रायपुर : पैसों की लूट की नियत से होने वाले सायबर अपराध दिनों दिन बढ़ते जा रहे हैं। और आए दिन अपराध को अंजाम देने के नए नए तरीके सामने आते रहते हैं। कुछ ऐसा ही मामला सामने आया है प्रदेश की न्यायधानी बिलासपुर से, जहाँ नौकरी के नाम पर एक छात्र से ठगी करने का प्रयास किया गया है। इस ठगी को अंजाम देने का तरीका ऐसा था कि फर्जीवाड़े का पता लगाना बहुत ही कठीन था।

हालाँकि छात्र की सुझ बूझ और समझ ने उसे इसका शिकार होने से बचा लिया पर एक फर्जीवाड़े के एक नए तरीके का खुलासा जरूर किया। दरअसल इस मामले में राष्ट्रीय ग्रामीण शिक्षा मिशन के तहत विभिन्न पदों पर नौकरी के नाम पर पूरी प्लानिंग के साथ एक योजना बनाई गई और छात्रों को इस तरीके से फंसाने का प्रयास किया गया जिससे किसी को भी लूटे जाने से पहले इस बात का अंदाजा तक न हो।

समाचार पत्र में प्रकाशित किया गया विज्ञापन

फर्जीवाड़े का पहले कदम पर एक समाचार पत्र में राष्ट्रीय ग्रामीण शिक्षा मिशन के तहत विभिन्न पदों पर नौकरी हेतु विज्ञापन प्रकाशित किया गया। इस विज्ञापन में स्पष्ट लिखा हुआ था कि आवेदन प्रक्रिया ऑनलाईन आवेदन ही होगा। ऑनलाइन आवेदन हेतु एक वेबसाइट भी दिया गया था। विज्ञापन में 8705 पदों पर भर्ती की बात कही गई थी। इन 8705 पदों में शिक्षा ग्राम विकास अधिकारी, शिक्षा ग्राम विकास कार्यकर्ता, शिक्षा ग्राम विकास सहायक, कम्प्यूटर ऑपरेटर और क्लर्क के पदों का विवरण था।

बनाई फर्जी वेबसाइट

राष्ट्रीय ग्रामीण शिक्षा मिशन के तहत विभिन्न पदों पर नौकरी हेतु प्रकाशित विज्ञापन में एक वेबसाइट भी दी गई थी जो पूरी तरह फर्जी था। पर देखने में यह हूबहू राष्ट्रीय ग्रामीण शिक्षा मिशन के वास्तविक वेबसाइट की तरह दिखता है। विज्ञापन में प्रदत्त वेबसाइट www.rgsm.info है जबकि राष्ट्रीय ग्रामीण शिक्षा मिशन की वास्तविक वेबसाइट www.rashtriyagraminshiksha.com है।

विज्ञापन में दिया गया फर्जी वेबसाइट www.rgsm.info

विज्ञापन में www.rgsm.info के माध्यम से ही ऑनलाईन आवेदन की बात कही गई थी। और इस साइट पर ऑनलाइन आवेदन का ऑप्शन भी उपलब्ध है।

राष्ट्रीय ग्रामीण शिक्षा मिशन की वास्तविक वेबसाइट www.rashtriyagraminshiksha.com

ट्रेनिंग शुल्क के रुप में रकम की मांग

एक बार आवेदन करने के बाद आवेदक की पूरी जानकारी आरोपियों तक पहुँच जाती है। इसी के बाद मैरीट के आधार पर चयनित होने की बात कहकर आवेदक को एक मैसेज किया जाता है और उसमें एक हेल्पलाइन नंबर भी दिया जाता है। हेल्पलाइन नम्बर पर फोन मिलाने से ट्रेनिंग शुल्क के रूप में रकम की मांग की जाती है, और पहली तन्ख्वाह के साथ यह शुल्क वापस कर दिया जाएगा ऐसा आश्वासन आवेदक को दिया जाता है।

फर्जी चयन की सुचना के लिए भेजा गया मैसेज

बस इसी के बाद इस सुनियोजित षड्यंत्र के झाँसे में आकर भोले भाले छात्र सहीं दिखने वाले फर्जी नियुक्ति के लिए ट्रेनिंग शुल्क के रुप में मोटी राशि गँवा बैठते हैं। न जाने आज तक ऐसे फर्जीवाड़े ने कितने छात्रों की जेब पर डाका डाला है।

सावधान! अब भी चालू है वेबसाइट

इस पूरे फर्जीवाड़े को जिस वेबसाइट के माध्यम से अंजाम दिया गया है। वह वेबसाइट अभी भी चालु है। आप फर्जीवाड़े का शिकार अभी भी हो सकते हैं। इसलिए इस मामले और इस तरह के किसी भी अन्य भर्ती प्रक्रिया के साथ हमेशा सतर्क रहें। स्वयं उसकी सत्यता की पुष्टि कर लें, स्वयं से न कर सकें तो किसी अनुभवी से सलाह अवश्य लें। और अधिक से अधिक लोगों को इस तरह के फर्जीवाड़े के संबंध में जागरुक करें।

ध्यान रखने वाली कुछ बातें

  • किसी भी सरकारी नौकरी के लिए आवेदन केवल एक ही वैबसाइट से हो सकता है।
  • हर विभाग का एक आधिकारिक वेबसाइट होता है। आधिकारिक साइट की पुष्टि होने पर ही आवेदन भरें।
  • कोई भी सरकारी नौकरी केवल अखबार के विज्ञापन के आधार पर नहीं होती। उसकी विस्तृत अधिसूचना (Detailed Notification) जारी की जाती है।
  • अधिकांश नौकरियों के लिए पात्रता परीक्षा आयोजित की जाती है।
  • किसी भी सरकारी नौकरी में चयन हो जाने के बाद ट्रेनिंग हेतु कोई शुल्क नहीं लिया जाता, बल्कि प्रशिक्षण अवधि में प्रशिक्षार्थी को स्टाइपेंड दिया जाता है।
  • सरकारी विभागों के मैसेज अमुमन किसी नंबर से नहीं आते, बल्कि वे इ-मेल का प्रयोग करते हैं। और अगर मैसेज करना ही हो तो वो नंबर से नहीं बल्कि कम्प्यूटर जनरेटेड होते हैं।
  • पूरी चयन प्रक्रिया के दौरान आवेदन शुल्क के अलावा कोई शुल्क किसी भी चरण में नहीं लिया जाता।

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