धर्म संसद से जुड़ा एक और विवाद, भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित किया, यति नरसिंहानंद को रिहा करने के लिए दी गई चेतावनी
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टीआरपी डेस्क। धर्म संसद के नाम एक और विवाद जुड़ता दिखाई दे रहा है। इस बार यह आयोजन उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हुआ। यहां के ब्रह्मर्षि आश्रम में किए गए संत समागम में पहुंचे साधु-संतों ने भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने की मांग का प्रस्ताव पारित किया। इस दौरान संतों के दिए कुछ बयानों पर विवाद हो रहा है।

संतों की मांग- मुस्लिमों को अल्पसंख्यक न माना जाए

इस दौरान संतों ने कहा कि भारत में मुसलमानों को अल्पसंख्यक न माना जाए। उन्होंने हिंदुओं के मठ मंदिर का अधिग्रहण खत्म करने की भी मांग की। साथ ही जेल में बंद दोनों धर्मगुरुओं नरसिंहानंद गिरी महाराज और वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी को जल्द जेल से छोड़े जाने की बात कही। ये दोनों ऐसी ही एक धर्म संसद में भड़काऊ बयान देने के बाद अरेस्ट किए गए थे।

धर्म सम्मेलन में तीन प्रस्ताव पास

समागम के संयोजक स्वामी आनंद स्वरूप ने कहा कि संत सम्मेलन में सभी मंडलेश्वर, महामंडलेश्वर, आचार्य मंडलेश्वर और जगदगुरु शंकराचार्य इसमें शामिल हुए हैं। एक धर्म आदेश हुआ है कि भारत की सवा सौ करोड़ हिंदू जनता है वह खुद घोषित करती है कि भारत हिंदू राष्ट्र है। आज से वह यह लिखना शुरू करे। लिखना शुरू करेंगे तो यह आंदोलन बड़ा होगा। धर्म संसद का लक्ष्य भारत को हिंदू राष्ट्र बनाना और जेहाद से मुक्ति है।


धर्मांतरण कानून को और कड़ा किया जाए। ऐसा करने वालों को फांसी की सजा दी जाए। हमारे दो धर्मयोद्धा जेल में बंद हैं, वे एक हफ्ते में रिहा नहीं हुए तो यह आंदोलन उग्र होगा और सिर्फ उग्र ही नहीं इसका परिणाम बहुत भयानक होगा। हो सकता है कि भगत सिंह का जिस तरह असेंबली कांड हुआ, इन दो धर्म योद्धाओं का जेल जाना उसमें परिणत न हो जाए। इस कार्यक्रम में जगतगुरु शंकराचार्य नरेंद्रानंद सरस्वती मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए थे। उन्होंने कहा कि हम अपने देवी-देवताओं से शिक्षा ग्रहण कर अपने हाथों में अस्त्र-शस्त्र धारण करें।

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