रायपुर। एक तरफ छत्तीसगढ़ में सत्ता की लड़ाई चल रही है। वहीं इस बीच भारतीय जनता पार्टी बस्तर में चिंतन करने जा रही है। छत्तीसगढ़ की राजनीति में बस्तर ही तय करता है कि सत्ता किसके हाथ में जाएगी। शायद यही वजह है कि बीजेपी सत्ता से बाहर होते ही उन्हें बस्तर की याद आई।
राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो 2023 के विधानसभा चुनावों की तैयारी के लिए बस्तर घाटी का चुनाव भी उनकी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। पिछले विधानसभा चुनाव में नक्सल प्रभावित इलाकों में बीजेपी की पकड़ ढीली हुई है, लिहाजा अगले विधानसभा चुनावों में पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भरने की शुरुआत इसी इलाके से की जा रही है।
बता दें कि बीजेपी का यह पहला चिंतन शिविर है, जो राजधानी रायपुर से बाहर किया जा रहा हो। अब तक यह सिर्फ रायपुर में ही होता रहा है। एक और दो सितंबर को दो दिवसीय चिंतन शिविर का आयोजन किया जा रहा है।
भारतीय जनता पार्टी द्वारा भूपेश बघेल सरकार की नीतियों के खिलाफ कई स्तरों पर विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। हाल ही में, खाद्य की कमी को लेकर पूरे राज्य में मुहिम चलाई थी। भाजपा का कहना है कि अब राज्य में अकाल जैसे हालात पैदा हो रहे हैं। बीजेपी समय समय पर मुद्दे उठा रही है लेकिन अपनी बात और मजबूत करने और पार्टी के लिए 2023 का रोडमैप तैयार करने की जरूरत है।
इस चिंतन में पार्टी के कई सीनियर लीडर भी शामिल होंगे, जिनमें भाजपा के राष्ट्रीय संयुक्त महासचिव (संगठन) शिव प्रकाश, राष्ट्रीय महासचिव बीएल संतोष, राष्ट्रीय महासचिव प्रभारी डी पुरंदेश्वरी और सह प्रभारी नितिन नवीन सिन्हा का नाम प्रमुख है। भाजपा के नेताओं का कहना है कि इस चिंतन शिविर में पार्टी कार्यकर्ताओं को बताया जाएगा कि कैसे कांग्रेस के अधूरे कामों को जनता के सामने लाया जाए। हालांकि अबतक इस शिविर में शामिल होने वालों की लिस्ट सार्वजनिक नहीं हो सकी है।
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