नेशनल डेस्क। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कैबिनेट में लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल से बढ़कर 21 साल करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है। इस मामले में देश भर की महिलाओं और महिला नेताओं ने अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दी है। महिलाओं का एक पक्ष सरकार के इस फैसले को स्वीकार किया हैं, तो वही दूसरा पक्ष इस फैसले का विरोध कर रहा है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, कल हुए कैबिनेट मीटिंग में इस मामले पर फैसला हुआ। महिलाओं की शादी की उम्र में बदलाव के लिए सरकार मौजूदा कानूनों में संशोधन करेगी। केंद्र सरकार के इस फैसले पर विपक्षी पार्टियों की महिला सांसदों ने इसका विरोध किया हैं। लेकिन महाराष्ट्र के अमरावती से निर्दलीय संसद नवनीत कौर राणा ने कैबिनेट के फैसले को स्वीकारते हुए कहा कि अब लड़कियों के पास ज्यादा अधिकार होंगे।
लेकिन TMC सांसद डोला सेन ने इस फैसले का विरोध करते हुए अपने बयान में कहा है कि, “देखिए बुरा मत मानिए। मोदी रिजीम चल रहा है। मोदी हैं तो मुमकिन है। औरतों को क्या मानते हैं। वो बुरा माने या भला। इनको क्या फर्क पड़ता है। हम क्या खाएंगे या क्या पहनेंगे… कितने साल पर शादी करेंगे। सब मोदी जी के हाथ में है।”
इसके साथ ही डोला सेन ने कहा कि, देखिए जब कश्मीर की बात उठी तब भी हमने कहा कि वोट करना चाहिए तब फैसला ले। उनकी राय क्या है वो कोई हेड मास्टर नहीं हैं। देश की महिलाओं से इस बारे में पहले राय लेनी चाहिए, वो क्या चाहती हैं?
केंद्र के इस फैसले पर शिवसेना नेता और राज्यसभा सदस्य प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि “जो भी फैसले हो रहे हैं महिलाओं से बग़ैर पूछे… बिना उनकी राय के लिए गए। जब वोटिंग ऐज (मतदान की उम्र) 18 साल है तो शादी के लिये 21 साल। कैबिनेट यह फैसला करेगी कितनी पढ़ाई करनी है, किससे शादी करनी है, कब बच्चा पैदा करना है… तो महिलाएं क्या करेंगी। चाइल्ड मैरिज भी बढ़ी है.”
कांग्रेस सांसद छाया वर्मा ने कहा, “अभी उनका स्पष्ट बहुमत है। वो यह कानून क्यों नहीं लाते कि महिलाओं को आरक्षण मिले संसद और विधानसभा में। महिलाओ के बारे में फैसला महिलाओं को ही लेने दें। महिलाओं को लेकर बिल लेकर ताकत दे। वो चीजें थोपे नहीं।
वहीं, लोकसभा सांसद नवनीत राणा ने महिलाओं के विवाह की उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 साल करने के कैबिनेट के फैसले का स्वागत किया। नवनीत राणा ने कहा कि अब लड़कियों के पास ज्यादा अधिकार होगा… शादी को लेकर फैसले करने का, पढ़ाई पूरा करने का। इसके लिए भारतीय समाज को भी तैयार करना होगा। इसमें समय लगेगा। जब शादी की उम्र 16 साल से 18 साल की गई थी उस वक्त भी कई लोगों को स्वीकार करने में समय लगा था।
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