केंद्र सरकार पर ओवैसी तंज, शादी की उम्र बढ़ाने के फैसले को बताया 'हास्यास्पद', कहा- 18 साल में प्रधानमंत्री चुन सकते हैं लेकिन जीवन-साथी नहीं चुन सकते
केंद्र सरकार पर ओवैसी तंज, शादी की उम्र बढ़ाने के फैसले को बताया 'हास्यास्पद', कहा- 18 साल में प्रधानमंत्री चुन सकते हैं लेकिन जीवन-साथी नहीं चुन सकते

नेशनल डेस्क। 15 दिसंबर को कैबिनेट बैठक में लड़कियों की शादी की उम्र को लेकर बड़ा फैसला लिया गया था। जिसमें लड़कियों की शादी की उम्र अब 18 साल से बढ़ाकर 21 साल कर देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी। जिसके बाद दें इस मामले में हर कोई अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दे रहा है। हाल ही में शिवसेना नेता और राज्यसभा सदस्य प्रियंका चतुर्वेदी ने केंद्र सरकार के इस फैसले की आलोचना की थी।

अब AIMIM (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन) के अध्यक्ष और लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इस फैसले पर केंद्र सरकार की जमकर आलोचना की है और इसे ‘हास्यापद’ बताया है।

ओवैसी अपने ट्विटर पर कहा कि, “मोदी सरकार ने महिलाओं के लिए शादी की उम्र को बढ़ाकर 21 करने का फैसला किया है। यह पितृसत्ता है, इसी की हम सरकार से उम्मीद करते हैं। 18 साल के पुरुष और महिलाएं कांट्रेक्‍ट साइन कर सकते हैं, बिजनेस शुरू कर सकते हैं, प्रधानमंत्री चुन सकते हैं और सांसद और विधायक का चुनाव कर सकते हैं, लेकिन शादी नहीं कर सकते? वे यौन संबंधों और लिव-इन रिलेशनशिप के लिए अपनी सहमति दे सकते हैं, लेकिन अपना जीवन साथी नहीं चुन सकते? हास्यास्पद।”

उन्‍होंने कहा, “ये इस बात का सबूत है कि क़ानून के बजाय हमें सामाजिक सुधार पर ध्यान देना होगा। शादी की उम्र से ज़्यादा ज़रूरी है कि हम युवाओं के आर्थिक हालात को बेहतर करने पर ध्यान दें। 45% ग़रीब घरों में शादियाँ 18 की उम्र से पहले हो गयी थी। लेकिन अमीर घरों में ये आँकड़ा सिर्फ़ 10% था।”

ओवैसी ने कहा, “अगर मोदी की निय्यत साफ़ होती तो उनका ध्यान महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण की तरफ़ होता। लेकिन भारत में कामकाजी महिलाओं की संख्या में लगातार गिरावट हो रही है। 2005 में भारतीय महिलाओं का श्रम योगदान यानी लेबर फोर्स पार्टिसिपेंट्स रेट 26% था, 2020 आते आते ये गिर कर 16% हो गया था।”

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