समझौते के बाद राजिम का धान मंडी हुआ शुरू, व्यापारियों ने बढ़ाई धान की बोली
समझौते के बाद राजिम का धान मंडी हुआ शुरू, व्यापारियों ने बढ़ाई धान की बोली

राजिम। मंडी शुल्क बढ़ाये जाने के चलते कृषि उपज मंडी राजिम में शनिवार को धान की बोली कम लगी। तब किसानों ने एकमत होकर अपना उपज बेचने से इंकार कर दिया था और मंडी प्रांगण में ही खुले में अपना धान छोड़कर घर चले गए थे। आज सुबह मंडी कार्यालय राजिम में डिप्टी कलेक्टर एवं प्रभारी तहसीलदार अनुपम आशीष टोप्पो की उपस्थिति में बैठक हुई, जिसमे व्यापारियों ने धान की कीमत बढ़ाने पर अपनी सहमति जताई।

यह बैठक किसान प्रतिनिधियों, व्यापारी प्रतिनिधियों और मंडी प्रशासन के बीच सुचारू रूप से मंडी में क्रय-विक्रय प्रारंभ करने के संबंध में हुई। जिसमे नायब तहसीलदार अंकुर रात्रे, मंडी सचिव एन के भंडारी, मंडी निरीक्षक सपन शर्मा, फड़ प्रभारी पवन कुमार पटेल, व्यापारी प्रतिनिधि किशन सांखला, दिनेश साधवानी, दीनू राम साहू, किसान प्रतिनिधि तेजराम विद्रोही, बिष्णु राम साहू, रामभरोसा साहू, खेलावन साहू, नारायण साहू आदि उपस्थित रहे।

बोली बढ़ी मगर अब भी हो रहा है नुकसान

बैठक के बाद शनिवार की तुलना में 1400 रु प्रति क्विंटल की दर से बोली शुरू की गई जो धान की किस्म और गुणवत्ता के आधार पर सामान्य मोटा धान 1494 रु प्रति क्विंटल तो पतला धान 1722 रु प्रति क्विंटल की दर बिका।
मंडी टैक्स बढ़ाए जाने के कारण किसानों की उपज का बोली अन्य दिनों की तुलना में प्रति क्विंटल 150 रु से 200 रु तक की नुकसान अब भी किसानों को उठाना पड़ रहा है।

न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी का कानून जरुरी

इस बैठक में मौजूद किसान नेता तेजराम विद्रोही का कहना है कि यदि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर साल भर खरीदी के लिए कानूनी गारंटी लागू कर दे तो किसान अपने उपज को औने पौने दामों पर बेचने के लिए मजबूर नहीं होंगे। राज्य सरकार को चाहिए कि कृषि उपज मंडी अधिनियम की धारा 36 (3) का पालन अनिवार्य रूप से करवाए, जिसमे कहा गया है कि जिस फसल का भी समर्थन मूल्य तय किया गया है, उससे कम पर बोली नहीं लगाई जाएगी। यह कानून भी कहीं न कहीं एमएसपी की गारंटी देता है, जरूरत है इसका पालन सुनिश्चित करने की।

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