रायपुर। दुनिया भर में सभी आयु वर्ग के लगभग 1 अरब लोग या तो पास की नजर या दूर की नजर या फिर अंधेपन जैसी गंभीर दृष्टिदोष से ग्रस्त हैं। अकेले भारत में दुनिया की 20 प्रतिशत से अधिक नेत्रहीन आबादी रहती है। इनमे से अधिकांश लोगों को जागरूक कर अंधा होने से बचाया जा सकता है।

लोगों को जागरूक करने के लिए ही हर वर्ष विश्व दृष्टि दिवस यानी वर्ल्ड साइट डे (World Sight Day) मनाया जाता है। इस बार वर्ल्ड साइट डे की थीम है, “अपनी आंखों से प्यार करो” ये थीम हमारी आंखों की हेल्थ के बारे में जागरूकता फैलाने और हमारी आईसाइट की देखभाल करने की आवश्यकता पर बल देती है।
छत्तीसगढ़ नेत्र चिकित्सालय के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ अभिषेक मेहरा ने बताया कि आज उनके अस्पताल में पहुंचे नेत्र रोगियों को आंखों की देखभाल और समय-समय पर जांच के लिए कॉउन्सिल किया गया। उन्होंने बताया कि अंधत्व की समस्या से गुजर रहे 92 .9% लोगों को अंधा होने से बचाया जा सकता है। इसे प्रिवेंटेबल ब्लाइंडनेस कहा जाता है। जरुरत होने पर भी आँखों का चश्मा नहीं लगाने से, मोतियाबिंद का ऑपरेशन नहीं कराने से और ग्लोकोमा की समय-समय पर जाँच नहीं करने से अधिकांश लोगों की आँखों को नुकसान पहुंचता है।
डॉ मेहरा ने बताया कि अक्सर ग्रामीण इलाको में धान की कटाई के दौरान बाली के आंख में चुभ जाने से फंगल कॉर्निया अल्सर हो जाता है और समय पर इसका इलाज नहीं होने से आंखों का पर्दा ख़राब हो जाता। है। इसी तरह डाइबिटिक रेटिनोपैथी में आंखों के पीछे का परदे में खून का थक्का जमने लगता है, इससे काफी नुकसान होता है। इस तरह की समस्याओं में लोगो की आंखों को समय रहते बचाया जा सकता है।

कोरोना काल में बढ़ा अंधत्व
कोरोना काल के चलते लगे लॉक डाउन के बाद अब जाकर स्थिति में सुधार आ रहा है, मगर इस बीच न जाने कितने लोग अंधत्व का शिकार हो गए। डॉ अभिषेक मेहरा बताते हैं कि कोरोना के भय से लोग अस्पतालों तक नहीं पहुंचे और आंखो की जांच नहीं कराई, विशेष कर गांवों के लोग इलाज से वंचित रहे। इसका लोगों को काफी नुकसान हुआ है। फ़िलहाल इसके आंकड़े सामने नहीं आ सके हैं।
बढ़ रहा है आंखों के सूखापन का रोग
ऑनलाइन क्लासेस और कंप्यूटर के इस्तेमाल का चलन बढ़ने से बच्चों और युवाओं की आंखों में सूखेपन की समस्या बढ़ी है। आंखों का सूखापन (ड्राई आइज) ऐसी स्थिति है जिसमें आंसू से आंखों को पर्याप्त मात्रा में मॉस्चराइज प्राप्त नहीं हो पाता है। ड्राई आइज के कारण असहजता महसूस होती है और आंखों में चुभन और जलन की दिक्कत बनी रहती है।
डॉ अभिषेक मेहरा बताते हैं कि 20 -20 -20 के फार्मूले से सूखेपन की समस्या से काफी हद तक निजात पाया जा सकता है। उनके मुताबिक 20 मिनट तक मोबाइल या कम्प्यूटर में काम करने के बाद 20 सेकंड तक थोड़ी दूर की वस्तुओ को देखना चाहिए। ऐसा हर बार करें तो आँखों के सूखेपन की समस्या नहीं आती।
42 वर्षों से नेत्र सेवा में लगा है छत्तीसगढ़ नेत्र चिकित्सालय
राजधानी रायपुर के तेलीबांधा में सन 1978 में स्व. डॉ विजय मेहरा द्वारा स्थापित छत्तीसगढ़ नेत्र चिकित्सालय की जिम्मेदारी अब उनके पुत्र डॉ अभिषेक के कंधों पर है। जरूरतमंदों का निःशुल्क इलाज करने वाले इस अस्पताल की ओर से अब तक विशेष कर ग्रामीण इलाको में 15 हजार से भी अधिक नेत्र रोग शिविर लगाया जा चुका है। वहीं लगभग 04 लाख लोगों की आँखों का ऑपरेशन भी यहां किया जा चुका है। उनकी ओर से विटामिन A की कमी से होने वाले रोग जेरोफेलीमिया सहित 10 विषयों पर शोधपत्र प्रकाशित हो चूका है। वहीं डायबिटिक रेटिनोपैथी पर भी शोधपत्र जल्द ही प्रकाशित होने जा रहा है।

डॉ मेहरा के मुताबिक पैसे के अभाव में उनके यहाँ से कभी भी कोई मरीज वापस नहीं लौटता है, क्योंकि वे मानते हैं की अंधत्व का शिकार कोई भी शख्स अपने खुद के अलावा अपने परिवार और समाज के लिए एक समस्या बन जाता है। इसलिए उनका इलाज पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। बेहतर होगा कि लोग समय रहते अपनी आँखों की जाँच कराएं और डॉक्टर की सलाह के मुताबिक इलाज कराएं।