महिला बाल विकास विभाग के बहुचर्चित जिला कार्यक्रम अधिकारी को किया गया निलंबित, आय से अधिक संपत्ति के मामले में खा चुके हैं जेल की हवा
महिला बाल विकास विभाग के बहुचर्चित जिला कार्यक्रम अधिकारी को किया गया निलंबित, आय से अधिक संपत्ति के मामले में खा चुके हैं जेल की हवा

रायपुर। कांकेर जिले में महिला एवं बाल विकास विभाग के कार्यक्रम अधिकारी के पद पर कार्यरत किशन क्रांति टंडन को एक बार फिर वित्तीय अनियमितता के मामले में निलंबित कर दिया गया है। पूर्व में भी कई बार निलंबित हो चुके किशन टंडन आय से अधिक संपत्ति के मामले में जेल की हवा भी खा चुके हैं।

इन मामलो में हुई टंडन पर कार्रवाई

महिला एवं बाल विकास विभाग की अवर सचिव विजया खेस्स के हस्ताक्षर से जारी निलंबन आदेश में जिन बिंदुओं का उल्लेख है उसके मुताबिक अधीनस्थों के स्वत्वों के निराकरण में पैसे की मांग करना, मुख्यमंत्री कन्या विवाह सामग्री क्रय में वित्तीय एवं क्रय नियमो का पालन नहीं करना, वित्तीय अनियमितता, कमीशनखोरी करना, कंप्यूटर, फर्नीचर खरीदी में भ्रष्टाचार करने का उल्लेख है। निलंबन अवधि में उनका मुख्यालय राज्य स्तरीय संसाधन केंद्र रायपुर का कार्यालय होगा।
बताया जा रहा है कि शिकायतों की फेहरिस्त और अखबारों में छपी खबरों को संज्ञान में लेते हुए रायपुर मुख्यालय से एक टीम बनाकर जांच के लिए कांकेर भेजी गई, इस टीम ने सैकड़ों दस्तावेजों की जब्ती की और मुख्यालय लेकर आ गए। जाँच के दौरान गड़बड़ी के पुख्ता सबूत और जांच रिपोर्ट मिलने के बाद मुख्यालय द्वारा किशन क्रांति टंडन के निलंबन का आदेश जारी किया गया।

कोरबा में ही 3 बार हो चुके है निलंबित

किशन टंडन कोरबा जिले महिला एवं बाल विकास अधिकारी और कार्यक्रम अधिकारी के पद पर कई बार पदस्थ रह चुके हैं। इस दौरान वित्तीय अनियमितता और अनुशासनहीनता के मामले में उन्हें 3 बार निलंबित किया जा चुका है। इनमे दो मामलों में उन्हें सामग्रियों की खरीदी में गड़बड़ी का दोषी पाया गया। वहीं एक बार विधानसभा के सत्र में जबरिया छुट्टी पर चले जाने के चलते उन्हें निलंबित किया गया।

ACB के छापे के बाद खाई जेल की हवा

किशन टंडन जब कार्यक्रम अधिकारी के पद पर कांकेर में पदस्थ रहे तब उनके ठिकानों पर ACB ने छापामार कार्रवाई की। इस दौरान आय से अधिक संपत्ति के मामले में किशन टंडन के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया गया और जमानत के आभाव में उन्हें जेल भेज दिया गया। इस दौरान भी उन्हें निलंबित किया गया। लगभग 6 माह तक जेल की हवा खाने के बाद किशन टंडन “जुगाड़” लगाकर बहाल हो गए और फिर से गड़बड़झाले में जुट गए।

दो अधिकारियों के झगडे में अनियमितता हुई उजागर

महिला एवं बाल विकास विभाग ने कांकेर जिले में एक नहीं बल्कि दो-दो कार्यक्रम अधिकारियों की पदस्थापना कर दी थी, इनमे से एक किशन टंडन थे तो दूसरे अधिकारी थे चंद्रशेखर मिश्रा। इनके बीच कभी नहीं बनी और इन दोनों ने एक दूसरे के द्वारा की जा रही गड़बड़ियों को उजागर करना शुरू कर दिया। आलम यह था कि यहां 518 निर्धन कन्याओं के सामूहिक विवाह के आयोजन में उन्हें कोई उपहार सामग्री नहीं दी गई, और इनके लिए कोई खास इंतजाम भी नहीं किया गया। काफी हो-हल्ले के बाद बाद में घटिया सामग्रियां खरीदकर विवाहित जोड़ों को दे दी गई।

महिला एवं बाल विकास मंत्री से भी की गई शिकायत

कांकेर में पदस्थ दोनों अधिकारियो के झगडे के चलते महिला एवं बाल विकास विभाग में हो रहा भ्रष्टाचार उजागर होता गया और इससे शासन की भी किरकिरी होने लगी। तब यहां के कांग्रेस नेताओं ने महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेड़िया के कांकेर दौरे के दौरान टंडन एवं मिश्रा दोनों की शिकायत की और इन्हे जिले से हटाने की मांग भी की। इसके बाद ही जांच की कार्रवाई शुरू हुई। आखिरकार किशन टंडन को निलंबित कर दिया गया।

उच्चाधिकारियों की मिलीभगत का नमूना है टंडन जैसे अधिकारी

महिला एवं बाल विकास विभाग में किस हद तक भ्रष्टाचार हो रहा है, ये जगजाहिर है। मुख्यालय में पदस्थ विभाग के अधिकारियों की शह पर ही जिलों में गड़बड़ियां होती हैं, यह भी तय है। तभी तो 4 बार निलंबित हो चुके किशन क्रांति टंडन जैसे अधिकारी को मलाईदार जिले में पदस्थ कर दिया गया। कायदे से ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों को मुख्यालय में बिठाकर रखना चाहिए, मगर इन्हे जिलों में पदस्थ क्यों किया जाता है, इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।

देखें आदेश :

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