धमतरी। छत्तीसगढ के धमतरी जिले में धान खरीदी केंद्रों में लाखों क्विंटल धान रखा हुआ है। अधिकांश केंद्रों में बफर लिमिट से अधिक धान है, जिससे पिछले सप्ताह हुई बेमौसम बारिश में उपार्जन केंद्रों में रखे धान के बोरे भीग गए थे, हालांकि अधिकारी धान के स्टेग को ढंककर रखने और नुकसान नहीं होने की बात कह रहे हैं, लेकिन खरीदी केंद्रों में रखे धान बारिश में भीगने के बाद अब अंकुरित भी होने लगे हैं। यहां तक कि बारदानों से धान के पौधों की जड़ें भी बाहर झांकने लगी हैं।
बारिश से धान को बचाने में हुई लापरवाही
समर्थन मूल्य पर धान खरीदी का कार्य धमतरी जिले के 96 उपार्जन केंद्रों में किया जा रहा है। जनवरी महीने के दूसरे सप्ताह में बैमौसम बारिश में कई खरीदी केंद्रों में रखे धान के बोरे भीग गए थे। बारिश की संभावना को देखते हुए धान के बोरों को समितियों द्वारा ढांक कर रखने का दावा किया जा रहा था, बावजूद इसके धान को बारिश में भीगने से पूरी तरह से बचाया नहीं जा सका था।
धमतरी जिले के अलग-अलग इलाकों से खरीदी केंद्र में रखे धान के भीगने की सूचना भी मिल रही थी, जिसे देखते हुए अधिकारियों की टीम ने खरीदी केंद्रों का निरीक्षण भी किया था, खरीदी केंद्रों में रखे धान के भीग जाने के तात्कालिक परिणाम तो सामने नहीं आए, लेकिन बारिश बंद होने के बाद भीगा हुआ धान अंकुरित होने लगा है। खरीदी केंद्रों में रखे धान से अंकुरण के साथ जड़ें बारदानों से बाहर निकल आई हैं, जिससे साफ नजर आता है कि बारिश में भीगने के कारण धान अंकुरित हो गया है और इससे काफी नुकसान भी हुआ है। हालांकि बारिश में धान के भीगने से कितने केंद्रों में रखे धान में अंकुरण की स्थिति है, इसका आंकलन विभाग द्वारा नहीं कराया गया है।
खाद्य अधिकारी का ये है दावा
इस संबंध में जिला खाद्य अधिकारी बी के कार्रोम का कहना है कि बेमौसम बारिश में किसी भी केंद्र में धान के बारदाने भीगने की जानकारी नहीं आई है, और न ही कहीं पर धान में अंकुरण हुआ है। विभाग को बारिश के चलते कोई भी नुकसान नहीं हुआ है।
जिला खाद्य अधिकारी के दावे की पोल खोलती जो तस्वीरें सामने आयी हैं, उसमें बारिश में भीगे हुए धान को खरीदी केंद्र में बारदानों से बाहर निकाल कर सुखाया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर धान की जड़ें बारदानों के बाहर झांक रही हैं।
धान का उठाव धीमा होने से हो रही है परेशानी
सोसायटी प्रबंधकों का कहना है कि धान का उठाव धीमी गति से होने के चलते केंद्र में धान जाम पड़ा है। आमदी के समिति प्रबंधक सेवक राम साहू ने बताया कि विभाग द्वारा धान के स्टॉक के मुकाबले तेजी से उठाव नहीं किया जा रहा है, जिससे भारी मात्रा में धान केंद्र में पड़ा हुआ है।
वास्तव बारिश में धान के भीगने की वजह भी यही है। दरअसल खरीदी केंद्रों में सामान्यतः जितने धान का स्टॉक होता है, उतने को ही बारिश से बचाने का इंतजाम केंद्र प्रभारियों के पास होता है। वर्तमान में धान की बम्पर खरीदी हो रही है, ऐसे में समय पर केंद्रों से धान का उठाव नहीं हो पाता है, जिसके चलते भारी स्टॉक खड़ा हो जाता है। यही वजह है कि ऐन वक्त पर बारिश के होने से धान के बचाव का पर्याप्त इंतजाम नहीं हो पाता। स्वाभाविक है कि इससे नुकसान सरकार को ही होना है।
बहरहाल धान खरीदी मे अभी कुछ दिनों का वक्त बचा हुआ है, ऐसे में बारिश में धान के भीगने से सोसायटियों और सरकार को कितना नुकसान होगा, ये तो खरीदी पूरी होने के बाद ही पता चल सकेगा।