रायपुर : केंद्र सरकार द्वारा शासकीय उपक्रमों के निजीकरण के विरोध में बैंकर्स यूनियन फोरम और सिविल सोसाइटी फोरम रायपुर के संयुक्त तत्वाधान में जन जागरण हेतु जन संवाद का आयोजन किया गया। संवाद के प्रारंभ में सिविल सोसायटी की ओर से जीवेश चौबे ने इस कार्यक्रम के आयोजन की आवश्यकता और शासकीय उपक्रमों के निजीकरण से आम जनता को होने वाली कठिनाइयों की भूमिका बताई। बैंक ऑफ इंडिया के महासचिव हर्षवर्धन सिंह बिष्ट ने बैंकों पर पड़ने वाले दबाव और बढ़ते एन. पी. ए. के चलते बैंकों की गिरती वित्तीय स्थिति पर प्रकाश डाला।

जन संवाद प्रारंभ करते हुए LIC पेंशनर्स संगठन के सचिव अरुणकांत शुक्ला ने बैंकों के राष्ट्रीयकरण की शुरुवात और जनता के पैसों का राष्ट्रीय विकास में योगदान विषय पर अपनी बात रखते हुए निजीकरण से होने वाले नुकसान को बताया। LIC यूनियन की ओर से धर्मराज महापात्र ने अपनी बात रखते हुए कि “यह लड़ाई कॉरपोरेट घरानों के खिलाफ है। निजीकरण के खिलाफ आम जन को एकजुट होकर संघर्ष करने की आवश्यकता है।

एक वक्ता विश्वास मेश्राम ने कहा कि “निजीकरण के खिलाफ लड़ाई एक राजनैतिक आंदोलन है जिसमें समाज के सभी वर्ग के लोगों को आवाज़ उठानी होगी।” एक अन्य वक्ता विजय लाड ने बैंकों के राष्ट्रीकरण की पूर्व कालिक परिस्थितियों की चर्चा करते हुए इससे आम जन को बैंकों से जुड़ने से हुए सामाजिक उत्थान और कृषि व कृषकों को मिलने वाले लाभ पर विस्तार से अपनी बात रखी। रेलवे यूनियन की ओर से भोला चौधरी का कहना है – “एक सोची समझी साजिश के तहत शासकीय संस्थानों को बदनाम कर निजीकरण की भूमिका तैयार की जा रही है जिसे आम जन को समझना होगा।” अपनी बात रखते हुए एक्टिविस्ट विश्वजीत हरोड़े ने किसान आंदोलन का जिक्र करते हुए उसी तरह निजीकरण के खिलाफ संघर्ष की बात करते हुए कहा कि “निजीकरण सिर्फ उद्योगपतियों और कॉर्पोरेट के फायदेवके लिए किया जा रहा है।”

जन संवाद कार्यक्रम का संचालन हर्षवर्धन सिंह बिष्ट ने किया और धन्यवाद ज्ञापन जीवेश चौबे ने किया। संवाद कार्यक्रम में समाज के विभिन्न वर्गों से बड़ी संख्या में एक्टिविस्ट ,सामाजिक कार्यकर्ता, बौद्धिक व सांस्कृतिक कर्मी उपस्थित रहे।

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