धान खरीदी में गड़बड़ी का दौर हुआ शुरू, किसानों से अधिक मात्रा में धान लेने सहित अन्य गड़बड़ियां हुईं उजागर, शो कॉज नोटिस किया जारी
धान खरीदी में गड़बड़ी का दौर हुआ शुरू, किसानों से अधिक मात्रा में धान लेने सहित अन्य गड़बड़ियां हुईं उजागर, शो कॉज नोटिस किया जारी

जांजगीर-चांपा। धान की सरकारी खरीदी में होने वाली गड़बड़ी को रोकने के लिए प्रशासन चाहे लाख नियम-कायदे बना ले, धांधली करने वाले उपाय ढूंढ ही लेते हैं। प्रदेश के अनेक जिलों से धान खरीदी में अफरा-तफरी की ख़बरें आने लगी हैं। जांजगीर जिले में ऐसे ही एक केंद्र के निरीक्षण के दौरान अनियमितता उजागर होने पर खरीदी केंद्र प्रभारी को नोटिस जारी किया गया है।
समर्थन मूल्य पर धान खरीदी में राज्य सरकार के निर्देशों का पालन नही करने पर भोथिया धान उपार्जन केन्द्र के प्रभारी अशोक कुमार चन्द्रा को जिला सहकारी बैंक के नोडल अधिकारी ने कारण बताओ सूचना जारी कर 3 दिवस के भीतर जवाब प्रस्तुत करने कहा है।


नोडल अधिकारी द्वारा जारी कारण बताओ नोटिस के अनुसार शनिवार 11 दिसंबर को जाँचकर्ता अधिकारी बाराद्वार शाखा के स.वि.अ.सुशील कुमार सूर्यवंशी एवं पर्यवेक्षक रोहित कुमार राठौर द्वारा भोथिया उपार्जन केंद्र का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण में तौल किये गए बोरी से धान चोरी कर निकलना, खरीदे गए धान का स्टॉक नहीं लगाना, खरीदे गए धान का वजन अधिक/कम होना और धान में नमी की मात्रा अधिक पाई गई।
उक्त कृत्य छत्तीसगढ़ शासन के धान खरीदी नीति का उल्लंघन है। इस संबंध में स्पष्टीकरण 03 दिवस के भीतर धान खरीदी केन्द्र प्रभारी अशोक कुमार चन्द्रा को स्वयं उपस्थित होकर प्रस्तुत करने को कहा गया है। स्पष्टीकरण प्रस्तुत नही करने की स्थिति में सहकारी सेवा नियम के तहत कार्यवाही हेतु प्रतिवेदन कलेक्टर के समक्ष प्रस्तुत किया जावेगा, जिसके लिए वे स्वयं जवाबदार होगें।

अधिकांश केन्द्रो में होती है गड़बड़ी

धान खरीदी में इस तरह की अनियमितता ज्यादातर धान खरीदी केन्द्रो में होती है। खरीदी केंद्र प्रभारी और तौलने वाले स्टाफ हर किसान से प्रति बोरे में एक से डेढ़ किलो धान ज्यादा लेते हैं। इनके पास धान के सूखने का बहाना होता है। वे किसान के बोरों से रात के अँधेरे में 40 किलो से अतिरिक्त धान को निकाल कर नए बोरे में भर लेते हैं, और किसी परिचित किसान का धान बताकर उसकी बिक्री अपने ही केंद्र में कर लेते हैं। इसके अलावा खरीदी प्रभारी दूसरे खर्चों को भी बढ़ा-चढ़ा कर उससे बची रकम को हड़प जातें हैं। अधिकांश जगहों पर होने वाली इस तरह की गड़बड़ी पर अंकुश लगाने के लिए कांग्रेस पार्टी ने भी गांवों में निगरानी समिति बनाई है मगर लगता है ये समितियां भी केवल औपचारिकता निभा रही हैं।

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