तालिबान के कब्जे के बाद लाखों अफगानी हुए बेरोजगार, अपने परिजनों को लेकर चिंतित है छत्तीसगढ़ में पढ़ाई कर रहा फतुल्लाह

रायपुर। “अफगानिस्तान में तालिबानियों के कब्जे के बाद वहां लाखों लोग बेरोजगार हो गए हैं। कई लोग डर से अपने घरों में दुबके हुए हैं। अफनिस्तान के लोगों ने दो दशक पहले भी तालिबान की सत्ता देखी है और तब के हालात को देखते हुए लोग तालिबान की सत्ता स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं।”

यह बात अफगानिस्तान से यहां आकर BSC एग्रीकल्चर की पढाई कर रहे फतुल्लाह ने बताई। बीते 04 साल से रायपुर में रह रहे फतुल्लाह को अब अपने परिजनों की चिंता सता रही है।

दो देशों के बीच सांस्कृतिक संबंधों को बनाये रखने की योजना के तहत फतुल्लाह को चार साल पहले अफगानी सरकार ने अपने खर्चे पर भारत भेजा। यहां वह रायपुर के कृषि विश्वविद्यालय में रहकर BSC एग्रीकल्चर की पढाई कर रहा है और उसका फाइनल ईयर चल रहा है।

TRP NEWS से बातचीत में फतुल्लाह ने बताया कि अफगानिस्तान में हालात बहुत बुरे चल रहे हैं। वह मूलतः अफगान के कुनड़ प्रोविंसेस के दराईपेच इलाके का रहने वाला है, और वहां भी तालिबान के लोग पहुँच गए हैं। उसके इलाके में फ़िलहाल आवश्यक सामग्रियां मिल रही हैं मगर चीजें महँगी हो गईं हैं।

काम छोड़कर घरों में दुबके लोग

फतुल्लाह ने अफगानिस्तान की हालत बयां करते हुए बताया कि लोग डर के मारे घरों में छिपे हुए हैं, उनका काम छिन गया है और बीते दो महीने से उन्हें वेतन नहीं मिल रहा है, इसलिए उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर होती जा रही है। कई लोग तो दूसरे देशों में भागना चाहते हैं, मगर सारे बॉर्डर बंद पड़े हैं।

तालिबानी सत्ता स्वीकार्य नहीं

अफगान के लगभग सभी इलाकों में तालिबानियों का कब्ज़ा हो गया है, मगर अफगान के लोगों को तालिबानी सत्ता किसी भी हालत में स्वीकार नहीं है। दरअसल यहां के लोगों ने सन 1996 से 2001 तक तालिबान की सत्ता देखी है, और तब के तालिबान के क्रूर शासन को याद करके लोग आज भी सिहर जाते हैं। फतुल्लाह का कहना है कि तालिबान अगर शरियत के दायरे में रहकर सरकार चलाये तो कोई दिक्कत नहीं, मगर तालिबानी खुद ही शरीयत का उल्लंघन कर रहे हैं, ऐसे में उनके रवैये में बदलाव आएगा ऐसा सोचना बेवकूफी होगी।

अमेरिका को मानते हैं दोषी

अफगान पर तालिबानी कब्जे को लेकर फतुल्लाह का कहना है कि सन 2001 के बाद जब अफगान में दूसरी सरकार आयी तब यहां का काफी विकास हुआ, उन्हें रूढ़िवादी ताकतों से छुटकारा मिला और महिलाओं को भी आजादी मिली, अमेरिका और दूसरे देशों के संगठन नाटो के सहयोग से अफगान में काफी काम हुआ, मगर अमेरिका ने तालिबान से एग्रीमेंट कर लिया कि वह अफगान से सैनिकों को वापस बुलवा लेगा, इसके साथ ही अफगान में तालिबानियों का कब्ज़ा हो गया। यही वजह है कि अफगान के लोग इस घटनाक्रम के लिए अमेरिका को दोषी मानते हैं।

वीजा बढ़ाने की मांग

फतुल्लाह का कहना है कि वर्तमान में अफगान में जिस तरह के हालात हैं उसके चलते वह फ़िलहाल अफगान वापस लौटना नहीं चाहता। इसलिए भारत सरकार से उसकी मांग है कि उसके वीजा की अवधि बढ़ाई जाये। उसकी तरह भारत में लगभग 30 हजार अफगानी छात्र अलग-अलग शहरों में पढाई कर रहे हैं। फतुल्लाह ने बताया कि शुरुआत में उसे यहां अच्छा नहीं लगता था, मगर अब तो यहां बहुत सारे क्लासमेट दोस्त बन गए हैं। यहां उसे सुरक्षा के बतौर कम्युनिटी हाल में कमरा दिया गया है, और उसे कैंपस से बाहर जाने की मनाही होती है।

फतुल्लाह ने बताया कि उसके पिता शिक्षक थे, और अब वे सेवानिवृत्त हो गए हैं। उसका 7 भाई और 3 बहनों का भरापूरा परिवार है। उसके दो भाई पुलिस में हैं, तालिबानी उन्हें काम पर बुला रहे हैं, मगर वे डर से जा नहीं रहे हैं, वहीं एक भाई मेडिकल तो दूसरा कम्प्यूटर की पढाई कर रहा है। फ़िलहाल वह अपने देश को लेकर चिंतित है, और अपने भविष्य को लेकर भी, क्योंकि अफगान में फ़िलहाल सबकुछ ठप्प पड़ा हुआ है, और वहां लॉक डाउन के जैसे हालत हैं।

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