रायपुर : प्रदेश में निकाय चुनाव को लेकर सरगर्मियाँ तेज़ हैं। इस बीच चुनाव के घोषणापत्र को लेकर काफी जनता में बेचैनी बढ़ती जा रही है। चुनाव सभी नगरीय निकायों में चुनाव प्रचार जोर शोर से शुरु हो चुका है। पर अभी तक किसी भी पार्टी की ओर से घोषणा पत्र जारी नहीं किया गया है। फिर भी चुनाव प्रचार के लिए सभी प्रत्याशी अपने अपने मुद्दे लेकर मैदान पर उतर गए हैं। चुनावी मैदान में आमने सामने की लड़ाई प्रमुख रूप से दो ही पार्टियों भाजपा और कांग्रेस के बीच है। और दोनों ही पार्टियों ने चुनावी समर में दम दिखाना शुरु कर लिया है।

कांग्रेस के पास है सीएम भूपेश बघेल का चेहरा
कांग्रेस पार्टी पक्ष में इस समय सबसे बड़ी बात प्रदेश के मुख्यमंत्री का चेहरा है। प्रदेश के मुख्यमंत्री के रुप में भूपेश बघेल का कार्यकाल कुछ ही दिनों में 3 साल का होने जा रहा है। इस कार्यकाल के दौरान राज्य सरकार की कई योजनाएँ लोकहित में जारी की गई हैं, जो इस वक्त चुनावी माहैल में कांग्रेस के लिए सबसे बड़े मुद्दे के रूप में काम कर रहे हैं। कांग्रेस के प्रत्याशी जनसंपर्क के दौरान राज्य सरकार की इन्हीं योजनाओं को लेकर जनता के बीच जा रहे हैं और इन्हीं के आधार पर वोट भी मांग रहे हैं।

स्थानीय मुद्दों को साथ साथ कांग्रेस पार्टी प्रदेश के मुखिया की भूपेश बघेल की छवी को भी पूरी तरह भंजा लेने चाहती है। कांग्रेस का कहना है कि “इस चुनाव में प्रदेश के मुख्यमंत्री का नाम कांग्रेस का सबसे बड़ा और विश्वसनीय चेहरा है। और इसी के आधार पर यह चुनाव लड़ा जा रहा है।”
भाजपा के पास है शराबबंदी पर सवाल
भाजपा की ओर से निकाय चुनावों में सबसे बड़ा मुद्दा शराबबंदी है। जहाँ एक ओर कांग्रेस मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उपलब्धियों को जनता के सामने रख रही है, वहीं दूसरी ओर भाजपा सीएम की असफलताओं की लिस्ट लिए चुनावी समर में मोर्चा सम्भाले हुए है। भाजपा के द्वारा विधानसभा के चुनावी घोषणापत्र में शामिल होने के बाद भी शराबबंदी न होने के मामले को प्रमुख रूप से जनता के सामने उठा रही है। साथ ही प्रधानमंत्री आवास योजना में छत्तीसगढ़ सरकार के असहयोग की बात भी भाजपा की ओर से सबसे प्रमुख मुद्दा बना हुआ है।

जहाँ कांग्रेस सीएम भूपेश बघेल के चेहरे पर दाव खेल रही है, वहीं भाजपा भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे को सामने लाने में पीछे नहीं है। जनसंपर्क के दौरान केन्द्र सरकार की महत्वपूर्ण योजनाओं को जनता के सामने रख रहे हैं। धान खरीदी जैसे अन्य विषय भी चुनाव प्रचार का हिस्सा बने हुए हैं।
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