सोशल मीडिया पर शेयर किए ऐसे पोस्ट, जिसके बाद 102 लोगों पर लगा UAPA!

टीआरपी डेस्क। पुलिस ने 102 लोगों पर यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया है। यह मामला त्रिपुरा राज्य का है जहां कि पुलिस ने कई ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब अकाउंट होल्डर के खिलाफ मामले दर्ज किए हैं। त्रिपुरा पुलिस ने पानीसागर उत्तरी त्रिपुरा में हुई हालिया हिंसा से संबंधित फर्जी और विकृत जानकारी फैलाने के आरोप में कई लोगों पर कार्रवाई की है।

क्या है UAPA?

UAPA का मतलब है Unlawful Activities (Prevention) Act, जिसे गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम। इस कानून का मुख्य उद्देश्य आतंकी गतिविधियों को रोकना होता है। इस कानून के तहत उन लोगों को चिह्नित किया जाता है, जो आतंकी ग​तिविधियों में शामिल होते हैं या जिन पर फिर ऐसी गतिविधियों को बढ़ावा देने का आरोप होता है। 2019 में इस कानून में संशोधन कर इसे ज्यादा मजबूत कर दिया गया है।

यूएपीए कानून 1967 में लाया गया था। इस कानून को संविधान के अनुच्छेद 19(1) के तहत दी गई बुनियादी आजादी पर तर्कसंगत सीमाएं लगाने के लिए लाया गया था। पिछले कुछ सालों में आतंकी गतिविधियों से संबंधी POTA और TADA जैसे कानून खत्म कर दिए गए, लेकिन UAPA कानून अब भी मौजूद है और पहले से ज्यादा मजबूत है। अगस्त 2019 में ही इसका संशोधन बिल संसद में पास हुआ था।

साल 2019 में क्या हुआ बदलाव?

2019 में हुए संशोधन के अनुसार किसी व्यक्ति को जांच के आधार पर आतंकवादी घोषित किया जा सकता है। पहले सिर्फ संगठन के लिए ऐसा होता था। पहले यूएपीए या किसी अन्य कानून में व्यक्तिगत आतंकवादी को नामित करने का कोई प्रावधान नहीं था। सरकार का मानना है कि पहले जब किसी आतंकवादी संगठन पर प्रतिबंध लगाया जाता है, तो उसके सदस्य एक नया संगठन बनाते हैं। आतंकवाद व्यक्ति की मंशा का होता है, आतंकवाद संस्थाओं में नहीं होता है, इसलिए आतंकवाद से जुड़े व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करने के प्रावधान की बहुत ज्यादा जरूरत है और इसके लिए संयुक्त राष्ट्र और अन्य राष्ट्रों के समान प्रावधान किए गए हैं।

क्या किसी भी पर लगाया जा सकता है?

सरकार के अनुसार, संशोधन में कानून के दुरुपयोग रोकने के लिए बहुत सारी सावधानियां रखी गई हैं। कहा गया है कि संशोधन व्यक्तियों को आतंकवादी के रूप में नामित करने की केवल तभी अनुमति देता है जब कानून के अनुसार उचित प्रक्रिया के बाद पर्याप्त सबूत हों। गिरफ्तारी या जमानत प्रावधानों में कोई बदलाव नहीं किया जा रहा है, जिससे व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं होगा।

कानून की कई धाराओं में कठोर प्रावधान

UAPA में धारा 18, 19, 20, 38 और 39 के तहत केस दर्ज होता है। धारा 38 तब लगती है जब आरोपी के आतंकी संगठन से जुड़े होने की बात पता चलती है। धारा 39 आतंकी संगठनों को मदद पहुंचाने पर लगाई जाती है। इस एक्ट के सेक्शन 43D (2) में किसी शख्स की पुलिस कस्टडी की अवधि दोगुना करने का प्रावधान है। इस कानून के तहत पुलिस को 30 दिन की कस्टडी मिल सकती है। वहीं न्यायिक हिरासत 90 दिन की भी हो सकती है। बता दें कि अन्य कानूनों में अधिकतम अवधि 60 दिन ही होती है।

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