नई दिल्ली। तालिबान के फिर से सत्ता में आने के साथ ही अफगान धरती के फिर से आतंकियों का गढ़ होने की आशंका लगातार बढ़ती जा रही है। अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद से क्षेत्रीय सुरक्षा को लेकर पैदा हुई। चनौतियों से लड़ने और अफगानिस्तान को मानवीय सहायता पहुंचाने के उपायों पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल की अध्यक्षता में अफगानिस्तान पर दिल्ली में बैठक ली गई।
अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद भारत समेत पड़ोसी मुल्कों के लिए सुरक्षा का खतरा बढ़ गया है। इसी मुद्दे पर तीसरी क्षेत्रीय सुरक्षा सम्मेलन का आयोजन दिल्ली में हुआ। इस बैठक में आठ देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (NSA) ने हिस्सा लिया।
फंडिंग को रोकने को लेकर बनी सहमति
अजित डोभाल ने वार्ता में कहा कि अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रम के न केवल उस देश के लोगों के लिए बल्कि उसके पड़ोसियों और क्षेत्र के लिए भी महत्वपूर्ण निहितार्थ हैं। इस बैठक में अफगानिस्तान को लेकर दिल्ली डिक्लरेशन तैयार हुआ। बैठक में भारत के अलावा ताजिकिस्तान, रूस, ईरान, कजाख्स्तान, किर्गिस्तान और तुर्कमेनिस्तान के शीर्ष सुरक्षा सलाहकारों ने भाग लिया।
इसके मुताबिक अफगानिस्तान की धरती को आतंकवाद के लिए इस्तेमाल न होने देने और किसी तरह की फंडिंग को रोकने को लेकर सहमति बनी। डोभाल ने बैठक की अध्यक्षता करते हुए अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि यह अफगान स्थिति पर क्षेत्रीय देशों के बीच करीबी विचार-विमश, अधिक सहयोग और समन्वय का समय है। उन्होंने कहा कि हम आज अफगानिस्तान से संबंधित मामलों पर चर्चा करने के लिए बैठक कर रहे हैं। हम सभी उस देश के घटनाक्रम पर करीबी नजर रख रहे हैं।
पारित हुए 12 प्रमुख बिंदु ये हैं
- अफगानिस्तान में शांति, स्थिरता और सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए पूरा समर्थन दिया जाएगा. हालांकि इस दौरान देश की संप्रभुता का पूरा ध्यान रखा जाएगा और अफगानिस्तान के आंतरिक मुद्दों में हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा।
- अफगानिस्तान की धरती का किसी भी तरह के आतंकी कृत्य, ट्रेनिंग, शरण देने या फंडिंग के लिए इस्तेमाल नहीं होना चाहिए।
- अफगानिस्तान में मौजूदा सुरक्षा व्यवस्था की वजह से आम लोगों को होने वाली परेशानियों पर गंभीर चिंता जताई गई।साथ ही कुंदुज, कंधार और काबुल में हुए आतंकी हमलों की निंदा की गई।
- अफगानिस्तान में होने वाली किसी भी तरह की आतंकी गतिविधि की कड़े शब्दों में निंदा की गई. यह सुनिश्चित करने की बात कही गई कि अफगानिस्तान फिर से आतंकियों की पनाहगाह नहीं बनना चाहिए।
- किसी भी तरह के कट्टरवाद, आतंकवाद, अलगाववाद और ड्रग्स तस्करी के खिलाफ आपसी सहयोग बढ़ाया जाए।
- अफगानिस्तान में ऐसी सरकार बनाने की बात कही गई, जो जनता की पसंद से चुनी गई हो और सभी वर्गों का सही नेतृत्व करे।
- संयुक्त राष्ट्र के अफगानिस्तान को लेकर प्रस्ताव को दोहराया गया. सभी देशों ने कहा कि अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र की अहम भूमिका है, इसलिए देश में उसकी मौजूदगी बनी रहनी चाहिए।
- दिल्ली वार्ता यह सुनिश्चित करने का आह्वान करती है कि अफगानिस्तान में महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यक समुदायों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन न हो।
- कोविड-19 से लड़ने के लिए अफगानिस्तान की हरसंभव मदद की जाए।
- अफगान संकट पर दिल्ली वार्ता अफगानिस्तान को निर्बाध, प्रत्यक्ष और सुनिश्चित तरीके से मानवीय सहायता प्रदान करने का आह्वान करती है।
- आपसी चर्चा की अहमियत को याद दिलाते हुए भविष्य में भी आपसी बातचीत को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई गई।
- अफगानिस्तान में सामाजिक-आर्थिक और मानवीय स्थिति के लगातार बिगड़ने पर चिंता जताई गई। साथ ही अफगानिस्तान के लोगों को तुरंत मदद मुहैया कराने पर जोर दिया गया।
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