Life imprisonment to a sweeper who raped three girls, the court also convicted the school management
तीन बच्चियों से दुष्कर्म करने वाले सफाईकर्मी को आजीवन कारावास, स्कूल प्रवंधन को भी कोर्ट ने ठहराया दोषी

टीआरपी डेस्क। दुर्ग जिले में तीन मासूम बच्चियों से दुष्कर्म करने के मामले में अदालत ने सफाईकर्मी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही स्कूल प्रवंधन पर त्वरित कार्रवाई न करने पर दोषी ठहराया है। जिसमें प्रधान अध्यापक डेनियल वर्गीस, एक अन्य कर्मचारी साजन थॉमस और अन्य दो महिला शिक्षक शामिल हैं।

दुर्ग जिले के शासकीय अधिवक्ता बालमुकुंद चंद्राकर ने मंगलवार को बताया कि सोमवार को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश डॉक्टर ममता भोजवानी की अदालत ने चार से पांच वर्ष की बच्चियों का यौन शोषण के मामले में मुख्य आरोपी एस सुनील और चार अन्य को दोषी ठहराया। चंद्राकर ने बताया कि अदालत ने सुनील को बच्चियों से दुष्कर्म के मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 376 के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।

यह भी पढ़ें :- RAIPUR BREAKING : पेट्रोल पंप कर्मचारी से बदसलूकी करने वाला आरक्षक निलंबित, SP ने जारी किया आदेश

स्कूल प्रवंधन ने बरती लापरवाही

अधिवक्ता ने बताया कि 25 फरवरी 2016 को एक बच्ची के पिता ने जिले के भिलाई नगर थाने में मामला दर्ज कराया था कि शहर के सेक्टर-छह स्थित एक स्कूल में सफाई कर्मचारी सुनील ने उसकी बेटी का यौन शोषण किया था। घटना के दौरान बच्ची स्कूल में नर्सरी की छात्रा थी। उन्होंने बताया कि शिकायत के दौरान बालिका के पिता ने वर्गीस, नर्सरी सेक्शन प्रभारी होल्कर और थॉमस के खिलाफ भी मामला दर्ज कराया था। बच्ची के पिता ने आरोप लगाया था कि जब वह शिकायत लेकर स्कूल पहुंचे तब उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की थी।

यह भी पढ़ें :- छत्तीसगढ़ मौसम: सिकासेर बांध के 22 में से खोले गए 17 गेट, इन सात जिलों में रेड अलर्ट जारी

दूसरी बार भी आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज

चंद्राकर ने बताया कि इसके बाद दो अन्य बच्चियों के परिजनों ने भी स्कूल में अपनी ​बच्चियों के साथ यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज कराया था। दोनों बच्चियों के परिजनों ने भी होल्कर के खिलाफ मामला दर्ज कराया था। चंद्राकर ने बताया कि अदालत ने तीनों मामलों में होल्कर को छह महीने कठोर कारावास और 10-10 हजार रूपए जुर्माना की सजा सुनाई है। वहीं नायक और थॉमस को उनसे संबंधित आरोप के मामले में छह महीने कठोर कारावास और 10 हजार रूपए जुर्माने की सजा सुनाई गई है।

लैंगिक अपराधों से बच्चों का संर​क्षण

शासकीय अधिवक्ता ने बताया कि अदालत ने इस मामले में स्कूल के प्रधानाध्यापक वर्गीस को एक साल कठोर कारावास और 20 हजार रूपए जुर्माने की सजा सुनाई है। चंद्राकर ने बताया कि स्कूल के प्रधान अध्यापक और कर्मचारियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 202 और लैंगिक अपराधों से बच्चों का संर​क्षण (पॉक्सो) कानून की धाराओं के तहत दोषी ठहराया गया है।

Hindi News के लिए जुड़ें हमारे साथ हमारे
फेसबुक, ट्विटरयूट्यूब, इंस्टाग्राम, लिंक्डइन, टेलीग्रामकू और वॉट्सएपपर