बुंदेलखंड के इस गांव में अंग्रेजों के जमाने से हर साल होता है महिलाओं का अनोखा दंगल, जानें कैसे शुरू हुई परपंरा

हमीरपुर। उत्तर प्रदेश के बुन्देलखंड क्षेत्र में एक गांव में अंग्रेजों के जमाने से हर साल होने वाले महिलाओं के अनोखे दंगल को लेकर तैयारियां शुरू हो गई है। सैकड़ों साल पुराने महिलाओं के इस दंगल में पुरुषों की नो इन्ट्री रहती है। इस दंगल में तमाम युवा और बुजुर्ग महिलाएं अखाड़े में भिड़ती हैं।

अपनी हिफाजत के लिए कुश्ती के दांवपेंच सीखे थे गांव की महिलाओं ने

हमीरपुर जिले के मुस्करा क्षेत्र के लोदीपुर निवादा गांव में अंग्रेजों के जमाने में महिलाओं के अनोखे दंगल का आगाज हुआ था। गांव के बुजुर्ग श्रीराम राजा पाठक ने बताते हैं कि ब्रिटिश हुकूमत में फौजों ने यहां लोगों पर बड़ा अत्याचार किया था। अंग्रेजी फौज के जुल्म से गांव के लोग परेशान थे। पुरुष घरों में भी नहीं रह पाते थे। तब महिलाओं ने अपनी हिफाजत के लिए कुश्ती के दांवपेंच सीखे थे।

रिटायर्ड शिक्षक जगदीश चन्द्र जोशी ने बताया कि अंग्रेजों के अत्याचार से गांव के पुरुष जान बचाने के लिये इधर-उधर भाग जाते थे तब महिलाओं ने अंग्रेजी फौजों से निपटने के लिये कुश्ती के सारे दांव घर के आंगन में सीख लिए थे। तभी से गांव में महिलाओं के अनोखे दंगल का आगाज हुआ था।

रक्षाबंधन के अगले दिन होता है दंगल

यह अनोखा दंगल रक्षाबंधन त्यौहार के अगले दिन होता है जिसमें पूरे गांव की महिलाएं शामिल होती हैं। दंगल से कुछ दिन पहले गांव की महिलाएं अपने घरों में जवारे बोती हैं। फिर दंगल के दिन सभी महिलाएं मंगल गीत गाते हुए अखाड़े तक पहुंचती हैं।

दंगल में खासकर घूंघट वाली महिलाओं की कुश्तियां होती है। गांव की प्रधान गिरजा देवी बताती हैं कि दंगल का आयोजन और अखाड़े में होनी वाले सभी कार्यक्रमों में सिर्फ महिलाएं व किशोरियां भी भाग लेगी। पुरुषों के दंगल के आसपास जाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा।

दंगल के आसपास भी नहीं फटक पाते पुरुष

ग्राम प्रधान बताती हैं कि दंगल के चारो ओर पुरुषों पर नजर रखने के लिए महिलाओं की एक टुकड़ी लाठी-डंडे से लैस होकर मुस्तैद रहती है। किसी पुरुष ने दंगल में प्रवेश करने का प्रयास भी किया तो अखाड़े के बाहर इन्हें महिलायें खदेड़ देती हैं।

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