नई दिल्ली। कोरोना दावा और वैक्सीन पर जारी ट्रायल के साथ-साथ कोरोना महामारी को लेकर हर दिन नए -नए अध्ययन किए जा रहे हैं। जिसमें कई बड़ी जानकारियां अब सामने आई हैं।

येल और नोर्थ कैरोलिना यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने किया विश्लेषण
वहीं इस बीच द लैंसेट माइक्रोब में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन में खबर सामने आई है। दरअसल, इस स्टडी के अनुसार, जो लोग कोरोना वायरस का टीका नहीं लगवा रहे, वो औसतन हर 16 से 17 महीने में कोरोना वायरस से संक्रमित हो सकते हैं। येल यूनिवर्सिटी और नोर्थ कैरोलिना यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने SARS और MERS सहित छह अन्य मानव-संक्रमित कोरोना वायरस का विश्लेषण किया है।
3 महीने से काम समय में हो सकते है दोबारा संक्रमित
एक्सपर्ट का कहना है कि दोबारा संक्रमित तीन महीने या उससे कम समय में हो सकता है। इसलिए, जो स्वाभाविक रूप से संक्रमित हो गए हैं, उन्हें टीका लगवाना चाहिए। पिछला संक्रमण बाद के संक्रमणों के खिलाफ बहुत कम दीर्घकालिक सुरक्षा प्रदान कर सकता है।
शोध दल ने 1984-2020 के बीच छह कोरोना वायरस के संक्रमण के बाद के आंकड़ों को देखा और पाया कि पुन: संक्रमण 128 दिनों से लेकर 28 वर्ष तक था। उन्होंने पाया कि कोविड के मामले में पुन: संक्रमण की संभावना 3 महीने से 5 साल के बीच औसतन 16 महीने के साथ एंटीबॉडी प्रतिक्रिया के बाद होगी। यह मनुष्यों के बीच फैलने वाले अन्य कोरोना वायरस के लिए देखी गई अवधि के आधे से भी कम है।
शोध दल के अनुसार, तीन महीने में कोविड के पुन: संक्रमण का जोखिम लगभग 5% है, जो 17 महीनों के बाद बढ़कर 50% हो जाता है। उन्होंने कहा कि रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने और नए रूपों के विकसित होने से पुन: संक्रमण तेजी से सामान्य हो सकता है।
महामारी काम करने में वैक्सीन महत्वपूर्ण भूमिका
शोध दल का कहना है कि निवारक स्वास्थ्य उपाय और टीकों का वैश्विक वितरण पुन: संक्रमण और मौतों को कम करने में महत्वपूर्ण होगा। उदाहरण के लिए, कम टीकाकरण दर वाले क्षेत्रों में, गैर-टीकाकरण वाले लोगों को पुन: संक्रमण से बचने के लिए सामाजिक दूरी, मास्क पहनना और उचित इनडोर वेंटिलेशन जैसी सुरक्षा प्रथाओं को जारी रखना चाहिए।
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