रोहिणी आयोग की रिपोर्ट के आधार पर जाति आधारित जनगणना को मिल सकती है मंजूरी

टीआरपी डेस्क। मोदी सरकार जाति जनगणना को मंजूरी दे सकती है। कोरोना के कारण अब तक राष्ट्रीय जनगणना प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी है। सरकार जातीय जनगणना पर हड़बड़ी नहीं दिखा रही। सरकार इस संबंध में सरकार को रोहिणी आयोग की रिपोर्ट का भी इंतजार है।

दरअसल इस मुद्दे पर कई विपक्षी दलों तथा सरकार के घटक दलों का रुख भी मुखर है। जदयू, अपना दल, आरपीआई जैसे दल लगातार जातीय जनगणना की मांग कर रहे हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव सहित राज्य के कई दलों के नेता सोमवार को इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री से मुलाकात करने वाले हैं।

नीतीश के दांव से बढ़ी हलचल

बिहार विधानसभा ने दो बार जातीय जनगणना के समर्थन में सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित किया है। नीतीश ने राष्ट्रीय स्तर पर जातीय जनगणना नहीं होने पर बिहार में अलग से जातीय जनगणना कराने की घोषणा की है। बता दें कि बिहार जातीय रूप से सर्वाधिक संवेदनशील राज्य है।

इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि नब्बे के दशक में मंडल बनाम कमंडल राजनीति में जहां उत्तर प्रदेश में कमंडल की राजनीति मंडल पर हावी हुई थी, वहीं बिहार में लालू प्रसाद यादव अजेय नेता के रूप में उभरे थे।

कोरोना के कारण टल रहे जनगणना कार्य का पहला चरण अब अगले साल ही शुरू होने की उम्मीद है। वहीं इसका दूसरा चरण 2023 में शुरू होगा, जिसमें जनगणना, भाषा, साक्षरता, पलायन जैसे विषय शामिल होंगे।

जाहिर तौर पर ऐसे में जनगणना का मूल कार्य 2023 से शुरू हो कर 2024 के लोकसभा चुनाव तक चलेगा। इसलिए सरकार जातीय जनगणना के सवाल पर जल्दबाजी दिखाने के मूड में नहीं है।

क्या है रोहिणी आयोग

ओबीसी आरक्षण को संतुलित करने के लिए सरकार ने रोहिणी आयोग गठित की है, जिसकी रिपोर्ट आना बाकी है। आयोग को कई बार विस्तार मिल चुका है। उम्मीद जताई जा रही है आयोग इस साल के अंत तक अपनी रिपोर्ट दे देगा।

वर्तमान में 2,700 जातियां ओबीसी में शामिल हैं। इनमें से 1700 जातियां अब भी आरक्षण के लाभ से वंचित हैं। एक अनुमान के मुताबिक ओबीसी में शामिल करीब तीन दर्जन जातियां आरक्षण का 70 फीसदी लाभ हासिल कर रही हैं।

कर्नाटक में भी जाति जनगणना पर जारी है विचार 

कर्नाटक में भी जाति जनगणना पर विचार किया जा रहा है। मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने रविवार को कहा कि सरकार इस पर विचार कर रही है, लेकिन यह मसला अभी अदालत और पिछड़ा वर्ग आयोग के पास विचाराधीन है।

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