गाजर घास उन्मूलन सप्ताह का जांजगीर में हुआ शुभारंभ
गाजर घास उन्मूलन सप्ताह का जांजगीर में हुआ शुभारंभ

जांजगीर-चांपा। कृषि विज्ञान केन्द्र, जांजगीर चाम्पा द्वारा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के निर्देशानुसार 16 अगस्त से 22 अगस्त तक गाजर घास उन्मूलन सप्ताह मनाया जा रहा है। इस कार्यक्रम का आगाज कलेक्टर जितेन्द्र शुक्ला द्वारा कलेक्टर कार्यालय परिसर में नव निर्मित उद्यान में फैल रहे गाजर घास के झुण्ड में मेक्सिकन बीटिल कीट के समूह को छोड़कर किया गया।

इस मौके पर कलेक्टर जितेन्द्र शुक्ला ने बताया कि गाजर घास न केवल फसलों बल्कि मनुष्यों व पशुओं के लिए भी एक गंभीर समस्या है। उन्होंने कृषकों, विभाग प्रमुखों और जनसमुदाय से अपील कर कहा कि वे अपने आसपास दिख रहे गाजर घास को बढ़ने न दे व उन्हें फूलने से पूर्व ही नष्ट कर देवे।

कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रमुख डॉ. राजीव दीक्षित ने बताया कि गाजर घास भारत देश का खरपतवार नहीं है। यह गेहूं के साथ मेक्सिको से आयातित हुआ था। यह पूरे वर्ष भर उगता व फलता फूलता रहता है। बहुतायत रूप से गाजर घास के पौधे खाली स्थान, अनुपयोगी भूमियों, औद्योगिक क्षेत्रों, सड़क के किनारो रेलवे लाइनों के किनारों पर पाए जाते है।

ये बीमारियां होती हैं गाजर घास से

गाजर घास के लगातार संपर्क में आने से डर्मेटाइटिस, एग्जिमा एलर्जी, बुखार, दमा आदि बीमारियों का खतरा बना रहता है। केन्द्र के वैज्ञानिक शशिकांत सूर्यवंशी ने बताया कि इसको खाने से पशुओं में अनेक प्रकार के रोग पैदा हो जाते है व दुधारू पशुओं के दूध में कडवाहट आने लगती है। इसका उन्मूलन यांत्रिक, भौतिक, रासायनिक और जैविक विधि से किया जा सकता है। रंजीत मोदी ने बताया कि कलेक्टर द्वारा गाजर घास उन्मूलन हेतु जो मेक्सिकन बीटिल छोड़ा गया है, वह जैविक विधि अंतर्गत आता है और काफी कारगार है। यह पौधों की पत्तियों को पूरी तरह से खाकर पौधों को पत्ती रहित कर देता है।

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