अंबिकापुर। जिला सहकारी बैंक सरगुजा के प्रबंधक ने संभाग की सौ सेवा सहकारी समितियों को लगभग 13 करोड़ का धान शॉर्टेज होने के मामले में नोटिस जारी किया है। सरगुजा संभाग की इन समितियों के माध्यम से संचालित धान खरीदी केंद्रों में काफी मात्रा में धान का शॉर्टेज हो गया है।
अब इन समितियों का स्पेशल ऑडिट होगा, अगर धान कम पाया गया तो समिति से या तो वसूली होगी या फिर उनके खिलाफ FIR दर्ज कराया जायेगा। उधर विधानसभा में भी धान के शॉर्टेज और उठाव को लेकर विपक्ष ने सरकार को कटघरे में खड़ा किया।
बता दें कि सरकार द्वारा किसानों से समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी प्रदेश भर में संचालित सेवा सहकारी समितियों के माध्यम से कराई जाती है। इन समितियों को खरीदी के लिए फंड सहकारी बैंकों के माध्यम से उपलब्ध कराया जाता है। नियम के मुताबिक केंद्रों में खरीदी के बाद धान का उठाव यथाशीघ्र किया जाना चाहिए, मगर इसमें काफी विलम्ब हुआ, और जब सरगुजा संभाग में संचालित सेवा सहकारी समितियों में रखे धान के स्टॉक का सत्यापन कराया गया तब भरी मात्रा में धान की कमी पाई गई।
इन चार जिलों में मिला धान का शॉर्टेज
जिला सहकारी बैंक सरगुजा के प्रबंधक सुनील सोढ़ी ने बताया कि अंबिकापुर, बलरामपुर, कोरिया और सूरजपुर में कुल 52 हजार क्विंटल धान की कमी पायी गई। इनमे अंबिकापुर की 22 समितियों में 8 हजार क्विंटल, बलरामपुर की 31 समितियों में 20 हजार क्विंटल, कोरिया की 20 समितियों में 4 हजार क्विंटल और सूरजपुर की 27 समितियों में 20 हजार क्विंटल धान का कम स्टॉक मिला। शॉर्टेज धान की कुल कीमत 13 करोड़ रूपए होती है।
स्पेशल ऑडिट के बाद होगी कार्रवाई
सुनील सोढ़ी ने बताया कि चारों जिलों के कुल सौ समितियों को शेष धान जमा करने के लिए नोटिस जारी किया गया है। इसके साथ ही स्पेशल ऑडिट के लिए कमेटी गठित की जा रही है, जिसमें जिला पंजीयक, जिला विपणन अधिकारी और खाद्य विभाग के अधिकारी शामिल रहेंगे।
इनके द्वारा स्थल पर जाकर स्टॉक का मिलान किया जायेगा। समिति की रिपोर्ट में जो भी शॉर्टेज आएगा, उसे अगर संबंधित सहकारी समितियों ने जमा नहीं किया तो उनसे धन की कीमत वसूल की जाएगी, अन्यथा समितियों के खिलाफ FIR दर्ज कराया जायेगा।
विधानसभा में गूंजा मामला
विधानसभा के मानसून सत्र के आखिरी दिन धान के उठाव का मुद्दा आज सदन में उठा। भाजपा विधायक शिवरतन शर्मा के सवाल के जवाब में मंत्री प्रेमसाय सिंह ने बताया कि बीते वर्ष 92 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी हुई है, धान का उठाव किया जा रहा है, अब भी 21 लाख मीट्रिक टन धान केंद्रों में शेष बचा है।
मंत्री ने यह भी बताया कि उपार्जन केंद्र से 72 घंटे के भीतर धान का उठाव हो जाना चाहिये। तब विधायक शिवरतन ने कहा कि 72 घंटे की समय सीमा है, लेकिन 7 महीने बाद भी धान का उठाव नहीं किया गया है। उपार्जन केंद्रों में धान खराब हो रहे हैं। इसका जिम्मेदार आखिर कौन होगा?
समितियां बनती हैं बलि का बकरा
विधायक शिवरतन शर्मा ने इस मौके पर कहा कि धान का वक्त पर उठाव नहीं होने से उसका वजन सूखने से कम हो जाता है, और इससे होने वाले नुकसान का ठीकरा सहकारी समितियों पर फोड़ा जाता है। प्रदेश भर की सहकारी समितियां इसी वजह से बर्बाद हो रही हैं। इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष ने खाद्य मंत्री अमरजीत भगत और सहकारी मंत्री प्रेमसाय सिंह को निर्देश दिया कि जल्द ही बैठक कर इस मामले को सुलझायें।
बता दें कि इस बार छत्तीसगढ़ की सरकार ने समर्थन मूल्य पर धान की बंपर खरीदी की है। यही वजह है कि महीनों बीत जाने के बावजूद सैकड़ों धान खरीदी केंद्रों से आज भी धान का स्टॉक पड़ा हुआ है, और उसे कौन उठवायेगा यह भी तय नहीं हो सका है।
हालाँकि इसी की आड़ में समिति के संचालक भी गड़बड़ी करते हैं और लाखों रुपयों का गबन कर लेते हैं। बहरहाल सरगुजा संभाग के बाद दूसरे इलाकों में भी सत्यापन के बाद इसी तरह की गड़बड़ियां सामने आएगी ऐसा जानकारों का मानना है।
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