अब RTI के जरिए EOW से भी मिलेगी भ्रष्टाचार से जुड़ी सूचनाएं

रायपुर। आर्थिक अपराध और भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों की जांच करने वाली राज्य सरकार की एजेंसी आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) भी अब आरटीआई के दायरे में आ गई है। इसी के साथ ही अब विभाग सूचना नहीं देने के लिए किसी विशेषाधिकार का दावा नहीं कर सकती। साथ ही उन्हें आरटीआई के तहत भ्रष्टाचार से जुड़ी जानकारी देनी होगी।

बता दें कि छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग ने स्पष्ट कर दिया है, एजेंसी भ्रष्टाचार और मानवाधिकार उल्लंघन से जुड़ी कोई सूचना रोक नहीं सकती। आयोग ने सूचना देने से मना करने वाले EOW के तत्कालीन जनसूचना अधिकारी शाहिद अली को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों न उनपर 250 रुपए प्रतिदिन की दर से अधिकतम 25 हजार रुपए तक का जुर्माना लगाया जाए।

क्या है मामला

दरअसल मामला 2008-09 में की गई भ्रष्टाचार की शिकायत से जुड़ा है। रायपुर के सर्वजीत सेन ने रायपुर कलेक्ट्रेट में पदस्थ कुछ राजस्व अफसरों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत की थी। इस मामले में EOW ने रायपुर संभाग आयुक्त से रिपोर्ट मांगी थी। संभाग आयुक्त कार्यालय द्वारा करीब 9 साल बाद 2017 में प्रतिवेदन EOW को भेजा। सर्वजीत सेन ने EOW से सूचना का अधिकारी कानून के तहत जानना चाहा कि मामले की जांच किस स्तर तक पहुंची है।

EOW के तत्कालीन जन सूचना अधिकारी और ASP शाहिद अली ने शिकायतकर्ता को जवाब भेजा कि सामान्य प्रशासन विभाग की अधिसूचना से EOW को सूचना का अधिकार कानून से बाहर रखा गया है। ऐसे में आपके द्वारा चाही गई जानकारी नहीं दी जा रही है।

जिसके बाद आवेदनकर्ता ने राज्य सूचना आयोग में अपील की। हाल ही में हुई सुनवाई के बाद राज्य सूचना आयोग एके अग्रवाल ने कहा, जन सूचना अधिकारी ने RTI कानून का उल्लेख कर वह जानकारी उपलब्ध कराने से अनावश्यक रूप से मना किया गया है, जो नियमानुसार दिया जाना चाहिए था।

ऐसे में उस समय पदस्थ रहे EOW के जन सूचना अधिकारी और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक को कारण बताओ नोटिस जारी किया। साथ ही ASP को 30 दिनों में जवाब देने को कहा गया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 22 फरवरी 2022 को होनी है।

इस केस के फैसले को बनाया आधार

हरियाणा कैडर के IFS अधिकारी संजीव चतुर्वेदी का केस सूचना आयोग के लिये इस मामले में नजीर बना। संजीव चतुर्वेदी के हक में दिए केंद्रीय सूचना आयोग के फैसले के खिलाफ CPIO इंटेलिजेंस ब्यूरो ने दिल्ली उच्च न्यायालय में अपील की थी। इसका फैसला देते हुए उच्च न्यायालय ने साफ किया था, भ्रष्टाचार और मानवाधिकार हनन से जुड़े मामलों के लिए ऐसी एजेंसियों को RTI से छूट का प्रावधान लागू नहीं होता। अगर कोई सूचना मांगता है तो एजेंसी को जवाब देना होगा।

EOW के DIG को तामील कराना है नोटिस

आयोग ने कहा है, तत्कालीन जन सूचना अधिकारी को नोटिस की तामीली EOW के उप पुलिस महानिरीक्षक को कराना है। तामीली के बाद उसकी पावती आयोग को भेजनी होगी। साथ ही तत्कालीन जन सूचना अधिकारी अभी कहां और किस पद पर तैनात हैं इसकी भी जानकारी उपलब्ध करानी होगी।

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