नेशनल डेस्क। भारतीय सेना की 39 महिला अफसरों को सुप्रीम कोर्ट में बड़ी जीत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा है कि वह इन महिला अफसरों को स्थायी कमीशन देने का आदेश जारी करे। साथ ही अदालत ने 25 महिला अफसरों को स्थायी कमीशन ना देने के कारणों के बारे में विस्तृत जानकारी देने के लिए भी कहा है।
71 मामलों पर किया गया पुनर्विचार
सुप्रीम कोर्ट में सेना की महिला अधिकारियों की ओर से दायर अवमानना याचिका पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच में अहम सुनवाई हुई थी। सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से एएसजी संजय जैन और वरिष्ठ वकील आर बालासुब्रममण्यन ने जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच को बताया कि 72 में से एक महिला अफसर ने सर्विस से रिलीज करने की अर्जी दी है। सरकार ने बाकी 71 मामलों पर पुनर्विचार किया, जिसमें से केवल 39 को स्थायी कमीशन दिया जा सकता है। क्योंकि बाकी 32 में से 7 चिकित्सकीय रूप से अनुपयुक्त हैं जबकि 25 के खिलाफ अनुशासनहीन का गंभीर मुद्दा है और उनकी ग्रेडिंग खराब है।
बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 8 अक्टूबर को सेना से कहा था कि आप अपने स्तर पर यह मामला सुलझाइये। ऐसा ना करें कि इसको लेकर हमें फिर से कोई आदेश देना पड़े।
महिला अफसरों ने खटखटाया था SC का दरवाजा
महिलाओं अधिकारियों की मानें तो सुप्रीम कोर्ट ने 25 मार्च 2021 को फैसला सुनाया था कि जिन महिलाओं के स्पेशल सेलेक्शन बोर्ड में 60 फीसदी से अधिक अंक मिले हैं और जिनके खिलाफ डिसिप्लिन और विजिलेंस के मामले नहीं हैं उन महिला अधिकारियों को सेना परमानेंट कमीशन दे। इसके बावजूद इन महिलाओं को स्थाई कमीशन अब तक नहीं दिया गया। सेना किसी ना किसी वजह से इन महिलाओं को स्थाई कमीशन नहीं दे रही है। यह ही नहीं इन महिलाओं को सेना ने रिलीज करना भी शुरू कर दिया था, जिस पर फिलहाल कोर्ट ने रोक लगा दी है। 10 अगस्त को इन महिलाओं ने रक्षा मंत्रालय और सेना को कानूनी नोटिस भेजा तो उसका भी कोई जवाब नहीं मिला। तब जाकर इन्होंने फिर से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
सेना में वैसे तो अभी 1500 के करीब महिला अफसर हैं जबकि पुरुष अफसरों की तादाद 48,000 के आसपास है. यानी पुरुष अधिकारियों की तुलना में यह संख्या करीब तीन फीसदी ही है. अब सेना की इन महिला अफसरों की उम्मीद फिर से सुप्रीम कोर्ट पर टिकी है कि वही इनको सेना में स्थाई कमीशन दिला सकती है।
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