बड़ी खबरः छत्तीसगढ़ में बिजली संकट से पहले ही सीएम ने ली बैठक... कोयले की उपलब्धता के दिए निर्देश, इस माह से फिर आरंभ होंगी बंद पड़ी दो यूनिट

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर छत्तीसगढ़ के ताप विद्युत संयंत्रों के लिए एसईसीएल द्वारा प्रतिदिन 29 हजार 500 मेट्रिक टन कोयले की आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी। एसईसीएल के सीएमडी ने इसके लिए सहमति दी है। मुख्यमंत्री ने प्रदेश के ताप विद्युत संयंत्रों में कोयले की आपूर्ति एवं उपलब्धता की स्थिति की समीक्षा बैठक ली।

इस दौरान एसईसीएल के सीएमडी से कहा कि छत्तीसगढ़ की खदानों से कोयला निकालकर छत्तीसगढ़ सहित देश के अन्य राज्यों को कोयले की आपूर्ति की जाती है। चूंकि छत्तीसगढ़ से कोयले का उत्पादन किया जा रहा है। इसलिए एसईसीएल द्वारा प्राथमिकता के आधार पर छत्तीसगढ़ के ताप विद्युत संयंत्रों को उनकी आवश्यकता के अनुसार अच्छी गुणवत्ता के कोयले की सप्लाई की जानी चाहिए।

बैठक में एसईसीएल के सीएमडी ने छत्तीसगढ़ को प्रतिदिन प्रदेश के ताप विद्युत संयंत्रों की आवश्यकता के अनुरूप 29 हजार 500 मेट्रिक टन कोयले की सप्लाई की जाएगी। साथ ही अच्छी गुणवत्ता का कोयले की भी आपूर्ति की जाएगी। उन्होंने बताया कि बारिश के कारण कोयले की गुणवत्ता प्रभावित होती है। वर्तमान में एसईसीएल द्वारा छत्तीसगढ़ को 23 हजार 290 मेट्रिक टन कोयले की आपूर्ति की जा रही है। एसईसीएल के सीएमडी ने छत्तीसगढ़ के लिए इस मात्रा को बढ़ाकर 29 हजार 500 मेट्रिक टन करने की सहमति दी। मुख्यमंत्री ने बैठक में कहा कि रेल्वे द्वारा छत्तीसगढ़ को कोयले और चावल के लिए आवश्यकतानुसार पर्याप्त संख्या में रेल्वे रेक उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया जाना चाहिए। जिस पर दक्षिण पूर्व मध्य रेल्वे के जीएम ने इसके लिए सहमति दी।

बैठक में छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत कम्पनियों के अध्यक्ष एवं विशेष सचिव ऊर्जा अंकित आनंद ने जानकारी दी कि वर्तमान में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ताप विद्युत संयंत्र कोरबा ईस्ट में 3.8 दिवस का कोयला उपलब्ध है। इसी तरह हसदेव ताप विद्युत संयंत्र में कोरबा वेस्ट में 3.2 दिवस का कोयला तथा मड़वा ताप विद्युत संयंत्र में 7 दिनों की आवश्यकता का कोयला उपलब्ध है। केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण मानक के अनुसार 5 दिनों की आवश्यकता से कम कोयले की उपलब्धता को क्रिटिकल स्थिति माना जाता है। अब कोयले की आपूर्ति बढ़ने से छत्तीसगढ़ के ताप विद्युत संयंत्रों को पर्याप्त मात्रा में कोयले की उपलब्धता सुनिश्चित होगी।

वर्तमान में प्रदेश की बिजली की औसत डिमांड 3803 मेगावाट है, जिसके विरूद्ध बिजली की उपलब्धता 3810 मेगावाट है। प्रदेश में पीक समय में विद्युत की औसत डिमांड 4123 मेगावाट है, जिसके विरूद्ध बिजली कम्पनी द्वारा 4123 मेगावाट बिजली की औसत उपलब्धता बनाई रखी जा रही है। पीक समय में आवश्यकतानुसार 200 से 400 मेगावाट विद्युत क्रय लगातार किया जा रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि वर्तमान में एनटीपीसी की लारा (400 मेगावाट) एवं सीपत यूनिट (104 मेगावाट) तथा एनएसपीएल संयंत्र (25 मेगावाट) वार्षिक रखरखाव के कारण बंद है। इस कारण कुल 529 मेगावाट बिजली कम प्राप्त हो रही है। एनटीपीसी की लारा यूनिट 12 अक्टूबर से प्रारंभ होने की संभावना है। इस यूनिट के प्रारंभ होने पर एक्सचेंज से विद्युत क्रय की स्थिति लगभग नहीं रहेगी। एनटीपीसी सीपत संयंत्र 21 अक्टूबर तक प्रारंभ होने की संभावना है।

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