आधी रात को हॉस्टल से भागी कोरवा छात्राओं ने खोली छात्रावासों की पोल, झलियामारी काण्ड को भूलता जा रहा है जिम्मेदार सरकारी अमला
आधी रात को हॉस्टल से भागी कोरवा छात्राओं ने खोली छात्रावासों की पोल, झलियामारी काण्ड को भूलता जा रहा है जिम्मेदार सरकारी अमला

जशपुर। सरकारी आदिवासी छात्रावास की बालिकाओं के साथ आखिर ऐसा क्या हुआ कि वे आधी रात को वहां से निकल गईं और पैदल अपने घर तक पहुंची। इतना ही नहीं छात्राओं के इस तरह हॉस्टल से भागने की सूचना यहां की अधीक्षिका ने न तो अपने अधिकारियों को दी और न ही उसने इन बच्चियों की कोई खबर ली। छात्राओं का इस तरह हॉस्टल से भागना यहां की सुरक्षा व्यस्था की पोल भी खोल रहा है। वहीं इस गगम्भीर मामले में तत्काल कार्रवाई की बजाय जिम्मेदार अधिकारी फ़िलहाल रिपोर्ट मिलने का इंतजार कर रहे हैं।

आखिर क्या मनोदशा रही होगी इन छात्राओं की..?

यह मामला जशपुर जिले के बगीचा ब्लॉक के पत्ताकेला स्थित कन्या छात्रावास का है। छात्रावास से‎ आधी रात को भागने वाली तीसरी‎ और चौथी कक्षा में पढने वाली पहाड़ी कोरवा‎ छात्राओं के साथ आखिर ऐसा क्या हुआ कि उन्हें ऐसा गंभीर कदम उठाना पड़ा। यह जानने गांव पहुंचे पत्रकारों को इन छात्राओं ने बताया कि हॉस्टल की अधीक्षिका उन्हें हमेशा उलाहना देती हैं। जब वे जरुरत की कोई सामग्री, जैसे तेल-साबुन आदि मांगती हैं, तो अधीक्षिका उन्हें खरी‎ खोटी सुनाती है। कुछ दिन पहले‎ ‎ही अधीक्षिका का कोई समान चोरी हो‎ गया तो उसका आरोप भी‎ अधीक्षिका ने इन छात्राओं के ऊपर पर‎ मढ़ दिया। रोज-रोज की उलाहना‎ और डांट फटकार से तंग आकर‎ पहाड़ी कोरवा छात्राएं रात करीब 12 बजे छात्रावास‎ से भागकर अपने घर आ गईं। यह घटना एक सप्ताह पहले की है।

कितने गंभीर हैं जशपुर के सहायक आयुक्त..!

आदिवासी बाहुल्य जिलों में सरकारी स्कूलों और छात्रावासों से संबंधित पूरी व्यवस्था के लिए आदिवासी विकास विभाग में सहायक आयुक्त की पदस्थापना की जाती है। मामला एक सप्ताह पुराना है और यहां के सहायक आयुक्त बीके राजपूत इस मामले को गंभीर भी बता रहे हैं, मगर वे खुद कितने गंभीर हैं इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि हफ्ते भर बाद भी इस मामले की जांच रिपोर्ट उन तक नहीं पहुंची है और वे रिपोर्ट मिलने के बाद ही किसी तरह की कार्रवाई की बात कह रहे हैं।

अधीक्षिका को माँ-बाप समझकर अपने बच्चो को वहां छोड़ते हैं…

एक छात्रा के पिता नैहर साय बताते हैं कि हम अपने बच्चो को अधीक्षिका के भरोसे यह सोचकर छोड़ आते हैं कि वही उनकी माता-पिता हैं, मगर बच्चो के साथ यह व्यवहार हो रहा है, तो इसे क्या कहें? नैहर ने बताया कि अधीक्षिका यह देखने तक नहीं आयी कि बच्चियां अपने घर पहुंची हैं या कहीं और चली गईं। उसे इस बात का दुःख है, बावजूद इसके वह अपनी बच्ची को पढ़ाना चाहता है और यह भी कहता है कि अगर मैडम बच्ची को लेने आएंगी तो उसे जरूर भेज दूंगा।

छात्रावासों में सुरक्षा व्यवस्था का अभाव

छत्तीसगढ़ में अनेक जिले पांचवी अनुसूची के अंतर्गत आते हैं और वहां अनुसूचित जनजाति याने आदिवासी बच्चो की पढाई के लिए जगह-जगह छात्रावास और आश्रम संचालित किये जाते हैं। इन छात्रावासों में बच्चियों के साथ दुष्कर्म की अनेक घटनाएं घट चुकी हैं, इनमे झलियामारी के हॉस्टल में हुई घटना ने सभी को झकझोर कर रख दिया था, मगर ऐसी घटनाओ को जिम्मेदार विभाग के जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारी भूलते चले जा रहे हैं।

87 हॉस्टल में केवल 18 में ही महिला गार्ड

छत्तीसगढ़ के सरकारी कन्या छात्रावासों में होमगार्ड की महिला जवानो की तैनाती का फैसला किया गया था, लेकिन अब तक मांग के मुताबिक महिला जवानो की भर्ती ही नहीं की गई है। जशपुर के सहायक आयुक्त बीके राजपूत बताते हैं कि उनके यहां 87 छात्रावास हैं मगर केवल 18 में ही महिला होमगार्ड उपलब्ध हो सके हैं। ऐसा कहकर वे अपनी मज़बूरी तो जता रहे हैं, बावजूद इसके वे अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकते।
दरअसल 20 बच्चो वाले छात्रवास में महिला रसोइया, भृत्य और महिला चौकीदार की तैनाती होती है। इसके अलावा अधीक्षिका को छात्रावास कैंपस में ही रहना होता है, बावजूद इसके चारों छात्राएं वहां से निकल पाने में कैसे सफल हो गई, यह सवाल सभी लोग उठा रहे हैं।

कोरवा आदिवासी छात्राओं के इस तरह प्रताड़ना से तंग आकर हॉस्टल से भाग जाने के मामले में कार्रवाई के संबंध में TRP न्यूज़ द्वारा सवाल पूछे जाने पर बीके राजपूत रिपोर्ट नहीं मिलने का हवाला देते हैं, जबकि इस घटना को घटे सप्ताह भर हो चुके हैं। इस तरह के मामलो को गंभीरता से नहीं लिया जाना उनके ढीले-वाले रवैये की ओर इशारा करता है। बहरहाल ऐसे मामले को मुख्यालय में बैठे अधिकरियों और विभागीय मंत्री को संज्ञान में लेते हुए तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए और छात्रावासों की सुरक्षा व्यवस्था की नए सिरे से समीक्षा भी करनी चाहिए।

Hindi News के लिए जुड़ें हमारे साथ हमारे
फेसबुक, ट्विटरयूट्यूब, इंस्टाग्राम, लिंक्डइन, टेलीग्रामकू और वॉट्सएप, पर