नई दिल्ली। केंद्र सरकार की ओर से कोविशील्ड वैक्सीन की दो डोजों के बीच अंतर एक बार फिर से घटाया जा सकता है। हालांकि यह अंतर 45 साल या फिर उससे अधिक आयु के लोगों के लिए ही कम किया जाएगा।

रिपोर्ट के मुताबिक अगले दो सप्ताह में इस संबंध में फैसला लिया जा सकता है। कोविड-19 वर्किंग ग्रुप के चेयरमैन डॉ. एनके अरोड़ा ने एक इंटरव्यू में यह बात कही है। यह फैसला वैज्ञानिक सबूतों के आधार पर किया जाएगा। फिलहाल सभी वयस्कों को कोविशील्ड वैक्सीन की पहली डोज लेने के बाद दूसरा टीका 12 से 16 सप्ताह के गैप पर लग रहा है।
टीकों की कमी नहीं इसके प्रभाव को लेकर स्टडी
देश में टीकाकरण की शुरुआत में यह अंतर 4 से 6 सप्ताह ही रखा गया था। इसके बाद में 4 से 8 सप्ताह तक बढ़ाया गया और फिर 12 से 16 सप्ताह तक का अंतर किया गया था। शुरुआती दौर में दोनों डोज के बीच अंतर को लेकर कोई विवाद नहीं हुआ था, लेकिन जब इस गैप को 12 से 16 सप्ताह तक किया गया तो इसे टीकों की कमी से भी जोड़ा गया था।
हालांकि सरकार का कहना था कि यह फैसला टीकों की कमी के चलते नहीं बल्कि वैक्सीन के प्रभाव को लेकर लिया गया है। एक्सपर्ट्स के हवाले से सरकार का कहना था कि दोनों डोज के बीच गैप ज्यादा रहने से एंटीबॉडीज ज्यादा जनरेट होती हैं।
नई स्टडी में सामने आई वजह
एक्सपर्ट्स का कहना था कि पहली डोज से एंटीबॉडीज ज्यादा जनरेट होती हैं। ऐसे में दूसरी डोज देरी से दी जानी चाहिए ताकि पहली वाली खुराक अपना काम कर सके। हालांकि केंद्र सरकार की ओर से गैप बढ़ाए जाने के कुछ दिनों बाद ही एक नई स्टडी आई थी। इसमें कहा गया था कि कोविशील्ड की पहली डोज से ज्यादा एंटीबॉडीज बनने का अनुमान पूरी तरह से सही नहीं था।
गौरतलब है कि फिलहाल देश में कोविशील्ड, कोवैक्सिन और स्पूतनिक वैक्सीन दी जा रही हैं। इस बीच देश में कोरोना की तीसरी लहर की आशंकाएं तेज हो गई हैं। बीते कई दिनों से देश में 40,000 से ज्यादा नए कोरोना केस मिल रहे हैं।
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