं। पार्टी के थिंकटैंक का कहना है कि अभी भाजपा नेतृत्व ने अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के नफा नुकसान को देख कर अपना फैसला लिया है। छत्तीसगढ़ का फैसला मोदी के अगले क्रम में होगा।

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