सशस्त्र सीमा बल में तैनात फौजी के दिल को अंबेडकर अस्पताल में मिली नई जिंदगी... फौजी ने खत लिख कहा आप मेरे भगवान

रायपुर। डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय स्थित एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट के कार्डियक सर्जरी विभाग में सशस्त्र सुरक्षा बल में तैनात एक फौजी जवान के हार्ट में कृत्रिम वॉल्व का सफल प्रत्यारोपण किया गया।

फौजी ने पत्र लिख कहा धन्यवाद

हार्ट, चेस्ट एवं वैस्कुलर सर्जन एवं विभागाध्यक्ष डॉ. कृष्णकांत साहू के नेतृत्व में हुए इस ऑपरेशन में फौजी जवान ने ओपन हार्ट सर्जरी के लिए आर्मी हॉस्पिटल दिल्ली का चयन न करके अम्बेडकर अस्पताल के हार्ट सर्जरी विभाग का चयन करते हुए हार्ट के एओर्टिक वाल्व का सफल प्रत्यारोपण करवाया। ओपन हार्ट सर्जरी के बाद ठीक होने पर मरीज ने विभाग को एक पत्र लिखकर अपनी संवदेना एवं कृतज्ञता प्रकट की जिसमें हॉस्पिटल के नर्सिंग स्टॉफ, डॉक्टर्स एवं एडमिनिस्ट्रेशन की तारीफ की।

सांस फूलने एवं छाती में थी दर्द की शिकायत

सशस्त्र सीमा बल में तैनात मरीज अशोक कुमार थापा पश्चिम बंगाल का रहने वाला है एवं इनकी पोस्टिंग वर्तमान में छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में है। बता दें कि मरीज एसीआई के कार्डियक सर्जरी विभाग में सांस फूलने एवं छाती में दर्द की शिकायत लेकर पहुंचा था। जांच में पता चला कि एओर्टिक वाल्व खराब होने की जानकारी मिली। जिसके कारण इनका हृदय रक्त को ठीक से पंप नहीं कर पा रहा था। इस वजह से मरीज की सांस फूल रही थी एवं छाती में दर्द हो रहा था।

मरीज को लगाया मेटल का कृत्रिम हार्ट वॉल्व

इस बीमारी को मेडिकल भाषा में सीवियर एओर्टिक स्टेनोसिस एवं सीवियर एओर्टिक रिगर्गिटेशन कहा जाता है। इस बीमारी में मरीज का वॉल्व पत्थर की तरह कड़ा हो जाता है एवं सिकुड़ जाता है जिससे हृदय से पर्याप्त मात्रा में शरीर में रक्त नहीं पहुंच पाता है एवं इलाज न मिलने की स्थिति में मरीज को कुछ समय बाद हार्ट फेल्योर हो जाता है। ऑपरेशन में मरीज को मेटल का कृत्रिम हार्ट वॉल्व लगाया गया है जिसको मेडिकल भाषा में एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट विथ रिजेन्ट मेकेनिकल वाल्व कहा जाता है।

आर्मी हॉस्पिटल न जाकर अंबेडकर अस्पताल पर जताया भरोसा

सबसे विशेष बात यह है कि यह फौजी चाहे तो दिल्ली के आर्मी हॉस्पिटल जिसको आर एंड आर हॉस्पिटल कहा जाता है वहां ऑपरेशन करवा सकता था। यह हॉस्पिटल आर्मी विभाग का देश में सबसे बड़ा अस्पताल है एवं इसकी तुलना एम्स दिल्ली से होती है परंतु फौजी जवान ने एसीआई के सर्जन पर ज्यादा विश्वास किया एवं यहीं ऑपरेशन करवाने का निर्णय लिया। आज मरीज स्वस्थ्य है एवं 9 दिन बाद पूर्ण स्वस्थ्य होकर अपने घर जा रहा है।

डॉक्टर ने कहा यह हमारे लिए आत्मसंतुष्टि का पल

कार्डियक सर्जरी के विभागाध्यक्ष डॉ. कृष्णकांत साहू का कहना है कि हमारे लिए बहुत ही गर्व एवं आत्मसंतुष्टि की बात है क्योंकि हम लोग उस फौजी को बचाने में कामयाब रहे जो अपनी जान लगाकर हमें एवं देश को शत्रुओं से बचाता है। यही हमारे जीवन का सबसे बड़ा पुरस्कार होना चाहिए।

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