डीएवी-मुख्यमंत्री विद्यालय का प्रबंधन वापस लेने पर विचार कर रही है राज्य सरकार : भूपेश
डीएवी-मुख्यमंत्री विद्यालय का प्रबंधन वापस लेने पर विचार कर रही है राज्य सरकार : भूपेश

बेमेतरा। छत्तीसगढ़ में पूर्व की भाजपा सरकार ने विकास खंड स्तर पर मॉडल स्कूलों की स्थापना की थी, मगर संचालन सही ढंग से नहीं होने के चलते इन स्कूलों को DAV प्रबंधन को सौंप दिया गया, मगर अब वर्तमान सरकार इसका संचालन अपने हाथ में लेने की योजना बना रही है। बेमेतरा प्रवास के दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने यह बात कही।

मॉडल स्कूलों का नवोदय की तरह हो सकता था संचालन

बेमेतरा प्रवास के दौरान आयोजित पत्रकार वार्ता में डीएवी-मुख्यमंत्री पब्लिक स्कूलों की बदहाली को लेकर उठाये गए सवाल पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्वर्गीय राजीव गाँधी के कार्यकाल में देश भर में स्थापित किये गए जवाहर नवोदय विद्यालय की सफलता का जिक्र किया और बताया कि नवोदय विद्यालय काफी अच्छे ढंग से चल रहे हैं। इसी तरह छत्तीसगढ़ में बनाये गए मॉडल स्कूलों का संचालन भी अच्छी तरह हो सकता था, मगर दुर्भाग्य है कि पूर्व की सरकार ने उन स्कूलों को निजी हाथों में दे दिया।

संचालन निजी हाथों में, पैसे भी हम दे रहे हैं

भूपेश बघेल ने कहा कि करोड़ों के भवनों को सरकार ने निजी प्रबंधन को सौंप दिया, साथ ही अलग से पैसे भी सरकार प्रबंधन को अलग से दे रही है। उन्होंने बताया कि फ़िलहाल सरकार DAV प्रबंधन के साथ किये गए एग्रीमेंट का अध्ययन कर रही है, और मॉडल स्कूलों को वापस लेकर इन्हे आत्मानंद अंग्रेजी स्कूलों की तरह चलाने पर विचार कर रही है।

PPP मोड पर हो रहा है स्कूलों का संचालन

बता दें कि पूर्व में स्थापित मॉडल स्कूलों को डॉ रमन की सरकार ने PRIVATE PUBLIC PARTNARSHIP याने PPP मोड के तहत DAV प्रबंधन को सौंप दिया था। इसमें 30 वर्षों तक स्कूलों का संचालन DAV प्रबंधन करेगी और स्कूल का नाम होगा “मुख्यमंत्री डीएवी पब्लिक स्कूल”, अनुबंध के मुताबिक इन स्कूलों में RTE के तहत भर्ती 25% विद्यार्थियों की फीस राज्य सरकार देगी, वहीं 8% जरूरतमंद अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग के विद्यार्थियों को DAV प्रबंधन मुफ्त में शिक्षा देगा। इन बच्चो का चयन जिला स्तर पर गठित कमेटी द्वारा किया जाता है। पूरे प्रदेश में 72 विद्यालयों का संचालन DAV प्रबंधन के हाथों हो रहा है।

अच्छी तरह नहीं हो रहा है विद्यालयों का संचालन

DAV प्रबंधन ने जब से मॉडल स्कूलों का प्रबंधन अपने हाथ में लिया है, तब से ही अधिकांश विद्यालयों की व्यवस्था बिगड़ी हुई है। शुरुआत से ही विद्यालयों में शिक्षकों की कमी रही, वहीं दूसरे DAV स्कूलों की तरह ही फीस होने के चलते सामान्य सीटें भर नहीं पाती हैं। प्रबंधन और शिक्षण व्यवस्था अच्छी तरह नहीं होने के चलते स्कूलों के परीक्षा परिणाम भी काफी ख़राब रहे।

कोरोना काल में अनुदान मिलना हुआ बंद…

DAV स्कूल के डिप्टी रीजनल ऑफिसर प्रशांत कुमार का कहना है “मुख्यमंत्री डीएवी पब्लिक स्कूल” अधिकांशतः ग्रामीण इलाको में संचालित है, जहां RTE की सीटें तो भर जाती हैं, मगर बिना कोटे की अधिकांश सीटें खाली रह जाती हैं। आर्थिक आय काम होने के बावजूद हम स्कूलों का संचालन इसलिए कर पाते हैं, क्योंकि सरकार RTE के तहत पढ़ रहे बच्चो की फ़ीस हमें देती है। इसी फीस से किसी तरह शिक्षकों को वेतन दिया जा रहा था, मगर कोरोना काल से लेकर अब तक सरकार ने एक पैसा भी नहीं दिया है, जिससे स्कूलों के संचालन में काफी दिक्क्तें आ रही हैं।

बस्तर के 04 जिलों के विद्यालय सबसे ज्यादा प्रभावित

DAV प्रबंधन से किये गए अनुबंध में सरकार ने नक्सल प्रभावित जिलों बीजापुर, दंतेवाड़ा, सुकमा और नारायणपुर के 13 विद्यालयों के शिक्षकों का पूरा वेतन देने की बात कही थी, मगर पिछले डेढ़ साल से वहां का अनुदान भी रोककर रखा गया है। इससे इन 13 स्कूलों के संचालन में भी भारी दिक्क्तें आ रही हैं। सरकार द्वारा स्कूलों का प्रबंधन वापस लेने पर विचार किये जाने के सवाल पर प्रशांत कुमार ने कहा कि ऐसा कैसा हो सकता है। सरकार ने DAV से 30 वर्षो का अनुबंध किया है, हम विपरीत परिस्तिथियों में भी स्कूलों का संचालन कर रहे हैं, वहीँ बच्चों के रिजल्ट में भी सुधार आया है। ऐसे में हम स्कूलों का प्रबंधन कैसे छोड़ देंगे। वर्तमान में हम कर्ज लेकर शिक्षकों को वेतन दे रहे हैं। TRP न्यूज़ को जो जानकारी मिली है, उसके मुताबिक सरकार की ओर से फंड रोके जाने के बाद DAV प्रबंधन ने अधिकांश स्कूलों से संविदा शिक्षकों को बिठा दिया है, और DAV के दूसरे स्कूलों के नियमित शिक्षकों से “मुख्यमंत्री डीएवी पब्लिक स्कूल” के बच्चो की ऑनलाइन पढाई कराइ जा रही है। आलम यह है कि जो नियमित शिक्षक- शिक्षिकाएं इन स्कूलों में सेवाएं दे रहे हैं, उन्हें भी महीनों से वेतन का भुगतान नहीं किया गया है। बहरहाल देखना यह है कि सरकार इन विद्यालयों का संचालन अपने हाथ में लेने का फैसला करती है, या फिर DAV प्रबंधन को हर वर्ष दिए जाने वाले फण्ड का भुगतान करती है, क्योकि अगर भुगतान शुरू नहीं किया गया तो वैसे भी ये सभी स्कूल बंद होने के कगार तक पहुँच जायेंगे।

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